ऑनलाइन गेमिंग को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी, बच्चों को गेमिंग की लत से बचाने की ताकीद

बच्चों के ऑनलाइन व्यवहार पर नजर रखने की सलाह, पेरेंट्स की परमीशन के बिना कोई गेम ना खरीदे और ना ही डाउनलोड करें, डेबिट और क्रेडिट कार्ड की लिमिट हो तय,

Updated: Dec 11, 2021, 06:16 AM IST

Photo Courtesy: twitter
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कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन होने लगी जिसकी वजह से उनका स्क्रीन टाइम बढ़ा है। बच्चे इंटरनेट, मोबाइल और कंप्यूटर से एक तरफ तो पढ़ाई करते हैं, वहीं दूसरी तरफ इन दिनों में ऑनलाइन गेमिंग की लत बढ़ने के खूब मामले सामने आए हैं। आए दिन इन गेम्स की लत के कई दुष्परिणाम देखने को मिले हैं।

शिक्षा मंत्रालय ने बच्चों के ऑनलाइन गेम्स की ओर बढ़ते झुकाव को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है। इसके माध्यम से पेरेंट्स और टीचर्स को बच्चों द्वारा खेले जा रहे ऑनलाइन गेमिंग को लेकर आगाह किया है। इन गेम्स से बच्चों के शारीरिक, मानसिक और व्यावहारिक बदलावों और उन पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के बारे में बताया गया है। ऑनलाइन गेमिंग का बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों बच्चों के लिए जारी एडवाइजरी में माता-पिता और शिक्षकों को इसे लेकर सतर्क किया गया है। सलाह दी गई है कि बच्चों के इंटरनेट, मोबाइल और कंप्यूटर पर कामकाज के दौरान उनकी निगरानी की जाए। बच्चों पर कड़ी नजर रखने की सलाह दी गई है। बीते दिनों बच्चों की ऑनलाइन गेमिंग की वजह से परिजनों के बैंक खातों से पैसे गायब होने। साइबर अपराधियों द्वारा बच्चों की गोपनीय जानकारी हासिल करने और फिर विभिन्न वारदातों को अंजाम देने की घटनाएं सामने आई हैं। वहीं ये ऑनलाइन गेम्स से बच्चों की सेहत पर बुरा असर देखा गया है।

 कोरोना काल में फिजीकल एक्टिविटीज बढ़ने की वजह से लोगों की सोशल लाइफ खत्म हो गई है। पढ़ाई, मेलजोल, बातचीत के साथ-साथ मनोरंजन के लिए भी बच्चों को ऑनलाइन निर्मर रहना पड़ता है। अगर इन गेम्स की आदत एक बार लग गई तो इसे छोड़ना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में माता-पिता को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। शिक्षा मंत्रालय की एडवाइजरी में कहा गया है कि बच्चों को पर्सनल पीसी या मोबाइल देने की जगह कोशिश करें कि आपका बच्चा उसी कंप्यूटर या लैपटाप से पढ़ाई करे, जिसका इस्तेमाल परिवार के अन्य लोग करते हैं।

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बच्चों को इंटरनेट उपयोग करने में सवाधानियों के बारे में बताते रहें। इस दौरान बच्चों के व्यवहार में हो रहे बदलावों पर नजर रखे। संदेहास्पद मिलने पर तुरंत स्कूल प्रशासन को इसकी जानकारी दें। पेरेंट्स की परमीशन के बिना गेम खरीदने की अनुमति न हो। एप खरीदारी से बचने के लिए ओटीपी आधारित पेमेंट की प्रक्रिया रखने की सलाह दी गई है। कहीं भी मेंबरशिप पाने के लिए किसी भी एप पर क्रेडिट और डेबिट कार्ड का रजिस्ट्रेशन करने से बचें। कार्ड में लेन-देन की लिमिट तय करें। अपने बच्चों को किसी अनजान वेबसाइट्स से साफ्टवेयर और गेम डाउनलोड न करने को कहें।किसी भी वेबसाइटों में लिंक, फोटो और पॉप-अप पर क्लिक करते वक्त सतर्क रहे। किसी भी वेबसाइट पर अपनी पर्सनल जानकारी शेयर ना करें।

वहीं ऑनलाइन गेम खेलते वक्त अगर बच्चे के साथ कुछ गलत हुआ है काम रोककर सबसे पहले उसका स्क्रीनशॉट अवश्य ले लें। ताकि  सही प्लेटफॉर्म पर उसकी रिपोर्ट की जा सके। वहीं गेमिंग के दौरान अपनी सीक्रेसी मेंटेन करने के लिए उन्हें किसी स्क्रीन नेम का उपयोग करने को कहें। वहीं बच्चों के ऑनलाइन रहने की लिमिट तक करें।