महाकाल मंदिर की 45 बीघा ज़मीन पर UDA का क़ब्ज़ा, कमलनाथ ने बताया हिन्दुओं की आस्था से खिलवाड़

मैं राज्य शासन से माँग करता हूँ कि तत्काल महाकाल की पवित्र भूमि मंदिर को वापस की जाए और इस तरह का फर्जीवाड़ा करने वाले अधिकारियों पर क़ानून के मुताबिक़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जाए: कमलनाथ

Updated: Mar 11, 2025, 02:25 PM IST

उज्जैन। महाकाल मंदिर को दान की गई 45 बीघा जमीन उज्जैन विकास प्राधिकरण (UDA) की टीडीएस-4 स्कीम में चली गई है। UDA द्वारा इसपर कॉलोनी बनाने की योजना है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इसके विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा कि ये हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ है।

कमलनाथ ने ट्वीट किया, 'भगवान महाकाल पूरे देश की आस्था का केंद्र हैं। देश-विदेश से श्रद्धालु आकर भगवान महाकाल को चढ़ावा चढ़ाते हैं और अपनी ओर से कुछ न कुछ दान पुण्य करते हैं। लेकिन भाजपा की सरकार ने भगवान महाकाल की 45 बीघा ज़मीन पर ही क़ब्ज़ा कर लिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ उज्जैन विकास प्राधिकरण ने नियमों को ताक पर रखकर महाकाल मंदिर की 45 बीघा ज़मीन को अपने क़ब्ज़े में ले लिया।' 

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कमलनाथ ने आगे लिखा, 'यह कृत्य करोड़ों हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ है और उनकी धार्मिक भावनाओं का अपमान है। आख़िर कोई सरकार इतनी धर्म विरोधी कैसे हो सकती है कि भगवान की ज़मीन ही हड़प ले। मैं राज्य शासन से माँग करता हूँ कि तत्काल महाकाल की पवित्र भूमि मंदिर को वापस की जाए और इस तरह का फर्जीवाड़ा करने वाले अधिकारियों पर क़ानून के मुताबिक़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जाए।'

बता दें कि यह अधिग्रहण महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम की धारा-12 की उपधारा-2 का उल्लंघन है, जिसके तहत मंदिर की अचल संपत्ति को आयुक्त की पूर्व मंजूरी के बिना बेचा, गिरवी रखा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। इस प्रक्रिया को इस तरह अंजाम दिया गया कि मंदिर प्रबंध समिति को भनक तक नहीं लगी। उस समय मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष आशीष सिंह (तत्कालीन कलेक्टर), गणेश धाकड़ (तत्कालीन प्रशासक) और सदस्य राजेंद्र शर्मा, राम पुजारी व प्रदीप गुरु थे। इन सभी का कहना है कि उन्हें जमीन के यूडीए की स्कीम में आने की कोई जानकारी नहीं थी।