बीज प्रमाणीकरण के नाम पर धोखाधड़ी, किसानों से प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ की हो रही लूट: जीतू पटवारी

उन्नत बीज के नाम पर किसानों को दिया जा रहा घटिया बीज, कर्ज, क्राईम और करप्शन की सरकार अपना पेट भरने के लिए किसानों का गला घोट रही है: जीतू पटवारी

Updated: Jul 27, 2024, 04:06 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रदेश में बड़े स्तर पर हो रहे गड़बड़झाला का उजागर किया है। पटवारी ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीज प्रमाणीकरण के नाम पर किसानों के साथ धोखाधड़ी हुई और गरीब किसानों से प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ रुपए लूटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कर्ज, क्राईम और करप्शन की सरकार अपना पेट भरने के लिए किसानों का गला घोट रही है।

कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पटवारी ने कहा कि किसानों को उन्नत बीज के नाम पर घटिया फसल को तीन गुना दाम पर बेचकर हजारों करोड़ रूपयों का भ्रष्टाचार बीज उत्पादक कंपनियों तथा बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा किया जा रहा है। 40 लाख क्विंटल बोगस फसल को उन्नत और संकर बीज का टैग लगाकर किसानों को बेचा गया है और इस खेल में प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ का भ्रष्टाचार सरकार द्वारा किया जा रहा है।

पटवारी ने प्रदेश सरकार से कहा कि देश के किसानों से यदि ऐसे ही झूठ बोलेंगे, तो यह अन्न उपजाने वाले किसानों के साथ आपराधिक अन्याय होगा। सरकार कागजी आंकड़ों के भरोसे झूठे बयान देना बंद करे। उन्होंने कहा कि 15 से 20 वर्ष से बीज प्रमाणीकरण संस्था में जमे अधिकारी बेलगाम हो गये हैं और किसानों का बोगस पंजीकरण दिखाकर उन्नत किस्म के बीज का उत्पादन बताया जा रहा है। पिछले 15 वर्षों से बीज प्रमाणिकरण संस्था बीज उत्पादक, कंपनियों से दूरभी संधि कर कागजों में उन्नत बीज की पैदाइश बताकर सामान्य फसल पर टेग लगाकर बेच रही है।

पटवारी ने कहा कि किसानों का फसल उत्पादन लगातार घट रहा है और प्रति हेक्टेयर में उत्पादकता की निरंतर कमी होती जा रही है। बीज कंपनियों ने प्याज, आलू, चना, मटर से गेहूं का उत्पादन बताकर प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ का भ्रष्टाचार कर रही है। फर्जी बीज की पाठशाला में अमरूद, नींबू से सोयाबीन, गेंहूं, धान को सोयाबीन में बदलने, चारा को गेंहू बताने और रकबे को 10 से 100 गुना अधिक बताने की जालसाजी का बड़ा खेल खेला जा रहा है।
उन्नत बीज के नाम पर गरीब किसानों से प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ की लूट के कारण किसान बेहाल होकर आत्महत्या कर रहे हैं।
 
पटवारी ने कहा कि हमारे देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह संसद में किसानों को लेकर बड़े बड़े भाषण दे रहे हैं। लेकिन बतौर मुख्यमंत्री आपने ही मध्य प्रदेश के किसानों से वादा किया था कि गेहूं-धान के लिए 2700 और 3100 रूपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाएगा। चुनाव के बाद चली पर्ची में शिवराज सिंह तो मप्र से चले गए, लेकिन उनके साथ साथ मध्य प्रदेश में भाजपा द्वारा प्रदेश के किसानों से किये गये वादे भी चले गए। 

इस दौरान पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने कहा कि पिछले 3 वर्षों में खरीफ और रबी के मौसम मिलकर 31 लाख क्विंटल से 38 लाख क्विंटल उन्नत एवं संकर बीज की जगह बोगस बीज को प्रमाणीकरण कर किसानों के साथ धोख किया जा रहा है। निजी कपंनिया बीज का उत्पादन कर रही हैं। प्रमाणीकरण संस्था से संधि कर किसानों का ऑनलाईन खसरा निकालकर बोगस पंजीकरण कर रही है। आरटीआई के दस्तावेजों की सैंपलिंग में कागजों पर संस्था के अधिकारी प्रथम और अंतिम बोगस निरीक्षण प्रतिवेदन तैयार कर रहे हैं, जिसमें न तो कृषक का फोटो देखा गया है और ना ही हस्ताक्षर मिले हैं। अधिकांश निरीक्षण प्रतिवेदन में कृषक का खेत में फोटो के स्थान पर अन्य स्थानों को फोटो चस्पा दिया जाता है। कृषक खेत के स्थान पर होटल, घर, कार, टेक्टर में नजर आता है।

उन्होंने आगे कहा किसानों ने खेत में प्याज, लहसुन, मटर, चना, आलू की फसल लगाई लेकिन सर्वें के आधार पर गेंहूं का उत्पादन बताकर बीज प्रमाणीकरण कर दिया गया। अशोकनगर में 30 से अधिक प्रकरणों में धान के खेत में सोयाबीन का उत्पादन बता दिया गया, बड़नगर में अमरूद और नींबू के बगीचे में गेहूं और सोयाबीन का उत्पादन बताया गया। एक ही मौसम में दो-दो कंपनियों का पंजीकरण कर दिया गया। चारे के खेत में गेहूं का उत्पादन बताया गया। बंजर जमीन पर गेहूं का उत्पादन बताया गया। उज्जैन के घटिया, बड़नगर, घटिया, सारोला आदि गांवों में खेत में पानी भरा होने के बावजूद गेहूं और सोयाबीन का उत्पादन दिखाया गया।