हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है, नए संसद भवन से PM मोदी का पहला संबोधन

देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। देश के लोगों ने नए संसद भवन का उपहार दिया है। संसद में सर्वधर्म प्रार्थना हुई है। मैं सभी भारतीयों को लोकतंत्र के इस स्वर्णिम क्षण की बहुत बधाई देता हूं: पीएम मोदी

Updated: May 28, 2023, 02:08 PM IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने श्रमिकों का सम्मान किया और सर्वधर्म सभा भी हुई। उद्घाटन समारोह के दूसरे सेशन में PM ने 75 रुपए का सिक्का जारी किया। इसके बाद उनकी स्पीच शुरू हुई। नए संसद भवन से अपने पहले संबोधन में पीएम मोदी कि हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है।

प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन से कहा, "देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। देश के लोगों ने नए संसद भवन का उपहार दिया है। संसद में सर्वधर्म प्रार्थना हुई है। मैं सभी भारतीयों को लोकतंत्र के इस स्वर्णिम क्षण की बहुत बधाई देता हूं। साथियों ये सिर्फ एक भवन नहीं है, ये 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिम्ब है। ये विश्व को भारत के दृढ़संकल्प का संदेश देता हमारे लोकतंत्र का मंदिर है।"

पीएम मोदी ने आगे कहा, "यह नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को साकार करने का साधन बनेगा। यह नया भवन आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा। यह नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धी होते हुए देखेगा। नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते हैं। आज नया भारत नए लक्ष्य तय कर रहा है। नया जोश है, नई उमंग है, दिशा नई है, दृष्टि नई है, संकल्प नया है औऱ विश्वास नया है।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "नया संसद भवन योजना को यथार्थ से, नीति को निर्माण से, संकल्प को सिद्धि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा। नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा। नूतन और पुरातन के सह अस्तित्व का भी आदर्श है। आज फिर एक बार पूरा विश्व भारत को भारत के संकल्प की दृढ़ता को और भारतीय जनशक्ति की जिजीविषा को आदर और उम्मीद के भाव से देख रहा है। जब भारत आगे बढ़ता है तो विश्व आगे बढ़ता है। संसद का ये नया भवन भारत के विकास से विश्व के विकास का आह्वान करेगा।"

पीएम मोदी ने आगे कहा, "आज इस ऐतिहासिक अवसर पर कुछ देर पहले संसद की नई इमारत में पवित्र सेंगोल की भी स्थापना हुई है। महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्य पथ का, सेवा पथ का, राष्ट्र पथ का प्रतीक माना जाता था। राजाजी और अधीनम के संतों के मार्ग दर्शन में सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था।तमिलनाडु से आए अधीनम के संत संसद में आशीर्वाद देने उपस्थित हुए थे, उन्हें दोबारा श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। पिछले दिनों मीडिया में इसके इतिहास से जुड़ी बहुत सारी जानकारी उजागर हुई है। मैं उसके विस्तार में नहीं जाना चाहता। ये सौभाग्य है कि पवित्र सेंगोल को हम उसकी गरिमा लौटा सके हैं। उसकी मान-मर्यादा लौटा सके हैं। जब भी कार्यवाही शुरू होगी, ये सेंगोल सभी को प्रेरणा देता रहेगा।"