टमाटर के बाद मिर्च ने दिखाए अपने तीखे तेवर, खुदरा बाजार में 400 रुपए तक पहुंचे दाम

अभी लोगों की थाली से टमाटर दिन-ब-दिन गायब ही हो रहा था कि अब हरी मिर्च के दाम में भी आग लग गई है। टमाटर के दाम 160 के पार जाने के बाद अब मंडी में मिर्च के दाम भी 400 के पार  चले गए हैं। 

Updated: Jul 05, 2023, 01:34 PM IST

भोपाल। मानसून की बारिश ने मौसम तो सुहाना कर दिया लेकिन लोगों की थाली का बजट बिगाड़ दिया है। अभी लोगों की थाली से टमाटर दिन-ब-दिन गायब ही हो रहा था कि अब हरी मिर्च के दाम में भी आग लग गई है। टमाटर के दाम 160 के पार जाने के बाद अब मंडी में मिर्च के दाम भी 400 रुपए के पार जा रहे हैं। देश के कई हिस्सों में हरी मिर्च के दाम 300 से 400 रुपए किलो पर पहुंच गए हैं। मंडी विशेषज्ञों की मानें तो बारिश के मौसम में दाम और भी बढ़ सकते हैं।

पिछले महीने से देश भर में टमाटर की कीमतें आसमान छू रही हैं। बारिश के कारण उत्पादक केंद्रों से आपूर्ति बाधित होने के कारण दिल्ली-एन.सी.आर. में टमाटर की खुदरा कीमतें 160 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई हैं। एशिया की सबसे बड़ी थोक फल और सब्जी मंडी आजादपुर मंडी में टमाटर की थोक कीमतें सोमवार को गुणवत्ता के आधार पर 80-160 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच थीं। रविवार को मदर डेयरी का सफल बिक्री केंद्र टमाटर 99 रुपए प्रति किलो बेच रहा था। एक ऑनलाइन खुदरा विक्रेता सोमवार को टमाटर हाइब्रिड 140 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव पर बेच रहा था। बिगबास्केट पर टमाटर का दाम 105-110 रुपए प्रति किलोग्राम था।

इन राज्यों में हरी मिर्च के रेट

सूत्रों के अनुसार चेन्नई के कुछ हिस्सों में हरी मिर्च का दाम 100 रुपए किलो है। वहीं, कुछ हिस्सों में इसका दाम 400 रुपए किलो भी है। कोलकाता में हरी मिर्च के रेट 400 रुपए किलो पहुंच गए हैं। मंडी विशेषज्ञों का कहना है कि ये दाम अभी हाल-फ़िलहाल में ही बढ़े हैं। बारिश की वजह से आवक कम होने के चलते दाम दिन-पर-दिन बढ़ रहे हैं।

हरी मिर्च घटकर 80 टन रह गई

पिछले सप्ताह हरी मिर्च घटकर 80 टन रह गई है जबकि चेन्नई की रोज की जरूरत लगभग 200 टन है। हरी मिर्च की डिमांड मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से आने वाले माल से पूरी होती है। हालांकि, हरी मिर्च की कम आपूर्ति के कारण डिमांड में वृद्धि हुई है और कीमतों में बढ़ौतरी हुई है। आंध्र प्रदेश में किसान पिछली फसल में अपनी मिर्च की अच्छी कीमत पाने में असफल रहे, जिसके कारण उन्होंने अन्य फसलों का उत्पादन करना शुरू कर दिया।