मोबाइल फोन की लत बच्चों को मानसिक रूप से बना रही है कमजोर: येल विशेषज्ञ

येल विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान के प्रोफेसर लॉरी सैंटोस कहते हैं कि यदि आप चाहते हैं कि वे अधिक खुशहाल, अधिक सफल जीवन जिएं तो इसका केवल एक ही सही उत्तर है। "जितना संभव हो सके प्रतीक्षा करें।"

Updated: Nov 02, 2023, 01:18 PM IST

हर इंसान के जीवन में मोबाइल फोन की अहमियत बहुत बढ़ गई है। वैसे तो मोबाइल सेहत के लिए नुकसानदायक होता है, लेकिन अगर मोबाइल से ही गंभीर बीमारी होने लगे तो परेशानी स्वाभाविक है। वर्तमान समय में बच्चों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि छोटे से लेकर बड़े होते हुए बच्चों को मोबाइल की लत से दूर रखना अभिभावकों के लिए बेहद जरूरी है। मोबाइल देखने से उन्हें कई तरह की खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं साथ ही उनकी पढ़ने लिखने पर भी असर पड़ता है। सवाल उठता है कि अभिभावक को बच्चे को अपना पहला सेल फ़ोन किस उम्र में देना चाहिए? इसी को देखते हुए येल विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान के प्रोफेसर लॉरी सैंटोस कहते हैं कि यदि आप चाहते हैं कि वे अधिक खुशहाल, अधिक सफल जीवन जिएं तो इसका केवल एक ही सही उत्तर है। "जितना संभव हो सके प्रतीक्षा करें।" साथ ही कहते है कि मुझे लगता है कि जितना अधिक हम बच्चों को प्रौद्योगिकी देने से रोक सकते हैं - उतना ही बेहतर होगा।" 

इसके साथ ही गैर-लाभकारी कॉमन सेंस मीडिया की 2019 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि आठ से 12 साल की उम्र के बच्चे, जिनके पास फोन है, दिन में सिर्फ पांच घंटे से कम समय अपने फोन से चिपके रहते हैं, और किशोर अवस्था वाले बच्चे प्रति दिन लगभग आठ घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं। उस स्क्रीन समय का उपयोग कोडिंग या डिजिटल कला बनाने जैसी रचनात्मक गतिविधियों के लिए शायद ही कभी किया जाता है। कॉमन सेंस के शोध प्रमुख माइकल रॉब ने रिपोर्ट के विश्लेषण में लिखा है कि इसके बजाय, युवा अपना ज्यादातर फोन का समय सोशल मीडिया पर या वीडियो देखने में बिताते हैं। सैंटोस का कहना है कि इससे खराब मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलने की संभावना है। जो वयस्कों की तुलना में बच्चों को अलग तरह से प्रभावित करता है और कक्षा में ध्यान भटकाता है। वे अपना ध्यान पढ़ाई में लगाने की बजाय मोबाइल पर लगाते है। इससे उनके दिमाग पर तो बुरा असर पड़ ही रहा है साथ ही उनकी पढ़ाई भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। 

बच्चे की पहुंच से दूर रखें मोबाइल

डॉक्टर सज्जन कुमार ने बताया कि इस बीमारी से बचने के लिए बच्चों को ब्लू कट चश्मा पहनने के साथ-साथ ऑनलाइन विधि से बचना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो चश्मे का प्रयोग करें। इसके साथ ही आई ड्रॉप का प्रयोग कर वो इस समस्या से बच सकते हैं। ज्यादा समस्या होने पर चिकित्सकों का परामर्श जरूरी है। उन्होंने बताया कि मोबाइल देखने का टाइम को हर हाल में कम करना बच्चों के स्वास्थ्य और सेहत के लिए बेहद जरूरी है।