MP में 23 लाख मीट्रिक टन गेंहू भीगने पर केंद्र ने मांगा जवाब

Madhya Pradesh में खरीदी और भंडारण दोनों में नाकाफ़ी साबित हुआ सरकार का प्रबंध

Publish: Jun 07, 2020, 01:24 AM IST

Photo courtesy : free press
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मध्यप्रदेश में बारिश में भींगने के कारण खराब हुए गेहूं पर केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने सरकार से रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने कहा है कि हमें एक राज्य की मंडियों में रखे अनाज के खराब होने के बारे में पता चला है। हमने राज्य के मुख्यमंत्री से बात कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इस मामले पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कहा है कि केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान जिस एक राज्‍य की बात कह रहे हैं वह राज्‍य मध्‍य प्रदेश है। अगर पासवान उस राज्य का नाम बता देते तो बीजेपी उनके कैरेक्टर पर शक करती।

गौरतलब है कि अरब सागर में उठे चक्रवाती तूफान के कारण मध्‍य प्रदेश में भी बारिश हुई है। इस दौरान प्रशासन की लापरवाही से मंडियों में रखा लाखों टन गेहूं भीग गया है। सरकार राज्‍य में सबसे ज्‍यादा गेहूं खरीदी का दावा कर अपनी पीठ थपथपा रही है मगर वास्‍तविकता यह है कि न तो उसने किसानों से गेहूं खरीदने की उपयुक्‍त व्‍यवस्‍था की और न ही खरीदे गए गेहूं का भंडारण किया गया। बारिश की चेतावनी को भी नजरअंदाज किया गया। तिरपाल और प्‍लास्टिक ढंकने जैसे फौरी उपाय भी काम नहीं आए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्यभर में तकरीबन 23 लाख मीट्रिक टन गेहूं बर्बाद हुआ है। सबसे ज्यादा प्रभावित इंदौर, धार, झाबुआ, बड़वानी व ग्वालियर-चंबल संभाग के इलाके हैं। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने राज्य सरकार ने इस पर रिपोर्ट मांगी है। 

केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने ट्वीट कर कहा है कि मीडिया के माध्यम से हमें एक राज्य की मंडियों में रखे अनाज के खराब होने के बारे में पता चला है। हमने राज्य के मुख्यमंत्री से इस विषय में बात की है और इसपर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के इस ट्वीट पर कांग्रेस ने कहा है कि वे अगर राज्य के नाम का जिक्र कर देते तो भाजपा उनके कैरेक्टर पर शक करती। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से कहा गया है कि 'यहाँ पर मंत्री जिस राज्य का ज़िक्र कर रहे हैं, उसका नाम है, "मध्यप्रदेश" और  जिस मुख्यमंत्री का ज़िक्र कर रहे हैं, उनका नाम शिवराज सिंह चौहान है। हालांकि नाम लिखने के लिए करेक्टर कम नहीं थे, लेकिन अगर मंत्री जी नाम लिख देते तो शायद भाजपा इनके "करेक्टर" पर शक करती।'