जी भाई साहब जी: अविश्वास प्रस्ताव गिरा मगर कांग्रेस ने मौका देख मारा चौका
बड़े दिनों बाद मध्य प्रदेश विधानसभा में ऐसा दृश्य दिखा जब प्रतिपक्ष ने मौका देख चौका मारा है। कांग्रेस के विधायक आक्रामक हुए,मगर भड़के नहीं। बहिर्गमन कर मैदान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए खुला नहीं छोड़ा। बल्कि प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री चौहान को अपने एजेंडे पर चलने के लिए मजबूर भी किया।

मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन कांग्रेस द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया लेकिन विपक्ष ने मौका का फायदा उठाते हुए चौका लगाने में देरी नहीं की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देने के लिए बड़ी तैयारी से आए थे। वे अपनी सरकार को घेरने के लिए लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करते जा रहे थे मगर विपक्षी विधायकों ने जवाब को एकतरफा होने से बचा लिया।
जिस तरह से कांग्रेस ने सदन में अविश्वास प्रस्ताव रखा था और तमाम मंत्रियों के जवाब के बाद भी सरकार को घेरने की कोशिश की थी, उसे देख तय था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जवाब उतना ही मजबूत होगा। यही कारण था कि विधानसभा सचिवालय ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भाषण को लाइव दिखाने की व्यवस्था की थी। यानी सदन में जो हो रहा था वह सीधे जनता घर में बैठ कर देख रही थी।
11 बजे जब सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो सदन में कोई विपक्षी विधायक नहीं था। मुख्यमंत्री चौहान सदन में आ चुके थे। मंत्री और बीजेपी के विधायक भी पहले ही आ गए थे। अध्यक्ष ने कार्यवाही आरंभ की। लगा कि कहीं विपक्ष अपनी बात कहकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बात को नहीं सुनने का निर्णय तो नहीं कर चुका है। पहले भी ऐसा हो चुका है जब विपक्ष ने अपनी बात तो कही लेकिन जब मुख्यमंत्री चौहान के जवाब देने की बारी आई तो किसी बात पर हंगामा कर समूचा प्रतिपक्ष बहिर्गमन कर गया। उसके बाद मुख्यमंत्री चौहान ने अपनी ही पार्टी के विधायकों के सामने बात रखी ताकि सदन की कार्यवाही में उनका जवाब भी दर्ज हो जाए।
लेकिन गुरुवार को ऐसा नहीं हुआ। कुछ पल में विपक्ष के विधायक सदन में आए गए। उन्होंने आते ही सीता माता और राम भगवान को लेकर दिए गए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव और विधायक रामेश्वर शर्मा के बयान पर हंगामा शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री चौहान अपना जवाब शुरू कर भी नहीं पाए थे और विपक्ष ने अपने तेवर दिखला दिए। मगर बात इतनी नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जवाब पूरे ढ़ाई घंटे का हुआ लेकिन विपक्ष के तेवर ठंडे नहीं हुए। प्रतिपक्ष के विधायक बार-बार मुख्यमंत्री चौहान को टोकते रहे।
कांग्रेस की ओर से जीतू पटवारी, तरूण भानोत, प्रियव्रत सिंह, ओंकार सिंह मरकाम, सचिन यादव, सज्जन वर्मा और विजयलक्ष्मी साधो आदि ने तथ्यों के साथ बात रखी। सभी पूर्व मंत्री हैं और वे न केवल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आरोपों का जवाब दे रहे थे बल्कि उनसे सवाल कर उनके भाषण की दिशा अपने मुद्दों की ओर ले जाने का प्रयास भी कर रहे थे। तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोपों के बीच ऐसे पल भी जाए जब अध्यक्ष गिरीश गौतम ने प्रतिपक्ष के विधायकों की कुछ बातों को सदन की कार्यवाही से विलोपति करवा दिया लेकिन लाइव प्रसारण के कारण वे बातें घरों में बैठकर सुनी ही गईं।
