दिल्ली की तरह छत्तीसगढ़ की हवा में घुला जहर, रायपुर में 350 के पार पहुंचा AQI
छत्तीसगढ़ में ठंड बढ़ते ही वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। राजधानी रायपुर का AQI 366 पार कर गया जो अत्यंत खराब श्रेणी में है। भिलाई, रायगढ़ और बिलासपुर समेत कई शहरों में हालात गंभीर हैं।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में बढ़ते वायु प्रदूषण ने आम लोगों की सेहत को लेकर गंभीर चिंता खड़ी कर दी है। ठंड बढ़ते ही प्रदेश के कई शहरों में वायु गुणवत्ता तेजी से बिगड़ रही है। सोमवार रात आठ बजे के बाद राजधानी रायपुर समेत कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर अचानक खतरनाक सीमा तक पहुंच गया। जिसकी वजह से हालात और गंभीर हो गए।
राजधानी रायपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 366 से ऊपर दर्ज किया गया जो अत्यंत खराब श्रेणी में आता है। इसके अलावा भिलाई में AQI 283, रायगढ़ में 274, बिलासपुर में 213, कोरबा में 148 और अंबिकापुर में 131 रिकॉर्ड किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति खासतौर पर अस्थमा, सांस और हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए बेहद खतरनाक है। वहीं, लंबे समय तक संपर्क में रहने पर स्वस्थ लोगों पर भी इसका असर पड़ सकता है।
सबसे ज्यादा प्रभाव राजधानी रायपुर में देखा जा रहा है जहां कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब बनी हुई है। विशेषज्ञों के मुताबिक सर्दियों में हवा की रफ्तार कम हो जाती है और तापमान गिरने के कारण पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म प्रदूषक कण वातावरण में लंबे समय तक टिके रहते हैं। यही वजह है कि सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और सीने में भारीपन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। मौसम विभाग ने अगले दो या तीन दिनों में ठंड और बढ़ने तथा कुछ जिलों में शीतलहर चलने की संभावना जताई है। साथ ही उन्होंने प्रदूषण के और गंभीर होने की भी आशंका जताई है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, राजधानी और औद्योगिक क्षेत्रों में पीएम 2.5 का स्तर 60 से 129 और पीएम 10 का स्तर 80 से 140 के बीच पहुंच गया है। यह आंकड़ा तय मानकों से काफी अधिक है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यही महीन कण फेफड़ों और रक्तप्रवाह पर सबसे ज्यादा असर डालते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार बच्चों, बुजुर्गों और सांस व हृदय रोग से पीड़ित लोगों को सुबह और शाम बाहर निकलने से बचना चाहिए। मास्क का उपयोग जरूरी है और खुले में भारी व्यायाम करने से परहेज करना चाहिए। उनका कहना है कि यदि ठंड और शीतलहर का असर बना रहा तो आने वाले दिनों में प्रदेश की हवा और अधिक जानलेवा हो सकती है।
प्रदूषण को लेकर विशेषज्ञों की चिंता और गहरी है। वैज्ञानिक एवं पीआरएसयू के रसायन शास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शम्स परवेज बताते हैं कि इस वर्ष दिसंबर में प्रदेश का वायु गुणवत्ता सूचकांक 2023 और 2024 की तुलना में ज्यादा खराब है। सामान्य तौर पर 60–65 के आसपास रहने वाला AQI का 100 के पार पहुंचना बेहद चिंताजनक संकेत है। प्रदेश के पीएम 2.5 में करीब 60 प्रतिशत हिस्सा कार्बन कणों का है जो देश के अन्य हिस्सों की तुलना में ज्यादा घातक माना जाता है। इससे खून गाढ़ा होने का खतरा बढ़ता है जो हार्ट अटैक और अचानक मौत की बड़ी वजह बन सकता है।
विशेषज्ञ यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि कोरोना के बाद लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में आई कमी और छत्तीसगढ़ में सिकलसेल रोगियों की अधिक संख्या प्रदूषण के खतरे को और बढ़ा रही है। ऐसे में यदि हालात पर जल्द नियंत्रण नहीं किया गया तो यह प्रदूषण आने वाले दिनों में प्रदेश के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकता है।




