लॉकडाउन में श्रमिकों का वेतन काटने की छूट

श्रमिक विरोधी संशोधनों पर श्रमिक संगठनों का आज प्रतिरोध दिवस

Publish: May 11, 2020, 07:12 AM IST

प्रदेश के श्रम आयुक्त ने एक परिपत्र जारी कर लॉकडाउन के दौरान काम पर न आने वाले श्रमिकों का वेतन काटने की सुविधा नियोक्ताओं को दे दी है। लॉकडाउन के दौरान जब सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह से बंद है, और आवागमन प्रतिबंधित है, तब मजदूर कैसे काम पर जा सकते हैं?

यह सवाल उठाते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी सहित अन्‍य संगठनों ने मप्र सहित कई राज्य सरकारों द्वारा लॉकडाउन के दौरान किये गए श्रमिक विरोधी संशोधनों का विरोध किया है। इन बदलावों को तुरंत वापिस लेने की मांग करते हुए केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा 11मई को प्रतिरोध दिवस मनाया जा रहा है।

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सीपीआई के राज्य सचिव अरविन्द श्रीवास्तव ने बताया कि मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने श्रम कानूनों में संशोधन कर वे सभी प्रावधान स्थगित कर दिये है जो कामगारों को उनके सेवा काल के दौरान उन्हे संरक्षण, सुरक्षा, वेतन भत्तों के अधिकार प्रदान करते हैं। दुकान एवं संस्थान अधिनियम में काम के घंटों को बढाकर 12 कर दिया गया है बशर्ते कर्म कार इसके लिए सहमत हो,जबकि यह जग-जाहिर बात है कि अभी भी अधिकांश कर्मचारी 10/12घंटे काम करते हैं और अब 12/14घंटे बिना अतिरिक्त वेतन के काम करने के लिए मजबूर होंगे ।सरकार का यह कदम अन्तर राष्ट्रीय कन्वेंशन का उललंघन है जिसके द्वारा सभी देशों में का के घंटे 8 तय किये गये हैं।

सीपीआई के राज्य सचिव ने कहा कि ये निर्णय न केवल जन विरोधी और श्रमिक विरोधी हैं बल्कि आपदा के इस दौर में भाजपा सरकार का असली चेहरा सामने लाते हैं। पार्टी मजदूरों के साथ खड़ी है तो राज्य सरकार से इन परिवर्तनों को वापिस लेने की मांग करती है। पार्टी ने लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए 11 मई के श्रमिक प्रतिरोध में शामिल होने को कहा है।