दफ्तर दरबारी: बुरहानपुर में लगी है तीन तरफ से आग मगर सुकून में है सरकार
MP News: रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजा रहा था वाली कहावत बुरहानपुर में पूरी-पूरी लागू हो रही है। खंडवा-खरगोन के बाद अब बुरहानपुर के नेपानगर में अवैध वन कटाई में गोला-बारूद, बंदूक के साथ माफियाओं की सक्रियता मुद्दा बना हुआ है। लेकिन व्यवस्था बहाली की बजाय कभी आदिवासियों को कभी अफ़सर को तो कभी आपसी रार में माफ़ियों को मौक़े पर मौक़ा मिल रहा है। दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद कहने लगे हैं कि उनके नाम वाली योजना ब्लेकमेलिंग का कारण बन रही है..

जिस बुरहानपुर की कलेक्टर भव्या मित्तल को उत्कृष्ट कार्य के लिए पीएम मोदी ने सम्मानित किया है और सिविल सेवा दिवस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस इलाके में उनके प्रशासनिक कार्यवाहियों की तारीफ की है, वह बुरहानपुर तीन तरफ से जल रहा है। आरोप है कि महाराष्ट्र से आया माफिया वन को साफ कर रहा है। उनपर लगाम तो नहीं है मगर जंगल में बसे स्थानीय आदिवासी वन अमले की कार्रवाई का शिकार हो रहे हैं। इससे एक तरफ आदिवासी आक्रोश में जल रहे हैं, दूसरी तरफ अवैध कटाई से पर रोक न लगा पा रहे प्रशासन से नाराज होकर जनता प्रदर्शन पर उतर आयी है.. सरकारी वन अमला अलग ही सड़क पर है कि विभाग के डीएफओ का ट्रांसफर बहाल किया जाए। इस सभी पक्षों के बीच प्रशासन है कि कभी दाएं तो कभी बाएं नजर आता है। बुरहानपुर के जंगल में कब्जों के बाद प्रशासनिक निर्णय से जो आग लगी थी वह तेज़ी से फैल रही है। मगर सरकार मान रही है कि सब तरफ शांति है।
जब रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजा रहा था वाली कहावत बुरहानपुर में पूरी-पूरी लागू हो रही है। खंडवा-खरगोन के बाद अब बुरहानपुर के नेपानगर में अवैध कटाई से पिछले पांच साल में करीब 11 हजार हेक्टेयर जंगलों पर कब्जा कर लिया गया है। माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि इस अवैध कटाई को रोकने के लिए जब सख्ती की जाती है तो वन अमले पर हमला कर देते हैं। उस बुरहानपुर में प्रशासन ने स्थिति संभालने के लिए वन अधिकारी अनुपम शर्मा को डीएफओ बनाकर भेजा था मगर जब अनुपम शर्मा ने वन कटाई रोकने में कलेक्टर और एसपी का सहयोग नहीं मिलने की बात कही तो उनका तबादला कर दिया गया।
अब डीएफओ के समर्थन में वन विभाग के कर्मचारियों सड़क पर उतर आए हैं। रैली निकालकर वनकर्मियों ने कहा है कि 15 दिन में यदि स्थानांतरण नहीं रोका गया तो काम बंद हड़ताल शुरू करेंगे। प्रशासनिक स्तर पर इस नाराजगी से निपट भी लिया जाएगा मगर उस असंतोष का क्या होगा जो आदिवासियों में फैला हुआ है। सैकड़ों आदिवासियों ने दलित जागृत आदिवासी संगठन के नेतृत्व में अप्रैल की शुरुआत में कलेक्टर कार्यालय पर धरना दिया था। संगठन ने कहा है कि 450 आदिवासियों ने पिछले दिनों सरेंडर कर जंगल नहीं काटने की कसम भी खाई थी, जिसको जिला प्रशासन ने काफी बढ़ा चढ़ाकर बताया और अपनी पीठ थपथपाई लेकिन अगले ही दिन बाहर से आए आदिवासियों ने कई हेक्टेयर जंगल काटकर साफ कर दिया।
