विश्व पुस्तक दिवस स्पेशल: छत्तीसगढ़ की बेटियों ने बनाया रिकॉर्ड, यंगेस्ट ऑथर बनीं रायपुर की शंजना

दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली साढ़े छह साल की शंजन थम्मा ने ए टू जेड शब्दावली की किताब लिखकर यंगेस्ट आथर का वर्ल्ड रिकार्ड बुक आफ इंडिया में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं।

Updated: Apr 23, 2023, 05:18 PM IST

रायपुर। वर्तमान समय में कम्प्यूटर और इंटरनेट के प्रति बढ़ती दिलचस्पी के कारण पुस्तकों से लोगों की दूरी बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि लोगों और किताबों के बीच की दूरी को खत्म करने के लिए यूनेस्को ने 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। दुनियाभर में जब आज विश्व पुस्तक दिवस मनाया जा रहा है, हम आपको रायपुर की दो बेटियों की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने कम उम्र में अपना नाम कमाया।

रायपुर की इन दो बेटियों ने छोटी सी उम्र में बड़ा काम करके दिखाया है। अपनी अद्भुत लेखनी के लिए बड़े-बड़े मंचों में सम्मानित भी हो चुकी हैं। इनमें आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली 13 वर्ष की सारा अग्रवाल और दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली साढ़े छह साल की शंजन थम्मा शामिल हैं। शंजन थम्मा ए टू जेड शब्दावली की किताब लिखकर यंगेस्ट ऑथर का वर्ल्ड रिकार्ड बुक आफ इंडिया में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। शंजन की मां मानसी थम्मा बताती हैं कि शंजन ने पहली किताब ए टू जेड शब्दावली साढ़े तीन साल की उम्र में लिखी हैं। उन्होंने 60 पेज की किताब में हर अक्षर के 10-10 शब्द हिंदी और इंग्लिश में लिखी है।

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इस तरह ए से लेकर जेड तक के सारे अंग्रेजी के अक्षरों के हिंदी और अंग्रेजी में शब्दकोश बनाई गई है। इसके अलावा वह अब श्रीमद भगवत गीता के बारे में लिख रही हैं। शंजन को मां उसे गीता के बारे में बताती हैं, जो समझ में आता है उसी हिसाब से वह उसे अपने शब्दों में लिख रही हैं। इसके अलावा उन्होंने दोनों हाथ से लिखने का भी रिकार्ड बनाया है। शंजन अबतक कई रिकार्ड बना चुकी हैं। उन्हें इस प्रतिभा के लिए कई संस्थाएं सम्मानित भी कर चुकी हैं।

वहीं, आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली 13 वर्ष की सारा अग्रवाल ने 10 वर्ष की उम्र से किताबें लिखना शुरू किया था। सारा की मां सानिया अग्रवाल बताती हैं कि कोरोना के समय लाकडाउन लग गया और सारी गतिविधियां बंद हो गई। घर में काम करने वालों का भी आना बंद हो गया और घर का पूरा काम उन्हें ही करना पड़ता था। बड़ा परिवार होने के कारण उन्हें बच्चों के लिए समय नहीं मिल पाता। ऐसे में छोटे भाई यशवीर को संभालने की जिम्मेदारी सारा ने निभाई।

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सारा के अंदर बचपन से ही रचनात्मकता थी। उसे कोई भी विषय दे दिया जाए तो उसमें कहानी बना लेती थी। उसे बचपन में बहुत मोटीवेशनल कहानी सुनने का शौक था। सारा जो कहानी अपने भाई को सुनाती है उन कहानियों को लिखने के लिए घरवालों ने उसे प्रेरित किया। सारा की पहली किताब फाइव ब्रेव पपीज पब्लिश हुई। जिसमें पांच बहादुर कुत्तों की कहानी है।

सारा की दूसरी किताब द बेकर मीट्स, द मैजिक कैट है। इसमें उन्होंने हार्ड वर्क को सबसे बड़ा जादू माना है। सारा ने 20-20 पेज की दोनों किताबें इंग्लिश में लिखी हैं। ये किताबें अमेजन पर भी उपलब्ध हैं। साथ ही कई किताबें पब्लिश होने के लिए प्रकाशक के पास है, जो जल्द ही प्रकाशित होकर अमेजन पर बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। जिस उम्र में बच्चे ठीक से बोल और बातों को समझ नहीं पाते, उस उम्र में रायपुर की ये दो बेटियां किताबें लिख रही हैं, जो अपने आप में अद्भुत है।