गुना में खाद की कतार में खड़े किसान को आया हार्ट अटैक, कॉन्स्टेबल ने सीपीआर देकर बचाई जान

गुना में यूरिया खाद लेने पहुंचा एक किसान दिल का दौरा आने की वजह से अचानक गिर पड़ा। हालांकि, इस दौरान वहां तैनात एक पुलिस वाले ने तुरंत सीपीआर देकर उसकी जान बचा ली। इस पूरे घटने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

Updated: Dec 18, 2025, 01:10 PM IST

गुना। मध्य प्रदेश में यूरिया खाद की किल्लत किसानों पर भारी पड़ती जा रही है। गुना जिले में मंगलवार को हालात उस वक्त और गंभीर हो गए जब शहर की नानाखेड़ी मंडी स्थित डबल लॉक खाद वितरण केंद्र पर लाइन में खड़े एक किसान को अचानक दिल का दौरा पड़ गया। किसान मौके पर ही बेसुध होकर जमीन पर गिर पड़ा। हालांकि, समय रहते ड्यूटी पर तैनात पुलिस आरक्षक ने सीपीआर देकर उसकी जान बचा ली। 

रबी सीजन में गेहूं की फसल के लिए यूरिया की भारी मांग बनी हुई है। किसान सुबह-सुबह ही खाद केंद्रों पर पहुंचकर लंबी कतारों में खड़े हो रहे हैं। नानाखेड़ी मंडी के वितरण केंद्र पर भी बड़ी संख्या में किसान अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान एक किसान की अचानक तबीयत बिगड़ी और वह बेहोश होकर गिर पड़ा। घटना के बाद केंद्र पर अफरा-तफरी मच गई।

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हालात को संभालते हुए कैंट थाना क्षेत्र में तैनात आरक्षक अभिनेष रघुवंशी ने बिना देरी किए किसान को सीपीआर देना शुरू किया। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार, आरक्षक ने लगातार किसान के सीने को दबाकर प्राथमिक उपचार दिया। कुछ देर की मशक्कत के बाद किसान की सांसें लौट आईं और उसे होश आ गया। इसके बाद एहतियात के तौर पर किसान को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत खतरे से बाहर बताई है।

इस पूरी घटना का वीडियो बुधवार को सोशल मीडिया पर सामने आया जो तेजी से वायरल हो रही है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि आरक्षक जमीन पर गिरे किसान को जीवनदान देने की कोशिश में पूरी तत्परता से सीपीआर दे रहा है। वीडियो सामने आने के बाद आरक्षक अभिनेष रघुवंशी की मानवता और साहस की पूरे शहर में सराहना हो रही है।

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गौरतलब है कि गुना सहित प्रदेश के कई जिलों में किसान यूरिया खाद के लिए भारी संघर्ष कर रहे हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने जिले के 33 खाद वितरण केंद्रों पर टोकन व्यवस्था लागू की है। लेकिन खेतों में सिंचाई का समय होने के कारण किसानों का दबाव लगातार बना हुआ है। हालात ऐसे हैं कि किसान घंटों तक लाइनों में खड़े रहने को मजबूर हैं।

लगातार इंतजार और अव्यवस्था का असर किसानों की शारीरिक और मानसिक सेहत पर भी दिखने लगा है। प्रशासन की ओर से खाद वितरण व्यवस्था को सुचारू रखने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि किसान आज भी यूरिया पाने के लिए अपनी जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।

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