आदिवासी ही नहीं, गांव-शहर में रहने वाली जनता भी आक्रोशित होकर सड़क पर उतर आई है। मगर आक्रोश की आग से बेपरवाह सरकार चैन की बंसी बजा रही है इसमें विपक्ष का का ढीला -ढाला रवैय्या भी सरकार के लिए सुकूनदेह साबित हो रहा है ।
सीएम हेल्पलाइन पर शिकायताकर्ता घेरे में मगर आरोपी मौज में
सिविल सर्विस डे पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अफसरों से कहा कि अवैध कार्यों पर सख्ती से कार्रवाई करो। चाहे नेता का मामला हो तब भी कोई नरमी न हो। बीते कई दिनों से रिश्वत, प्रशासनिक लापरवाही, भ्रष्टाचार पर सख्ती के लिए मंच से निर्देश दे रहे मुख्यमंत्री चौहान ने कई अफसरों को सस्पेंड किया है, तबादले किए हैं मगर अब वे खुद स्वीकार कर रहे हैं कि उनके नाम पर अवैध वसूली का कारोबार चल रहा है।
कार्यक्रम में खुद मुख्यमंत्री चौहान ने सार्वजनिक रूप से उजागर किया कि प्रदेश में मुख्यमंत्री हेल्प लाइन समस्या निवारण से अधिक ब्लेकमेलिंग का माध्यम बन गई है। लोग फर्जी शिकायत कर आरोप लगाते हैं और मामला रफादफा करने के लिए पैसे मांगते हैं। मुख्यमंत्री यह कह रहे हैं कि ब्लेकमेलिंग हो रही है मगर बात केवल इतनी ही नहीं है। एक पहलू और है जिसका जिक्र मुख्यमंत्री चौहान ने नहीं किया है। असल में कई मामले सामने आए हैं जब पीडि़त व्यक्ति किसी मामले की शिकायत करता है तो शिकायतकर्ता का नाम, नंबर सहित शिकायत की पूरी जानकारी उस व्यक्ति तक पहुंच जाते हैं जिसकी शिकायत की गई है। वह आरोपी तुरंत शिकायतकर्ता से संपर्क कर अपनी शिकायत वापिस लेने का दबाव बनाता है। शिकायतकर्ता समझ ही नहीं पाता कि उसने तो गोपनीय रूप से मुख्यमंत्री हेल्प लाइन में शिकायत की थी, उसकी शिकायत लीक कैसे हो गई?
इस तरह, हेल्प लाइन से सहायता तो मिलती नहीं है शिकायतकर्ता को दबाव में चुप रहने को मजबूर होना पड़ता है। साफ है कि मुख्यमंत्री के नाम पर अवैध वसूली और गैर कानूनी कार्य जारी हैं और पूरा तंत्र इस पर लगाम नहीं लगा पा रहा है। संभव है कि इन शिकायतों के कारण हेल्पलेस हुई सीएम हेल्प लाइन जल्द ही बंद हो जाए या इसका स्वरूप बदल जाए।
कलेक्टर ने इंजीनियर से पूछा,करोड़ों का टेंडर अकेले डील करोगे
हो सकता है कि आपने ऐसी कहानियां जुबानी सुनी होगी मगर पहली बार होगा जब पीएचई के कार्यपालन अधिकारी ने अपने विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिख कर बताया हो कि कलेक्टर उन्हें अकेले में मिलने बुलाते हैं और कहते हैं कि करोड़ों के टेंडर डील कर रहे हो और मुझसे आकर मिलते भी नहीं हो।
मामला हरदा जिले का है। हरदा कलेक्टर ऋषि गर्ग इस बार उन पर पीएचई के कार्यपालन यंत्री (ईई) बीबीएस चौधरी को प्रताडि़त करने के आरोपों से घिरे हैं। ईई चौधरी का कहना है कि कलेक्टर ने मानसिक रूप से इतना परेशान किया है कि उन्हें लकवा हो गया है। चौधरी अस्पताल में भर्ती हैं और उनके समर्थन में एमपी इंजीनियर एसोसिएशन ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है।
