वाराणसी में सर्व सेवा संघ को ढहाने की तैयारी, गांधी की विरासत बचाने प्रदर्शन कर रहे लोगों को किया गिरफ्तार

सर्व सेवा संघ के ध्वस्तीकरण के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे गांधीवादियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है, प्रशासन की टीम परिसर से सामान बाहर कर रही है ताकि बुलडोजर कार्रवाई किया जा सके।

Updated: Jul 22, 2023, 01:23 PM IST

वाराणसी। यूपी के वाराणसी स्थित सर्व सेवा संघ परिसर पर सत्ता की कुदृष्टि पड़ गई है। शनिवार सुबह वाराणसी पुलिस बुलडोजर लेकर सर्व सेवा संघ परिसर को ध्वस्त करने पहुंची। इस दौरान गांधीजनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के विरुद्ध सत्याग्रह पर बैठे गांधीजनों के साथ पुलिस ने न सिर्फ मारपीट की बल्कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।

महात्मा गांधी, विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण समेत कई महापुरुषों की विरासत पर बुलडोजर चलाने की तैयारी है। एडीएम सिटी के मुताबिक, परिसर खाली होने के बाद ही ढहाने की प्रक्रिया शुरू होगी। विरोध को देखते हुए वाराणसी के 12 थानों की फोर्स मौके पर पहुंची है। बुलडोजर और नगर निगम की गाड़ियां भी पहुंची हैं। परिसर से सामान बाहर निकाला जा रहा है। 

मौके पर मौजूद गांधीजनों का कहना है कि वे बुलडोजर के आगे लेट जाएंगे लेकिन गांधी और जेपी की विरासत को गिरने नहीं देंगे। हालांकि, पुलिस ने अधिकांश कार्यकर्ताओं को बलपूर्वक गिरफ्तार कर लिया है। इस कार्रवाई के बाद सर्व सेवा संघ पर ही नहीं साबरमती, वर्धा, दिल्ली और देश भर में स्थित गांधी संस्थाओं के अस्तित्व पर संकट के बादल मडराने लगे हैं। 

सर्व सेवा संघ ने 63 वर्ष पहले वाराणसी के राजघाट में जिस जमीन को रेलवे से खरीदा था, उसे अब रेल महकमे के अफसरों ने अवैध निर्माण घोषित कर दिया है। सेल डिड के कागजों को कूटरचित यानी फर्जी दस्तावेज करार दिया है। यानी सीधे तौर पर तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री और विनोबा भावे पर जालसाजी के आरोप लगाए गए हैं। इतना ही नहीं मामला कोर्ट में होने के बावजूद प्रशासन एकतरफा कार्रवाई करने जा रही है। 

बताया जाता है कि यह परिसर 1960 या 62 में बना होगा। रेलवे ने इसी सर्व सेवा संघ को अपने तमाम रेलवे स्टेशन पर गांधी विचार के प्रचार प्रसार के लिए, सर्वोदय बुक स्टॉल आवंटित किए थे। जो आज भी कई स्टेशनों पर मौजूद हैं। अब उसी सर्व सेवा संघ को मोदी सरकार का रेल विभाग अचानक अवैध कब्जेदार घोषित कर रहा है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई ने न केवल गांधीजनों बल्कि हर लोकतंत्र पसंद व्यक्ति को हैरान कर दिया है। सवाल उठ रहा है कि 1960 में रेलवे से बैनामा ली गई जमीन अचानक अवैध कैसे हो गई?

बता दें कि ये जगह तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पहल पर रेलवे ने विनोबा भावे की अगुवाई वाले सर्व सेवा संघ को बाकायदा सेल डीड करके बेची थी। हालांकि, अब सारे दस्तावेजों को सरकार कूटरचित यानी जाली बता रही है।