MP Farmer Attempts Suicide: मुंगावली में सोयाबीन की खेती में नुकसान से निराश किसान ने पिया ज़हर
Farmer Distress: बैंक के 4 लाख के कर्ज में डूबे किसान ने निराशा में उठाया कदम, जान बची मगर अस्पताल में चल रहा है इलाज

भोपाल/अशोकनगर: अशोकनगर की मुंगावली तहसील के बरखेड़ा अखाई में सोयाबीन की ख़राब फसल निकलने पर 75 वर्षीय किसान ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या की कोशिश की। जिसके बाद किसान को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। किसान ने 40 बीघे जमीन पर कर्ज लेकर सोयाबीन की फसल लगाई थी लेकिन ज्यादा बारिश और ख़राब मौसम के कारण कुल फसल 12 क्विण्टल ही निकली। जिसका सदमा किसान बर्दाश्त नहीं कर पाया।
पीड़ित किसान के छोटे बेटे ने मीडिया से बातचीत में बताया है कि हमारा भरा-पूरा सयुंक्त परिवार है। निस्तार के लिए हमारे पास कुल 40 बीघा जमीन उस पर स्टेट बैंक का 4 लाख का कर्ज सिर पर है। इसके अलावा 8 तोला सोना एक अन्य बैंक में गिरवी रखा है। घर में जितना भी पैसा था सब कर्ज चुकाने में चला गया है। ऐसे में पिता जी को इस फसल से काफी उम्मीद थी पर मौसम की मार की वजह से फसल ख़राब हो गई। इस बात का सदमा पिता जी बर्दाश्त नहीं कर सके।
वो आगे बताते है कि आज सुबह करीब 4 बजे मेरी नींद खुली तो पापा उल्टी कर रहे थे। मैंने पास जाकर देखा तो उनके मुँह से कीटनाशक की बदबू आ रही थी। कुछ ही देर में गांव के और लोग इक्कठे हो गए। जिसके बाद उन्हें अशोकनगर जिला अस्पताल में सुबह 8 बजे भर्ती कराया गया। डॉक्टर ने बताया उल्टी हो जाने की वजह से उनकी जान बच गई, अभी अस्पताल में ही उनका इलाज चल रहा है।
गौरतलब है कि 1 बीघे में 4 क्विंटल तक सोयाबीन मिलने की सम्भावना होती है। लेकिन जिले में इस साल ज्यादा बारिश होने की वजह से खरीफ की सारी फसलों को नुकसान पहुंचा हैं। सोयाबीन के मामले में तो हालत और भी ख़राब हैं। इस बार एक बीघे से अधिकतम 40 किलो ही फसल निकल रही है जिससे जिले के किसान परेशान हैं। हालांकि प्रशासन द्वारा नुकसान का सर्वे कराया जा रहा है पर जिले के किसान इस बात से नाराज हैं कि प्रशासन द्वारा 20 से 40 फीसदी ही नुकसान लिखा जा रहा है। जबकि जिले की हालत इससे ज्यादा खराब है।
मध्य प्रदेश में बीते दो महीनों के दौरान दर्जनभर से ज्यादा किसानों की खुदकुशी का मामला सामने आ चुका है। इस बार राज्य में सोयाबीन की लगभग 90 फीसदी फसल बर्बाद हो चुकी है। और ज्यादातर किसान जिन्होंने आत्महत्याएं कीं, वो सोयबीन के ही किसान थे।