ईई बीबीएस चौधरी ने विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला को पत्र लिख कर आरोप लगाया है कि कलेक्टर ने उन्हें अकेले में बुलाकर कहा है कि करोड़ों के टेंडर डील कर रहे हो और मुझसे आकर मिलते भी नहीं हो। कलेक्टर के पीए भी वॉट्सऐप कॉल पर साहब से अकेले में मिलने की बात करते हैं।
ईई चौधरी कर व्यथा यह है कि कलेक्टर ने उन्हें नीचा दिखाने के लिए लाड़ली बहना योजना कार्यक्रम में पार्किंग में पानी पिलाने की डयूटी पर लगा दिया था जबकि जिले में दो-दो असिस्टेंट इंजीनियर पदस्थ हैं।
बात मंत्रालय तक पहुंच चुकी है मगर आईएएस का मामला होने के कारण फिलहाल उच्च अधिकारी मौन हैं। इंजीनियर एसोसिएशन की नाराजगी को शांत होने के लिए समय पर छोड़ दिया गया है।
जनता परेशान, अदालत हैरान, ये कैसा सुशासन
मध्यप्रदेश में कैसा सुशासन है कि यहां जनता परेशान है और हाईकोर्ट हैरान। टीकमगढ़ में जो हुआ वह बेहद शर्मनाक है। यहां एक बच्चे पर चोरी का आरोप लगा और पुलिस ने इतना प्रताड़ना किया कि तंग आ कर पुराने कपड़े सील कर गुजरबसर करने वाले परिवार के तीन लोगों को सामूहिक आत्महत्या करने का विवश होना पड़ा। माता, पिता और बहन की मृत्यु के बाद नाबालिग बेटे ने कहा कि पुलिस ने घर पर पहुंचकर पूरे परिवार को चोरी के झूठे आरोप में जेल भेजने की धमकी दी थी। पुलिस ने खोलते तेल में हाथ डालने की बात भी कही थी। इससे घबराकर मां-पिता और बहन ने जान दी है। अब मामले की जांच का खेल खेला जा रहा है। पुलिस प्रताड़ना का यह इकलौता मामला नहीं है। प्रदेश में ऐसे कई मामले हैं।
दूसरी तरफ, अधिकारी इतने धृष्ट हो चुके हैं कि उन्हें हाईकोर्ट की नाराजगी से भी फर्क नहीं पड़ता है। मध्य प्रदेश नर्सिंग घोटाले से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सरकार के रवैए को लेकर हैरानी जताई थी कि आखिर कैसे लोग सरकार चला रहे हैं। अब मामला भिंड जिले का है। रेत के अवैध खनन के संबंध में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेत ले जाने देने के आदेश दिए थे। इस आदेश के बाद जिला कलेक्टर ने भी जब्त रेत ले जाने के आदेश जारी कर दिए थे लेकिन माइनिंग विभाग ने रेत नहीं ले जाने दी।
हाईकोर्ट के जज रोहित आर्य ने जब डिप्टी डायरेक्टर से सवाल किया कि आदेश जारी होने के बावजूद माइनिंग विभाग ने ट्रांसपोर्टेशन के लिए आगे काम क्यों नहीं किया तो इसपर डिप्टी डायरेक्टर के पास कोई उचित जवाब नहीं था। जिसके बाद जज रोहित आर्य को गुस्सा आ गया। जज रोहित आर्य ने डिप्टी डायरेक्टर पर रेत माफिया के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि तुम जैसे अधिकारी बिना रिश्वत लिए कोई काम नहीं करते। जज ने डिप्टी डायरेक्टर रैंक के अधिकारी को कहा कि वे चपरासी बनाने लायक भी नहीं है।
जज के गुस्से से समझा जा सकता है कि याचिकाकर्ता 2019 से लेकर अब तक अपनी जब्त रेत ले जाने के लिए कितना परेशान हुआ होगा। ऐसे कुछ ही मामले हाईकोर्ट तक पहुंच पाते हैं, कई मामले तो न्याय की देहरी तक पहुंचे बिना ही दम तोड़ देते हैं।