प्रतिपक्ष के विधायक आक्रामक हुए, तीखे शब्दों का प्रयोग भी किया मगर वे भड़के नहीं, बहिर्गमन कर मैदान मुख्यमंत्री चौहान के लिए खुला नहीं छोड़ा। इस तरह शिवराज सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव भले ही गिर गया मगर विपक्ष अपने मुद्दों को जनता के सामने लाने में तथा सदन की कार्यवाही में अपनी बात दर्ज करवाने में कामयाब हुआ। अब बात जनता की अदालत में होगी क्योंकि स्वयं अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सदन संचालन के दौरान कहा कि जनता सब देख रही है।
जब विपक्ष की तकनीक में घिरे दिखाई दिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
गुरुवार की सुबह विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देने उतरे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अलग ही रंग में थे। विपक्ष के आरोपों का जवाब देने तथा अपनी सरकार की विशेषताएं बताने के पहले वे कांग्रेस सरकार पर हमलावर हुए। मुख्यमंत्री ने सिंचाई योजना में घोटाला, जलजीवन मिशन चालू नहीं करने, किसानों की कर्ज माफी नहीं होने जैसे मुद्दे उठाकर कहा कि कमलनाथ सरकार ने जनता के हित में काम नहीं किया।
सीएम के भाषण में कांग्रेस सरकार पर हमले होते देख विपक्षी विधायक सक्रिय हो गए। कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने मुख्यमंत्री पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया और कहा कि जलजीवन मिशन के तहत उनके विधानसभा क्षेत्र में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने योजना का शिलान्यास किया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कमलनाथ सरकार पर लगाए गए आरोपों का हस्तक्षेप करते हुए प्रतिपक्ष के विधायकों ने तुरंत जवाब दिए। जब मुख्यमंत्री चौहान ने बीजेपी ऑफिस में सरकारी खर्च पर खाना खिलाने के कांग्रेस के आरोप पर कहा कि बीजेपी कार्यालय में एक नया पैसा नहीं लगाया गया। आप अंधेरे में लट्ठ मारते रहते हैं।
इसपर राऊ विधायक जीतू पटवारी कागजों के साथ खड़े हो गए। उन्होंने कहा कि उनके पास दस्तावेज हैं जिसमें जनसंपर्क विभाग ने बताया है कि बीजेपी कार्यालय में 2014 से 2018 के बीच 90 बार खाना खिलाया गया। ये प्रश्न का उत्तर है। उन्होंने कहा कि बीजेपी कार्यालय में 200 लोगों को 80 हजार की चाय पिलाई गई है। जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री चौहान को चुनौती दी कि वे यह कागज पटल पर रख सकते हैं। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि यदि वे गलत हैं तो उनकी सदस्यता निरस्त की जाए। यदि अफसरों ने गलत जवाब दिया है तो उन पर कार्रवाई हो और अन्यथा मुख्यमंत्री कांग्रेस का आरोप स्वीकार करें।
हंगामे के बीच बात खो कर रह गई और मुख्यमंत्री चौहान ने पटवारी के आरोपों का उत्तर नहीं दिया। किसान कर्जामाफी पर मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आपने 7 हजार करोड़ कर्जा माफ किया इस पर तरुण भनोत ने कहा कि सीएम ने स्वीकार किया कि कांग्रेस सरकार ने कर्जा माफ किया है। पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने वर्तमान कृषि मंत्री कमल पटेल की पत्नी की कर्जमाफी पर सरकार को घेरा। ढ़ाई घंटे के मुख्यमंत्री चौहान के जवाबी भाषण के दौरान कई मौके आए जब प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री चौहान को अपने एजेंडे पर बोलने के लिए मजबूर किया। कुल मिलाकर अविश्वास प्रस्ताव गिर गया लेकिन जनता के मुद्दों पर सरकार को घेरने में कांग्रेस कुछ हद तक कामयाब दिखी।
मंच से अधिकारियों का निलंबन क्या दिखावा?
