दिल्ली पुलिस ने किसान नेताओं पर तो खुलकर लगाए आरोप, लेकिन दीप सिद्धू का नाम तक नहीं लिया

दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने कई किसान नेताओं के नाम लेकर गंभीर आरोप लगाए, लेकिन पत्रकारों के बार-बार सवाल पूछने पर भी लाल क़िले पर धार्मिक झंडा फहराने वाले दीप सिद्धू का नाम उनकी ज़ुबान पर नहीं आया

Updated: Jan 27, 2021, 04:58 PM IST

Photo Courtesy: ANI/Twitter
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नई दिल्ली। कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दो महीने से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को नुकसान पहुँचाने वाली जो घटनाएँ गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुईं, उनके लिए दिल्ली पुलिस ने किसान नेताओं को ही कसूरवार ठहराया है। दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने बुधवार की शाम प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके 26 जनवरी की घटनाओं के बारे में पुलिस का पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने सतनाम सिंह पन्नू से लेकर दर्शन पाल सिंह, बूटा सिंह बुर्जगिल और राकेश टिकैत जैसे कई किसान नेताओं के नाम लेकर उन्हें दिल्ली में हुई हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया। लेकिन पूरी प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान उन्होंने लाल क़िले पर धार्मिक झंडा फहराने वाले दीप सिद्धू का नाम एक बार भी नहीं लिया।

कुछ पत्रकारों ने दीप सिद्धू का नाम लेकर बार-बार सवाल भी पूछे। लेकिन पुलिस कमिश्नर पहले तो कई बार उन सवालों को ठीक से सुन ही नहीं पाए और फिर आखिर में कोई सीधा जवाब दिए बिना प्रेस कॉन्फ़्रेंस ख़त्म कर दी। दीप सिद्धू के बारे में पत्रकारों के सवाल और उन पर पुलिस कमिश्नर की प्रतिक्रिया आप प्रेस कॉन्फ़्रेंस के नीचे दिए वीडियो लिंक के आख़िरी हिस्से में सुन सकते हैं।

 

कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने ये जरूर कहा कि राजधानी में गैर-क़ानूनी तरीके से किए गए आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और लाल किले पर फहराए गए झंडे को पुलिस बड़ी गंभीरता से ले रही है। लेकिन लाल क़िले जैसी महत्वपूर्ण विरासत की सुरक्षा और देश की राजधानी को अराजकता से बचाने में पुलिस नेतृत्व की भयानक नाकामी को स्वीकार करने की जगह लगातार उस पर पर्दा डालते नज़र आए। 

इससे पहले पुलिस कमिश्नर ने गणतंत्र दिवस की घटनाओं के लिए सारी ज़िम्मेदारी किसान नेताओं पर थोपते हुए बहुत सारी बातें कहीं। जिनका कुल मिलाकर लब्बोलुआब यही था कि  जो कुछ भी हुआ उसमें दिल्ली पुलिस की कोई गलती नहीं थी। वो तो बड़ी मासूमियत से किसान नेताओं के वादों पर भरोसा करके चल रही थी। जबकि पुलिस कमिश्नर ख़ुद ही यह भी बता रहे हैं कि उन्हें 25 जनवरी की शाम को ही अंदाज़ा लग गया था कि ट्रैक्टर रैली में शर्तों पर अमल नहीं होने की आशंका है। कमिश्नर ख़ुद कहते हैं कि उन्हें समझ आ गया था कि वे यानी किसान वादे से मुकर रहे हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि “शुरू से ही समझ आ गया कि उनकी मंशा क्या है। फिर भी दिल्ली पुलिस ने संयम से काम लिया।”

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि दिल्ली पुलिस को 2 जनवरी को पता चला था कि किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली करने जा रहे हैं। इसके बाद पुलिस ने किसानों से कहा कि वे कुंडली, मानेसर, पलवल पर ट्रैक्टर मार्च निकालें, लेकिन किसान दिल्ली में ही ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े रहे। जिसके बाद कुछ शर्तों के साथ उन्हें दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने की इजाज़त दी गई।

एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि ट्रैक्टर परेड से पहले नियम और शर्तें किसान नेताओं को लिखित रूप में दी गई थीं। रैली दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक चलनी थी। इसका नेतृत्व किसान नेताओं को करना था और उन्हें ही अपने समूहों को कंट्रोल भी करना था। उन्हें यह भी लिखकर बताया गया था कि 5000 से अधिक ट्रैक्टर रैली में नहीं होने चाहिए और उनके पास कोई हथियार नहीं होना चाहिए। 

इसके बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर श्रीवास्तव खुद ही बताते हैं कि 25 जनवरी की देर शाम तक यह सामने आया कि किसान अपने वादे से मुकर रहे हैं। वे आक्रामक और उग्रवादी तत्वों को आगे ले आए, जिन्होंने मंच पर कब्जा कर लिया और भड़काऊ भाषण दिए, जिससे उनके इरादे स्पष्ट हो गए। लेकिन हैरानी की बात यह है कि सब कुछ जानने-समझने के बावजूद दिल्ली पुलिस के ज़रूरी कदम नहीं उठाने को देश की राजधानी के पुलिस कमिश्नर अपनी फोर्स का संयम बताते हैं। वे आगे बताते हैं कि किसानों ने पुलिस के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए और लिखित वादे को तोड़ते हुए जो हिंसक घटनाएं कीं, उनमें कुल मिलाकर 394 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें से कुछ पुलिसकर्मी ICU में भी हैं।

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने इन घटनाओं के सिलसिले में 25 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए हैं। 19 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और 50 लोगों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि किसान नेताओं और किसान संगठनों से पूछताछ की जाएगी। किसान नेताओं ने एग्रीमेंट न मानकर विश्वासघात किया है, उनके ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने ये भी बताया कि और आरोपियों की पहचान करने के लिए सीसीटीवी और वीडियो फुटेज की मदद भी ली जा रही है।