दफ्तर दरबारी: मजबूर या मजबूत कलेक्‍टर, 19 अधिकारियों को क्‍यों देना पड़ा नोटिस

MP News: आईएएस अक्षय कुमार सिंह चार माह पहले शिवपुरी से ग्‍वालियर के कलेक्‍टर बना कर भेजे गए थे. इस दौरान उन्‍होंने जनता से संपर्क के लिए तरह-तरह के नवाचार किए. लेकिन उनका एक कदम सवाल उठा रहा है कि मजबूत दिखाई देने वाले आईएएस अक्षय कुमार सिंह कहीं मजबूर कलेक्‍टर तो नहीं हैं?

Updated: Jun 10, 2023, 04:43 PM IST

जन शिकायतों को सुनते हुए ग्‍वालियर कलेक्‍टर अक्षय कुमार सिंह।ट
जन शिकायतों को सुनते हुए ग्‍वालियर कलेक्‍टर अक्षय कुमार सिंह।ट

राजनीतिक दबाव में असहाय हुए कलेक्‍टर 

कलेक्टर जिले का मुखिया होता है, सबसे ताकतवर अफसर। वह चाहे जैसे प्रशासन को संचालित कर सकता है मगर ग्‍वालियर कलेक्‍टर ने जो किया है उससे सवाल उठ रहे हैं कि वे मजबूत कलेक्‍टर हैं या मजबूर कलेक्‍टर?

आईएएस अक्षय कुमार सिंह चार माह पहले शिवपुरी से ग्‍वालियर के कलेक्‍टर बना कर भेजे गए थे. इस दौरान उन्‍होंने जनता से संपर्क के लिए तरह-तरह के नवाचार किए. पद संभालने के 20 दिन बाद जब वे पहली बार प्रेस से औपचारिक रूप से मिले थे तब उन्‍होंने कहा था कि ग्‍वालियर में उन्‍हें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। उनका इशारा ग्‍वालियर के प्रशासनिक अमले की तरफ था।

इसबीच समीक्षा बैठकों में कलेक्‍टर ने स्‍टॉफ को कई बार हिदायतें दी मगर मुख्‍यमंत्री हेल्‍पलाइन जैसे योजना के क्रियान्‍वयन में अफसर लापरवाही बने रहे। यहां तक कि खुद कलेक्‍टर ने बैठ कर सीएम हेल्‍पलाइन की समस्‍याओं को देखा, जाना तथा निराकरण की व्‍यवस्‍था को जांचा। लेकिन अधीनस्‍थ्‍ज्ञ अमले को कोई फर्क नहीं पड़ा। इस निठल्‍लेपन से कलेक्‍टर इतने मजबूर हो गए कि उन्‍होंने 19 ऐसे अधिकारियों को कारण नोटिस जारी कर दिए जो काम नहीं कर रहे हैं। इतना ही नहीं कलेक्‍टर ने काम के प्रति लापरवाह इन 19 अफसरों के नाम भी सार्वजनिक कर दिए हैं।

जिन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं उनमें संपदा अधिकारी साडा,  सीडीपीओ डबरा, प्राचार्य पॉलीटेक्निक कॉलेज, एपीटीओ राजस्व नगर निगम, सहायक प्रबंधक विद्युत डबरा, नायब तहसीलदार मोहना, जोनल ऑफीसर नगर निगम, सहायक स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम,  भवन अधिकारी नगर निगम, तहसीलदार, प्रभारी सहायक यंत्री पेयजल नगर निगम, मुख्य नगर पालिका अधिकारी शामिल हैं। 

प्रदेश में अपनी तरह का यह अनूठा मामला है जब सर्वशक्तिमान माने जाने वाले कलेक्‍टर को मजबूर हो कर अपना आदेश नहीं मानने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों के नाम सार्वजनिक करने पड़े हों। कायदा तो यह कहता है कि कलेक्‍टर काम के प्रति लापरवाह इन अधिकारियों के विरूद्ध अनुशासनात्‍मक कार्रवाई करे और दंडित करे। मगर लगता है कि अधिकारियों को राजनीतिक प्रश्रय प्राप्‍त है और इस राजनीतिक रसूख के आगे कलेक्‍टर अक्षय सिंह भी मजबूर हैं।

माना जाता है कि ग्‍वालियर में केंद्रीय मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की इच्‍छा के बगैर कोई प्रशासनिक नियुक्ति नहीं होती है। फिर शिवपुरी से ग्‍वालियर भेजे गए कलेक्‍टर अक्षय कुमार सिंह को प्रशासन सहयोग क्‍यों नहीं कर रहा है? कलेक्‍टर के प्रति अधिकारियों का असहयोग किसके इशारे पर हो रहा है? यह किसका प्रश्रय है कि मजबूत समझने जाने वाला प्रशासनिक मुखिया अपने जिले में खुद को सिस्‍टम के आगे असहाय महसूस कर रहा है?

