कंगना रनौत के ख़िलाफ़ FIR रद्द करने से हाईकोर्ट का इनकार, लेकिन गिरफ्तारी से दी अंतरिम राहत

हाईकोर्ट ने कंगना और उनकी बहन रंगोली को 8 जनवरी को बांद्रा पुलिस थाने में पेश होना पड़ेगा, कंगना और उनकी बहन पर सोशल मीडिया के ज़रिये नफ़रत फैलाने का आरोप है

Updated: Nov 25, 2020, 02:10 AM IST

Photo Courtesy: Hindustan Times
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मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कंगना और उनकी बहन रंगोली को 8 जनवरी की दोपहर 12 से 2 बजे के बीच बांद्रा पुलिस स्टेशन में जाकर हाजिरी देने का आदेश भी दिया है। हालांकि इसके साथ ही कोर्ट ने कंगना को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत भी दे दी है।

गौरतलब है कि एक्ट्रेस कंगना रनौत और उनकी बहन रंगोली ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मुंबई पुलिस की FIR रद्द करने की गुजारिश की गई थी। कंगना और रंगोली के खिलाफ सोशल मीडिया पर किए एक पोस्ट को लेकर FIR की गई है, जिसमें दोनों पर सोशल मीडिया के माध्यम से समाज में नफरत और सांप्रदायिक तनाव पैदा करने का आरोप लगाया गया है।

मुंबई पुलिस ने कंगना पर जांच में असहयोग का आरोप लगाया है। मुंबई पुलिस का कहना है कि तीन बार समन जारी करने के बाद भी कंगना और उनकी बहन रंगोली हाजिर नहीं हुईं। दो समन में उन्होंने भाई की शादी का हवाला देकर पुलिस स्टेशन आने में असमर्थता जताई थी। पुलिस ने पिछले हफ्ते कंगना और रंगोली को तीसरी बार समन भेजकर 23 और 24 नवंबर को पेश होने को कहा था। जिसके बाद कंगना ने FIR रद्द करने की याचिका लगाई थी।

FIR में राजद्रोह की धारा जोड़ने पर पुलिस को फटकार

कोर्ट ने मुंबई पुलिस को भी फटकार लगाई। पुलिस द्वारा FIR में राजद्रोह की धारा जोड़ने पर सवाल उठाया। कोर्ट ने मुंबई पुलिस से पूछा, "आप नागरिकों के साथ ऐसे पेश आते हैं? हम दूसरे सेक्शंस को समझ सकते हैं। लेकिन, 124A क्यों? अगर केस इतना सीरियस था तो आपको FIR दर्ज करनी चाहिए थी। लेकिन, FIR मजिस्ट्रेट के 156(3) के अंतर्गत दिए गए आदेश के बाद फाइल की गई।

आपको बता दे कि कंगना और रंगोली पर 4 धाराओं में केस दर्ज किया गया था। उनपर धर्म, भाषा, नस्ल के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, राजद्रोह और एक से ज्यादा लोगों पर एक जैसी मंशा से काम करने का आरोप लगाया था। कोर्ट ने कंगना को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत ज़रूर दे दी है, लेकिन FIR रद्द करने की उनकी अर्जी को खारिज करके संकेत दिया है कि अदालत फिलहाल मुंबई पुलिस की जांच में किसी तरह का दखल देना नहीं चाहती।