नफरत की आग फैलाने की साजिश कर रहा है बजरंग दल, मोहब्बत की दुकान खोलकर हो सकता है मुकाबला: दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह ने कहा कि अब बजरंग दल पूरे देश में इस नफरत की आग को फैलाने की साजिश कर रहा है। इसका मुकाबला केवल 'मोहब्बत की दुकान' खोलकर ही हो सकता है।

Updated: Aug 02, 2023, 04:31 PM IST

भोपाल। हरियाणा के नूंह में भड़की हिंसा राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गई है। सांप्रदायिक दंगे की आग में गुरुग्राम समेत कई बड़े शहर झुलस रहे हैं। हिंसा का असर जम्मू से लेकर दिल्ली-यूपी और एमपी तक देखने को मिल रहा है। मध्य प्रदेश के भोपाल समेत कई शहरों में भी बजरंग दल कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर शक्ति प्रदर्शन करते दिखे। नूह हिंसा को लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भी प्रतिक्रिया सामने आई है।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि बजरंग दल अब पूरे देश में इस नफरत की आग को फैलाने की साजिश कर रहा है। इसका मुकाबला केवल 'मोहब्बत की दुकान' खोलकर ही हो सकता है।

दिग्विजय सिंह ने मेवात में आयोजित शोभा यात्रा की कुछ  तस्वीरें भी रीट्वीट किए हैं। इसमें देखा जा सकता है कि शोभा यात्रा में शामिल भीड़ हथियार के साथ है। सिंह ने पूछा कि ये हथियार कहां से आए? क्या हथियार लेकर जुलूस निकालना वैधानिक है? उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के स्व. भूतपूर्व मुख्यमंत्री द्वारिका प्रसाद मिश्रा कहते थे कि सांप्रदायिक दंगा तभी होता है, जब मुख्यमंत्री चाहता है।

बता दें कि भोपाल में बजरंग दल के कार्यकर्ता नरेजबाजी करते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। इस दौरान वे हाथों में तख्तियां लिए थे। बजरंग दल के प्रांतीय संयोजक सुशील सुंडेले ने कहा, देश विरोधी विधर्मियों ने हरियाणा में महिलाओं पर हमला किया। ऐसे देश विरोधी विधर्मियों पर सरकार को तत्काल कार्रवाई करना चाहिए। उन्होंने कहा कि घटना के पीछे जो भी आरोपी हैं, केंद्र और राज्य सरकार उन्हें फांसी के फंदे पर लटकाए। बता दें कि सुडेले खुद एक हिस्ट्रीशीटर अपराधी है और हत्या के एक मामले में कोर्ट से उसे 14 वर्ष की सजा हो चुकी है।

नूंह हिंसा पर मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ की भी प्रतिक्रिया आई है। पूर्व सीएम ने ट्वीट किया, 'भाजपा और उसके संगी-साथी सामाजिक सोच को हिंसक बनाने की चाहे जितनी कोशिश कर लें, देश के हृदय में कांग्रेस का दिया ‘अहिंसा और भाईचारे का सिद्धांत’ हमेशा धड़कता रहता है। हिंसक लोग कुछ समय के लिए लोगों को भटका तो सकते हैं, लेकिन छल का छलावा एक-न-एक दिन धुंध की तरह मिट ही जाता है। भाजपा देश को हिंसा में झोंककर नैतिक रूप से पहले ही पराजित हो गई है। भाजपा याद रखे कि नैतिक हार आखिरकार राजनीतिक हार की ओर ही ले जाती है। ऐसी विध्वंसकारी ताकतें ‘अमृतकाल’ का नाम इसलिए लेती हैं, क्योंकि वे अपने कुकृत्यों की वजह से खुद अमर नहीं हो सकती हैं।'