भगवान राम पर BJP का कॉपीराइट नहीं, उमा भारती ने पार्टी नेताओं को अहंकार से बाहर निकलने की दी सलाह

1990-92 के दौरान देश में हुए दंगों को लेकर उमा भारती ने कहा कि दंगे होते नहीं हैं, करवाए जाते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोई दंगा क्यों नहीं हुआ।

Updated: Jan 09, 2024, 07:01 PM IST

भोपाल। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा धार्मिक ध्रुवीकरण में जुट गई है। सत्ताधारी दल महंगाई, बेरोजगारी जैसे तमाम असल मुद्दों से ध्यान हटाकर सिर्फ राम मंदिर पर बात कर रही है। धर्म के नाम पर सियासत कर रहे पार्टी नेताओं को अब उमा भारती ने अहंकार से बाहर निकलने की सलाह दी है। भाजपा की कद्दावर नेत्री ने कहा है कि भगवान राम सभी के हैं। श्रीराम पर भाजपा का कोई कॉपी राइट नहीं है।

उमा भारती ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में राम जन्मभूमि आंदोलन से लेकर तमाम मुद्दों पर बात की हैं। 22 जनवरी के निमंत्रण के बारे में सवाल करते हुए जब उमा भारती से पूछा गया कि क्या विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया जाना चाहिए था? इस पर वे कहती हैं कि निमंत्रण राम मंदिर ट्रस्ट का निर्णय है, कोई राजनीतिक आह्वान नहीं। राम भक्ति पर भाजपा का कोई कॉपीराइट नहीं है। भगवान राम और हनुमान जी बीजेपी नेता नहीं हैं। वे हमारे राष्ट्रीय सम्मान हैं। उनके मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में कोई भी भाग ले सकता है और किसी को भी आमंत्रित किया जा सकता है। 

उमा भारती ने कहा कि मैं सभी राजनेताओं से भी कहूंगी कि इसे राजनीतिक दृष्टि से न देखें। आपके घरों में भी राम की तस्वीरें हैं; आपके नाम में राम हो सकता है। और मैं बीजेपी वालों से भी कहूंगी कि इस अहंकार से छुटकारा पाएं कि केवल आप ही राम की भक्ति कर सकते हैं। उमा भारती से इंटरव्यू के दौरान जब कि 1990-92 के दौरान देश में हुए दंगों को लेकर पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि दंगे होते नहीं हैं, करवाए जाते हैं। उन्होंने पूछा कि 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोई दंगा क्यों नहीं हुआ। अब जब उद्घाटन होने वाला है तो कोई तनाव क्यों नहीं है।

बता दें कि भगवान श्री रामलला सरकार की उनके जन्मस्थान स्थित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के अब कुछ ही दिन बचे हैं। 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या में होने जा रहे प्राण प्रतिष्ठा समारोह के कार्यक्रम की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। उमा भारती ने बताया कि वह 18 जनवरी से ही अयोध्या में रहेंगी। पिछले कुछ समय से राजनीतिक गतिविधियों से दूर चल रहीं मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से रही हैं। 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी, तब उमा भारती अयोध्या में मौजूद थीं और इस मामले के 32 आरोपियों में से एक थीं। इन सभी आरोपियों को 2020 में एक विशेष सीबीआई अदालत ने बरी कर दिया था।