जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला की हाईकोर्ट में नियुक्ति के हक़ में नहीं थे सुप्रीम कोर्ट के दो जज

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पुष्पा गनेड़ीवाला को बॉम्बे हाईकोर्ट में जज बनाए जाने की सिफ़ारिश की थी, लेकिन दो अन्य जजों ने उनकी नियुक्ति के ख़िलाफ़ राय दी थी

Updated: Jan 31, 2021, 06:39 AM IST

Photo Courtesy: Amar Ujala
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नई दिल्ली/मुंबई। बच्चियों के यौन उत्पीड़न से जुड़े दो मामलों में विवादास्पद फैसले देने वाली बॉम्बे हाई कोर्ट की जज पुष्पा गनेड़ीवाला इन दिनों काफी चर्चा में हैं। अब मीडिया में ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि सुप्रीम कोर्ट के दो जज जस्टिस पुष्पा को बॉम्बे हाई कोर्ट में जज में नियुक्त किए जाने के पक्ष में नहीं थे। इन रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि दो जजों की नकारात्मक राय के बावजूद जस्टिस गनेड़ीवाला की नियुक्ति की गई थी। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस पुष्पा को हाईकोर्ट जज के परमानेंट जज के तौर पर कन्फर्म करने की सिफारिश भी वापस ले ली है।

इंडियन एक्सप्रेस और द प्रिंट की रिपोर्ट्स के मुताबिक नवंबर 2017 में पहली बार जस्टिस पुष्पा की बॉम्बे हाई कोर्ट में नियुक्त करने के लिए तीन सदस्यीय कॉलेजियम को प्रस्ताव भेजा गया था। इस कॉलेजियम में तत्कालीन CJI दीपक मिश्रा, तत्कालीन जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस मदन बी लोकुर शामिल थे। लेकिन उस वक्त कॉलेजियम ने जस्टिस पुष्पा की नियुक्ति की सिफारिश नहीं की। इसके बाद जनवरी 2019 में एक बार फिर जस्टिस पुष्पा की हाई कोर्ट में नियुक्ति के प्रस्ताव पर कॉलेजियम ने विचार किया। उस वक्त कॉलेजियम में  तत्कालीन CJI रंजन गोगोई, तत्कालीन जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एके सीकरी शामिल थे। कॉलेजियम ने इस बार जस्टिस गनेड़ीवाला की नियुक्ति पर कॉलेजियम ने अपनी सहमति प्रदान कर दी, जिसके बाद फऱवरी 2019 में उन्हें जज नियुक्त कर दिया गया।

लेकिन इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के दो जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएम खानविलकर ने जस्टिस पुष्पा की नियुक्ति के खिलाफ अपनी राय दी थी। अखबार के मुताबित दोनों जजों का कहना था कि जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाला को लीगल प्रैक्टिस से ज़्यादा पढ़ाने का अनुभव है। दोनों जजों ने डिस्ट्रिक्ट जज के तौर पर पुष्पा के फैसलों का उदाहरण देते हुए कहा था कि उनकी कानूनी समझ हाईकोर्ट जज बनने के लिहाज़ से परिपक्व नहीं है। लेकिन अखबार के मुताबिक दोनों जजों की आपत्तियों को दरकिनार करके पुष्पा गनेड़ीवाला को बॉम्बे हाई कोर्ट में नियुक्त कर दिया गया। 

अब जस्टिस पुष्पा के हाल में सुनाए गए कुछ फैसलों ने उन्हें जिस तरह खबरों में ला दिया, उससे ये पुरानी बातें फिर से चर्चा में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक जज के तौर पर जस्टिस पुष्पा भविष्य दो संभावनाओं पर टिका हुआ है। पहले यह कि अगर उनकी नियुक्ति कन्फर्म नहीं की गई तो प्रोबेशन खत्म होने के बाद उन्हें वापस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट लौटना होगा। दूसरा यह कि उनके प्रोबेशन पीरियड को आगे बढ़ाया जा सकता है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस पुष्पा के प्रोबेशन पीरियड को बढ़ाए जाने की फिलहाल ज्यादा संभावना नज़र आ रही है।

दरअसल जस्टिस पुष्पा के हाल में सुनाए गए दो फैसले विवादों में हैं। उन्होंने अपने एक फैसले में 12 साल की नाबालिग बच्ची पर यौन हमला करने के  39 वर्ष के आरोपी को पॉक्सो के सख्त प्रावधानों के तहत सज़ा सुनाने लायक नहीं माना था। इसके लिए उन्होंने दलील दी थी कि आरोपी ने बच्ची के कपड़े हटाए बिना उसे गलत ढंग से पकड़ा था, इसलिए स्किन टू स्किन टच नहीं हुआ। ऐसे में उसे पॉक्सो एक्ट के तहत यौन हमला नहीं माना जा सकता है। पुष्पा के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। इसके बाद जस्टिस गनेड़ीवाला ने एक और फैसले में पांच साल की बच्ची का हाथ पकड़ कर उसके सामने पैंट की ज़िप खोलने को पॉक्सो एक्ट के तहत यौन हमला नहीं माना था। इन दोनों फैसलों की काफी आलोचना हुई। इसी के बाद खबर आई कि कॉलेजियम ने उनकी नियुक्ति को कन्फर्म करने की सिफारिश वापस ले ली है।