जी भाईसाहब जी: बीजेपी कार्यसमिति में मन की चलेगी या मनमर्जी की

MP BJP: लंबे समय से एमपी बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता इंतजार कर रहे हैं कि संगठन उनकी बात भी सुने। अब ऐसा मौका आ रहा है जब मध्य प्रदेश बीजेपी के सभी बड़े नेता और महत्‍वपूर्ण मैदानी कार्यकर्ता एक सभा में होंगे। यह आयोजन है बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक। क्‍या इस बार नाराजगी खुल कर व्‍यक्‍त हो पाएगी या नेता ही अपनी बात सुनाएंगे?

Updated: May 18, 2023, 10:03 AM IST

बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा
बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा

चुनाव के मुहाने पर खड़े मध्‍य प्रदेश की बीजेपी में इन दिनों मन की बात की बड़ी चर्चा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को सार्वजनिक रूप से कार्यकर्ताओं को सुनवाया जाता है। उद्देश्‍य यही है कि ऊपर की बात नीचे तक पहुंचे। शीर्ष नेता तो अपने मन की बात कह लेते हैं मगर बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं की भी मन की बात है। वे चाहते हैं कि उनकी मन की बात भी नीचे से ऊपर तक पहुंचे लेकिन पार्टी नेतृत्‍व उनकी मन की बात सुनने को तैयार नहीं है।  

पिछले दिनों जब पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस की सदस्‍यता ले ली थी तो दिग्‍गज नेता कैलाश विजयवर्गीय, रघुनंदन शर्मा, भंवर सिंह शेखावत ने अपने बयानों से असंतोष और कार्यकर्ताओं की नाराजगी को व्‍यक्‍त किया था। इस जैसे इक्‍का-दुक्‍का मौकों पर ही नेताओं ने खुल कर अपनी बात कही है अन्‍यथा तो पार्टी ने नेताओं व कार्यकर्ताओं को उनके मन की बात रखने का मौका ही नहीं दिया है। जब कभी किसी नेता ने कोई बयान दिया तो उसे भोपाल तलब कर लिया गया है या अनुशासन के डंडे से चुप करवा दिया गया है। 

लंबे समय से कार्यकर्ता और नेता इंतजार कर रहे हैं कि संगठन उनकी बात भी सुने। अब ऐसा मौका आ रहा है जब मध्य प्रदेश बीजेपी के सभी बड़े नेता और महत्‍वपूर्ण मैदानी कार्यकर्ता एक सभा में होंगे। यह आयोजन है बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक। यह बैठक 19 मई को भोपाल में आयोजित की गई रही है। कार्यसमिति बैठक के लिए जिलाध्‍यक्षों सहित मैदानी पदाधिकारियों को बुलाया गया है। इसके दो दिन बाद जिला इकाइयों और 23 मई को सभी मंडलों की कार्यसमिति बैठकें आयोजित होंगी। कार्यसमिति की पिछली बैठक में प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने ‘अबकी बार 200 पार’ का नारा दिया था। 19 मई को कार्यसमिति की बैठक में 200 पार के लक्ष्‍य पर काम की समीक्षा की जाएगी।  

इस बैठक में नेतृत्‍व अपने ‘मन की बात’ कार्यकर्ताओं और नेताओं को सुनाना चाहता है जबकि मैदानी कार्यकर्ता और नेता अपने मन की बात सुनाने को बेताब हैं। अब देखना होगा कि संगठन की मनमर्जियां चलती है या मैदानी कार्यकर्ताओं को मन की बात कहने का मौका दिया जाता है?  कार्यसमिति की बैठक के लिए भोपाल आ रहे नेता अपना असंतोष जाहिर कर चैन पाते हैं या नेतृत्‍व अपनी ही बात सुना कर उन्‍हें रवाना कर देगा? 

डबल इंजन सरकार में मोदी का ढोल बजाएंगे सांसद 

मध्य प्रदेश में बीजेपी के प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव ने भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने बहुत काम किए हैं। इन कामों को प्रदेश की जनता के सामने ढपली बजाकर और लोरी गाकर सुनाना है। जिनको ढपली बजाना नहीं आता या लोरी जैसा गा नहीं सकते वो नेतागिरी के लायक नहीं हैं।

मुरलीधर राव द्वारा बताई गई नेता की इस योग्‍यता को साबित करने का चुनौती अब बीजेपी सांसद के समक्ष है। डबल इंजन सरकार मतलब केंद्र में मोदी की सरकार और प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार। बीजेपी इस बार चुनाव में इसी डबन इंजन सरकार के सहारे अपनी नैया पार करना चाहती हैं। पार्टी ने मैदान से मिल रहा यह संदेश तो अच्‍छी तरह से समझ लिया है प्रदेश में सत्‍ता विरोधी माहौल है।

