किसान नेताओं के ख़िलाफ़ जारी होगा लुकआउट नोटिस, गृह मंत्रालय ने दिया आदेश

Lookout Notice Against Farmer Leaders: लुकआउट नोटिस जारी होने के बाद किसान नेताओं के पासपोर्ट जब्त होंगे, 20 से ज्यादा किसान नेताओं को पुलिस ने नोटिस देकर हिंसा के बारे में जवाब मांगा

Updated: Jan 28, 2021, 06:39 AM IST

Photo Courtesy: ABP News
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नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर देश की राजधानी में हिंसा और अराजकता के माहौल को रोकने में नाकाम रही दिल्ली पुलिस अब किसान नेताओं के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि मोदी सरकार ने दिल्ली पुलिस को किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। लुकआउट नोटिस जारी किए जाने के बाद इन लोगों के पासपोर्ट भी जब्त किए जाएंगे।

सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही ख़बरों के मुताबिक़ यह सारी कार्रवाई केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर की जा रही है। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में बने हालात को लेकर विपक्ष ने ख़ुद गृह मंत्री अमित शाह पर देश की राजधानी की सुरक्षा में पूरी तरह नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए उन्हें बर्खास्त किए जाने की माँग की है।

इस बीच दिल्ली पुलिस ने 20 से ज्यादा किसान नेताओं को नोटिस भी दिया है, जिसमें दर्शन पाल सिंह, बलदेव सिंह सिरसा, राजेवाल और योगेंद्र यादव समेत कई नेताओं के नाम शामिल हैं। दिल्ली पुलिस ने इन सब नेताओं से तीन दिन में जवाब मांगा है। दिल्ली पुलिस ने इन किसान नेताओं पर ट्रैक्टर परेड के सिलसिले में पुलिस के साथ बनी सहमति को तोड़ने का आरोप लगाया है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर बुधवार को अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कई किसान नेताओं पर हिंसा भड़काने का आरोप भी लगा चुके हैं। पुलिस की तरफ़ से जारी नोटिस में किसान नेताओं से पूछा गया है कि आपके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए।

दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने बुधवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह दावा भी किया कि अगर किसान नेताओं ने वादाखिलाफी ना की होती तो हिंसा नहीं होती। यही वजह है कि उनके खिलाफ जानलेवा हमला, डकैती, सरकारी काम में रुकावट डालने, आपराधिक साजिश रचने और दंगा करने जैसी गंभीर धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं। दिल्ली के गाज़ीपुर थाने में राकेश टिकैत के ख़िलाफ़ दर्ज केस में जान से मारने की साजिश की धारा 307 को भी जोड़ दिया गया है।

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हालाँकि दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ख़ुद ही स्वीकार कर चुके हैं कि उन्हें 25 जनवरी की शाम को ही पता चल गया था कि ट्रैक्टर परेड के लिए हुए समझौते का पालन नहीं होने वाला है और हालात बेक़ाबू हो सकते हैं। उन्हें किसानों के मंच पर कुछ लोगों के कब्ज़ा करके भड़काऊ भाषण देने की जानकारी भी थी। कमिश्नर के मुताबिक उन्हें तभी लग गया था कि पुलिस से किए गए वादे का पालन नहीं होगा। लेकिन श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होंने यह सब पता होते हुए भी संयम से काम लिया। हैरान करने वाली बात है कि जिसे दिल्ली पुलिस के नेतृत्व की नाकामी मानना चाहिए उसे संयम बताया जा रहा है।

इस बीच, मोदी सरकार के लाए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर और  सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 64वें दिन भी जारी है। दोनों ही बॉडर्स पर भारी सुरक्षा बल तैनात है। टिकरी बॉर्डर पर आज सुबह कड़ाके की ठंड में कुछ किसानों ने अपने कपड़े उतारकर प्रदर्शन किया। उधर लाल किले में हुई हिंसा के बाद वहां भी बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं। प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने 26 जनवरी को लाल किले के पोल पर चढ़कर अपना झंडा फहराया था।