सेवानिवृत्ति के बाद भी संघ में सेवा की संभावनाएं 

आईएएस जैसी सरकारी सर्विस से सेवानिवृत्‍त होने के बाद यदि सरकारी कामकाज के लिए पुनर्वास नहीं होता है तो अन्‍य अवसर खत्‍म नहीं होते हैं। ऐसे अफसरों के लिए राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ में नए अवसर बन रहे हैं। 2012 में सेवानिवृत्‍त हुए पूर्व डीजीपी एसके राउत को ऐसा ही अवसर मिला है।  

पूर्व डीजीपी एसके राउत को संघ ने नई सक्रिय भूमिका के लिए चुना है। राउत को हिंदवी स्वराज्य के 350 वर्ष मनाने के बनाई गई समिति का अध्‍यक्ष बनाया गया है। यह समिति संघ के मध्य भारत प्रांत में कार्य करेगी। मध्‍य भारत प्रांत में भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा, नर्मदापुरम, हरदा, बैतूल, राजगढ़, गुना, शिवपुरी, अशोकनगर, श्‍योपुर जिले आते हैं। राउत ने आयोजन समिति का अध्‍यक्ष पद ग्रहण कर कामकाज शुरू कर दिया है। उनका लक्ष्‍य है कि 15 जून तक मध्‍य भारत प्रांत में खंड स्‍तर पर समितियों का गठन कर लिया जाए। ये समितियां हिंदवी स्वराज्य के 350 वर्ष मनाने के लिए विभिन्‍न आयोजन करने के साथ जन जागरण का कार्य करेगी। 

पूर्व डीजीपी एसके राउत को यह जिम्‍मेदारी मिलने के साथ ही अब अन्‍य रिटायर्ड अधिकारियों के लिए संघ में जाने की राह खुल गई है। 

मुख्‍यमंत्री के विभाग में जांच का जिम्‍मा रिटायर्ड आईएएस को 

राज्य शासन ने अमेरिका की टेक्सट्रान कंपनी से दो इंजन वाला किंग एयर बी-250 (टर्बोप्राप) 62 करोड़ में खरीदा था। यह विमान छह मई 2021 को लैंडिंग के दौरान ग्‍वालियर दुघर्टनाग्रस्त हो गया था। तब से जांच के लिए विमान का मलबा ग्‍वालियर विमानतल पर ही रखा हुआ है। अब दो साल बाद इस विमान दुर्घटना की जांच की राह खुल गई है। 

रिटायर्ड आईएएस अशोक सिंह को विमानन विभाग की जांच का जिम्‍मा भी दिया गया है। प्रमोटी आईएएस अशोक सिंह 2015 में रिटायर्ड हुए हैं तथा वर्तमान में सामान्‍य प्रशासन विभाग में विभिन्‍न मामलों की जांच के लिए नियुक्‍त हैं। वे राज्य भूमि सुधार आयोग में वरिष्‍ठ सलाहकार भी हैं। 

आईएएस अशोक सिंह के पहले प्रमोटी आईएएस सतीश मिश्रा को विमानन विभाग के मामलों की जांच का काम सौंपा गया था। सतीश मिश्रा ने जांच आरंभ की थी लेकिन जांच पूरी किए बिना ही वे पद छोड़ कर चले गए थे। अब जांच एक बार फिर प्रमोटी आईएएस के हाथ में आई है। 

विमानन‍ विभाग मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अधीन है और यहां की गड़बडि़यां सीधे मुख्‍यमंत्री से जुड़ेंगी इसलिए इन मामलों की जांच महत्‍वपूर्ण है और सरकार भी गंभीरता से कदम रख रही है। अशोक सिंह की जांच पर निर्भर करेगा कि कौन दोषी साबित होता है और कौन निर्दोष। 

सीएम के प्रिय कलेक्‍टर क्‍यों बोल गए अप्रिय सच 

सीहोर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला है और वहां पदस्‍थ कलेक्‍टर प्रवीण सिंह मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रिय आईएएस हैं। आईएएस सिंह मुख्‍यमंत्री को इतने पसंद है कि उनके कार्य की मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सार्वजनिक प्रशंसा कर चुके हैं। 

लेकिन मुख्‍यमंत्री सिंह के इस प्रिय अफसर ने एक ऐसा वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्‍ट कर दिया जिससे सरकार की किरकिरी हो गई। इस वीडियो में लाड़ली बहना योजना पर प्रतिक्रिया दे रही महिला खुलासा करती है तो महंगाई के दौर में एक हजार रुपया मिलने से कुछ सहायता नहीं मिलने वाली है। लाड़ली बहना योजना का प्रमोशन करने के बदले इसके लिए नकारात्‍मक टिप्‍पणी वाला वीडियो कलेक्‍टर के अकाउंट से पोस्‍ट होते ही वीडियो चर्चा में आ गया। हल्‍ला मचा तो कलेक्‍टर ने पोस्‍ट डिलीट कर दी लेकिन तब तक वीडियो कई जगह पहुंच चुका था। 

कारण तलाशे जा रहे हैं कि ऐसा क्‍या हुआ कि सीएम के प्रिय आईएएस ने सरकार को अप्रिय लगने वाला सच उजागर कर दिया? कहीं यह लाड़ली बहना योजना से असहमत ब्‍यूरोक्रेसी की प्रति‍क्रिया तो नहीं है? वित्‍त विभाग सहित कुछ अधिकारी सरकार की इस योजना से असहमत हैं और माना जा रहा है कि अपने समर्थन में मैदान से मिल रहे फीडबैक को सार्वजनिक कर कलेक्‍टर ने हटा लिया। इस तरह ‘सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी’ की तर्ज पर योजना की आलोचना भी हो गई और चूक मान कर पोस्‍ट हटा भी दी गई।