कृषि कानूनों की वापसी पर लगी मुहर, मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी

संसद में कृषि कानूनों की वापसी से पहले आज मोदी कैबिनेट में इन्हें निष्क्रिय करने का प्रस्ताव लाया गया है, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी, आगामी सत्र में बिल के जरिए इन तीनों विवादास्पद कानूनों को निष्प्रभावी किया जाना है

Publish: Nov 24, 2021, 09:25 AM IST

Photo Courtesy: Amar Ujala
Photo Courtesy: Amar Ujala

नई दिल्ली। बुधवार को आखिरकार तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों की वापसी पर मुहर लग गई। कैबिनेट मीटिंग के दौरान तीनों कानूनों को निष्क्रिय किए जाने का प्रस्ताव लाया गया। जिसे मोदी कैबिनेट ने मंजूरी प्रदान कर दी। अब संसद के आगामी सत्र में तीनों कानूनों को बिल के जरिए निष्क्रिय किया जाएगा। 

बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कानूनों की वापसी का एलान किया था। प्रधानमंत्री ने तीनों कानूनों का बचाव करते हुए कहा था कि उनकी सरकार कुछ किसानों को कानूनों को समझाने में असफल रही। इसलिए सरकार ने तीनों कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कानूनों की वापसी के एलान के साथ साथ आंदोलनरत किसानों से अपने अपने घर लौटने का आह्वान किया था। 

लेकिन आंदोलनरत किसानों ने यह तय किया है कि जब तक कानूनों की वापसी पर औपचारिक तौर पर मुहर नहीं लग जाती, तब तक वे डटे रहेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा जल्द ही प्रधानमंत्री मोदी को अपनी मांगों के साथ एक खुला पत्र लिखने वाला है। वहीं संसद के आगामी सत्र के पहले दिन आंदोलनकारी किसान संसद तक मार्च भी निकालने वाले हैं। 27 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा अपनी आगे की रणनीति को लेकर बैठक भी करने वाला है। 

केंद्र सरकार ने 2020 में संसद के मॉनसून सत्र के दौरान भारी विरोध के बावजूद कृषि विधेयकों को पारित किया था। जिसके बाद से ही किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ 26 नवंबर 2020 को व्यापक आंदोलन की शुरुआत हुई। किसानों ने दिल्ली की सीमाओं को घेर लिया। सरकार के अड़ियल रवैए के साथ साथ किसानों ने तमाम मौसमों की मार झेली। इस दौरान 700 से अधिक किसान शहीद हो गए। 

साथी किसानों की शहादत ने आंदोलनाकरियों को इच्छा शक्ति को और मजबूत कर दिया। लेकिन दूसरी तरफ किसानों को तमाम परेशानियों से जूझता देखने के बावजूद एक वर्ष तक सरकार का दिल नहीं पसीजा। आखिरकार किसानों के आंदोलन के सामने मोदी सरकार को हार माननी पड़ी और गुरु पर्व के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीनों कानूनों की वापसी का एलान कर दिया।