MP में आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं को पांच महीनों से नहीं मिला वेतन, कमलनाथ ने बताया बहनों के साथ क्रूरता

हमारी आशा और ऊषा कार्यकर्ताएं गाँव-गाँव जाकर माताओं और बच्चों की जान बचाती हैं, स्वास्थ्य सेवाओं को आखिरी छोर तक पहुँचाती हैं, लेकिन इस अंधी और बहरी सरकार मे पिछले 5 महीने से बिना वेतन के काम कर रही हैं: कमलनाथ

Updated: Jun 05, 2025, 05:43 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में आशा और ऊषा कार्यकर्ता के वेतन का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। कांग्रेस के सीनियर लीडर और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आशा-ऊषा कार्यकताओं की सैलरी नहीं मिलने पर राज्य सरकार को घेरा है। कमलनाथ ने कहा कि आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं को पांच महीनों से वेतन नहीं मिला। पूर्व मुख्यमंत्री ने इसे बहनों के साथ क्रूरता करार दिया है।

कमलनाथ ने एक एक्स पोस्ट में लिखा कि 5 महीने से आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं को वेतन नहीं मिला, यह सरकार की अक्षमता और असंवेदनशीलता की हद है।हमारी आशा और ऊषा कार्यकर्ताएं वो मेहनती बहनें हैं, जो गाँव-गाँव जाकर माताओं और बच्चों की जान बचाती हैं, स्वास्थ्य सेवाओं को आखिरी छोर तक पहुँचाती हैं, लेकिन इस अंधी और बहरी सरकार मे पिछले 5 महीने से बिना वेतन के काम कर रही हैं। क्या यही सम्मान है जो हमारी सरकार इन नारी शक्तियों को दे रही है?

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पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे लिखा कि इन बहनों ने दिन-रात मेहनत की, गर्मी, बारिश, और हर मुश्किल का सामना किया, लेकिन सरकार ने इनके परिवारों को भूखा मारने की ठान ली है। 5 महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण इनके बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, घर का राशन खत्म हो रहा है, और ये बहनें हर दिन अपमान और लाचारी झेल रही हैं। ये कैसी सरकार है? जो अपनी जिम्मेदारियों को भूल चुकी है? जो मेहनतकश महिलाओं की मेहनत का मोल नहीं समझती? ये सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि क्रूरता है।

कमलनाथ ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से पूछा क्या यही है आपका नारी सशक्तिकरण? क्या यही है सरकार का लाड़ली प्रेम? उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा, 'तुरंत आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं का वेतन दो। इनका हक दो। इनके परिवारों को भूखा मत मारो। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो हम चुप नहीं रहेंगे। हम सड़कों पर उतरेंगे, और इन बहनों के हक के लिए लड़ेंगे। ये अपमान बर्दाश्त नहीं होगा।'

बता दें कि इसी साल आशा ऊषा आशा सहयोगी संयुक्त मोर्चा ने 10 मार्च 2025 को विधानसभा सत्र के पहले दिन प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया था। उनका कहना था कि बिना किसी भेदभाव के आशा कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों को 1,000 रुपये की वार्षिक वेतन वृद्धि का तुरंत भुगतान किया जाए। वहीं अब वेतन नहीं मिलने से आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं में आक्रोश है।