कांग्रेस ने लोकायुक्त से की अरबों रुपए के घोटाले की शिकायत, विवेक तन्खा ने चीफ सेक्रेटरी को बताया भ्रष्टाचार का सरगना

सीएम हाउस से बह रही है भ्रष्टाचार की गंगा, हमने विधानसभा में हर मुद्दे को उठाया लेकिन सरकार तानाशाही पर उतारू है। लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है। एक भी आयोग की रिपोर्ट विधानसभा की पटल पर नहीं आई है: नेता प्रतिपक्ष

Updated: Aug 28, 2023, 04:10 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल एक्शन मोड में नजर आ रही हैं। कांग्रेस ने इसी कड़ी में सोमवार को प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ लोकायुक्त एनके गुप्ता से शिकायत की। कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, पूर्व विधायक पारस सकलेचा व अन्य लोकायुक्त कार्यालय पहुंचे और लिखित आवेदन देकर शिकायत की।

लोकायुक्त में शिकायत करने के बाद राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने पीसीसी मुख्यालय में प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि, 'कमलनाथ सरकार गिरने के बाद जब शिवराज सरकार आई तो एक दिन बाद ही इकबाल सिंह बैंस को चीफ सेक्रेटरी बनाया गया। कुछ दिन बाद रिटायर्ड फॉरेस्ट ऑफिसर बेलवाल साहब कॉन्ट्रैक्ट पर आ गए। MPAG रिपोर्ट में 500 करोड़ का पोषण आहार स्कीम में घोटाला सामने आया है। फर्जी ट्रांसपोर्टेशन किया गया। जो गाड़ियों के नंबर थे वे स्कूटर और कार के नंबर थे, ट्रक के नंबर नहीं थे। AG ने आठ जिलों की सैंपलिंग की थी और कहा कि स्टेट गवर्नमेंट का दायित्व है कि इसकी जांच कराई जाए। लेकिन सरकार ने ईओडब्ल्यू अथवा लोकायुक्त को कोई जांच नहीं सौंपी गई।'

तन्खा ने सवाल उठाते हुए कहा, ' सीएजी की रिपोर्ट में गलत निर्यात, उत्पादन और फेक कागज बनाने का जिक्र है। आजीविका मिशन के तहत आठ कंपनियों ने घोटाला किया। आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी बेलवाल साहब का कॉन्ट्रैक्ट आजतक हर साल बढ़ाया जा रहा है। इसलिए बढ़ा रहे हैं क्योंकि उन्हें चीफ सेक्रेटरी का संरक्षण है। क्या इन घोटालों के लिए एक्सटेंशन दिया गया है? IAS नेहा मार्व्य ने भ्रष्टाचार का खुलासा किया तो उनका ट्रांसफर हो गया, उन्हें प्रताड़ित किया गया, आजतक ढंग की पोस्टिंग नहीं दी गई। ये क्यों और किसके इशारे पर हो रहा है।'

तन्खा ने बताया कि एक शिकायतकर्ता भूपेंद्र प्रजापति ने पीएम को शिकायती पत्र भेजा, लोकायुक्त को एफिडेविट भेजा और हाईकोर्ट में भी पिटीशन लगाई। लेकिन पीएमओ से इस मामले की जांच के लिए ललित बेलवाल को नियुक्त किया गया। इन्होंने तत्काल रिपोर्ट भी बना दी और कहा कि सारे आरोप निराधार हैं। उन्होंने कहा, 'ये क्या हो रहा?  हमें बेवकूफ समझते हैं? इस तरह से प्रशासन चलता है। चीफ सेक्रेटरी और बेलवाल ही इसके सरगना है तो कौन क्या करेगा? हमने अपनी शिकायत दर्ज करा दी है। हमें आशा है कि लोकायुक्त कार्रवाई करेंगे। हम दूध का दूध पानी का पानी चाहते हैं।'

इस दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने बताया कि ये मुद्दा विधानसभा में उन्हें सदन में नहीं उठाने दिया गया। क्या कार्रवाई हुई नहीं बताया गया? हमने विधानसभा अध्यक्ष से निवेदन किया कि मुझे बोलने का हक दिया जाए। लेकिन सरकार के इशारे पर हमें बोलने नहीं दिया गया। विधानसभा में तानाशाही चल रही है। घोटाले के सरगना सीएम शिवराज हैं। भ्रष्टाचार की गंगा सीएम हाउस से निकल रही है। गंगा वहीं से गंदी होगी तो नीचे सफाई से क्या होगा। हमने हर मुद्दे को उठाया लेकिन सरकार तानाशाही पर उतारू है। लोकतंत्र की गला घोंट रही है। एक भी आयोग की रिपोर्ट विधानसभा की पटल पर नहीं रखी गई है। 

पत्रकारों ने सांसद तन्खा से पूछा कि आप इस मुद्दे को
कोर्ट में क्यों नहीं उठा रहे हैं? इसपर उन्होंने कहा कि
हम सब करेंगे अपने समय से करेंगे। आज भारतीय लोकतंत्र और लोकायुक्त की स्वतंत्रता का टेस्ट है। हमने लोकायुक्त को भी बता दी है कि हम हर हफ्ते आएंगे क्योंकि हमारे पास काफी शिकायतें हैं। लोकायुक्त एनपी सिंह ने कहा कि आप जब चाहें आ सकते हैं। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मुझे बताया कि भोपाल मास्टर प्लान में बहुत गड़बड़ियां मिली है। संभव है उस मुद्दे पर भी हम लोकायुक्त से मिलेंगे। चीफ सेक्रेटरी को पद से हटाए जाने को लेकर कांग्रेस सांसद ने कहा कि एमपी में बहुत सक्षम अधिकारी हैं उन्हें चीफ सेक्रेटरी बनाया जा सकता था। इकबाल सिंह बैंस को एक्सटेंशन देने में भी नियमों का दुरुपयोग किया गया है। समय आने पर इसकी भी बात होगी।