इसलिए, दूसरे इंजन यानी मोदी सरकार के कामकाज को जनता के बीच अधिक जोरशोर से पहुंचाने की तैयारी है। इस क्रम में बीजेपी सांसदों को नया काम सौंप दिया गया है। पार्टी मोदी सरकार का गुणगान करने के लिए अपने सांसदों को एक माह के लिए मैदान में भेज रही हैं। सभी सांसद 30 मई से 30 जून तक अपने क्षेत्र में कार्यक्रम, संपर्क कर मोदी सरकार की उपलब्धियों का ढोल बजाएंगे। 

सिंधिया बन गए गले की हड्डी, बीजेपी की मुश्किल, घर सुधारे या संदेश दें 

कर्नाटक में सरकार बनने के बाद कांग्रेस खुश है और बीजेपी में मंथन का दौर जारी है। कर्नाटक चुनाव परिणामों के बाद एमपी में सिंधिया समर्थक मंत्री व विधायकों को नींद नहीं आ रही होगी। उतनी ही मुश्किल में बीजेपी हाईकमान भी हैं। 

2019 में कर्नाटक में कांग्रेस के 17 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी, जिससे एचडी कुमारस्वामी सरकार गिर गई। सत्ताधारी जेडीएस के भी 6 विधायक भाजपा में चले गए थे। 2023 के चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस के 14 विधायक और एक विधायक के बेटे को टिकट दिया था, जेडीएस के 6 सहित इन 21 दलबदलुओं में से 15 चुनाव हार गए हैं, मात्र 6 जीते हैं। कर्नाटक में बीजेपी मात्र दो दलबदलू विधायकों की टिकट काट पाई थी। चर्चा है कर्नाटक में दलबदलुओं के हारने का असर एमपी में भी दिखेगा। पार्टी पर दबाव है कि सिंधिया समर्थकों के टिकट काटे जाएं। 

अब नेतृत्‍व यह निर्णय नहीं कर पा रहा है कि  सिंधिया के समर्थकों का क्‍या करें? यदि उन्‍हें तवज्‍जो देती है तो अपने नेताओं की नाराजगी बढ़ने और कर्नाटक की तरह दलबदलुओं के हारने का जोखिम है। यदि तवज्‍जो नहीं देती है तो यह संदेश जाएगा कि बीजेपी में दल बदलने पर किया गया वादा नहीं निभाया जाता है। जबकि दल बदल पर पूरा सम्‍मान देने का संदेश देने के लिए ही एमपी में अपने अच्‍छे से अच्‍छे नेता को भी नाराज और साइडलाइन कर बीजेपी ने सिंधिया समर्थकों को पूरा महत्‍व और पद दिया है। 

कमलनाथ की राजनीति की शैली में नई चमक 

जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीति का ढंग और रूप नई चमक ले रहा है। मध्‍य प्रदेश कांग्रेस के अध्‍यक्ष कमलनाथ की राजनीति का अधिकांश समय दिल्‍ली में बीता है और उनके बारे में कहा जाता था कि वे कॉर्पोरेट शैली की राजनीति करते हैं। मध्‍य प्रदेश में आगमन के बाद इस आरोप ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। 

पिछले कुछ समय से बीजेपी की कट्टर हिंदुत्‍व राजनीति के बरअक्‍स सॉफ्ट हिंदुत्‍व की राजनीति को खड़ा किया गया है। कर्नाटक चुनाव में जीत के बाद पार्टी के सोशल मीडया फोरम  बजरंग बली का एक मीम भी खूब चर्चित हुआ। कार्पोरेट शैली की राजनीति करने की अपनी ख्‍यात छवि को तोड़ते हुए कमलनाथ अब अपनी शैली में नई चमक पैदा कर रहे हैं। वे ‘कार्पोरेट’ से हट ‘सोशल’ हो रहे हैं। इसका गवाह है 17 मई को भोपाल में आयोजित भारत जोड़ो अभियान का राज्‍य सम्‍मेलन सहित वे सामाजिक कार्यक्रम हैं जिनमें कमलनाथ पहुंच रहे हैं।

वे पिछले दिनों जाट सम्‍मेलन में शामिल हुए थे। इस सम्‍मेलन में मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पहुंचे थे। केवट जयंती पर मुख्‍यमंत्री निवास में कार्यक्रम हुआ तो कांग्रेस कार्यालय में भी आयोजन किया गया। कमलनाथ 18 मई को इंदौर जा रहे हैं जहां वे खाटू श्‍याम भजन संध्‍या में शामिल होंगे। यह सिलसिला अभी जारी ही नहीं रहेगा बल्कि बढ़ेगा।