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब काम नहीं करने पर मंच से अधिकारियों व कर्मचारियों को सस्पेंड करते हैं तो तालियां जरूर मिलती है लेकिन सवाल भी उठते हैं। सवाल यह कि कर्मचारी का पक्ष तो जाना नहीं गया है। अकसर देखा गया है कि दोषी तंत्र की सजा किसी एक कर्मचारी को मिल जाती है। यह तो नेपथ्य की बात है। असल में तो जनता की वाहवाही का तत्काल फायदा मिल ही जाता है। यह अलग बात है कि न्याय की अदालत में मुख्यमंत्री चौहान के एक्शन कानूनी रूप से जायज़ नहीं ठहर पाते और मंच का आदेश कानून की देहरी पर ढेर हो जाता है।
9 दिसंबर को मुख्यमंत्री चौहान ने छिंदवाड़ा जिले में सीएमएचओ डॉ. जीसी चौरसिया को निलंबित किया था। अब हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री द्वारा डॉ. चौरसिया को निलंबित किए जाने वाले आदेश पर स्टे दे दिया है। इसके पहले 22 सितंबर को भी जनसभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आयुष्मान कार्ड नहीं बनाए जाने की शिकायत पर इसी सीएमएचओ डॉ. जीसी चौरसिया को सस्पेंड कर दिया था। तब भी डॉ. चौरसिया ने सीएम के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी जिस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने सस्पेंड करने के आदेश को रद्द कर डॉ. जीसी चौरसिया को सीएमएचओ बनाने का आदेश फिर से जारी कर दिया है।
यानी मंच से न्याय करनेवाली परंपरा का राजनीतिक माइलेज भले ही मिल जाए, कोर्ट में जाते ही ऐसे आदेश रद्द हो जा रहे हैं और सभा में की गई कार्रवाई महज दिखावा साबित हो रही है। सवाल तो यह भी है कि सीएम यह जानते हुए कि उनके आदेश विधिसम्मत साबित करने मुश्किल हैं, किसलिए ऐसे फैसले बार बार कर रहे हैं।
कोरोना की आहट के बीच प्रवासी सम्मेलन में विदेशी मेहमान की आमद क्यों?
विधानसभा में बोलते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना की वापसी पर चिंता प्रकट की। इसपर कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने पूछ लिया कि सरकार की कोरोना को लेकर क्या तैयारी है? जवाब में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम साप्ताहिक समीक्षा बैठक शुरू कर रहे हैं। सार्वजनिक स्थानों पर मास्क अनिवार्य किया जा सकता है। बूस्टर डोज लगवाने का आग्रह किया जाएगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस चिंता के बीच कांग्रेस का यह सवाल भी चर्चा में है कि जब चीन में कोरोना का नया वैरिएंट तबाही मचा रहा है तो जनवरी में इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन क्यों किया जा रहा है? सरकार की तैयारी है कि 80 देशों के प्रवासी भारतीयों सहित करीब 3 हजार मेहमानों को इंदौर की होटलों और लोगों के घरों में ठहराने, भोजन कराने की है।
सवाल यही उठा है कि इन विदेशी मेहमानों से कोरोना वायरस लौट आया तो क्या होगा? अभी केंद्र सरकार एयरपोर्ट पर रैंडम कोरोना जांच कर रही है। जिस तरह नए वैरिएंट के प्रभावित गुजरात सहित दूसरे राज्यों में पहुंच गए हैं विदेशी मेहमानों को अगले माह इंदौर में बुलाना खतरे से खाली नहीं होगा। जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भारत जोड़ो यात्रा बंद करने तथा कोरोना गाइडलाइन पर सख्ती की पैरवी कर रहे हैं तब प्रवासी भारतीय सम्मेलन के आयोजन से कोरोना फैलने का भय तो होगा ही।