मध्य प्रदेश के गृह विभाग ने रद्द किए कई पुलिस अफ़सरों के तबादले, DGP जौहरी और गृह विभाग में ठनी

गृह विभाग ने कहा, सीनियर अफसरों की पोस्टिंग का अधिकार DGP को नहीं, जवाब में पुलिस महानिदेशक ने कहा, नई पोस्टिंग मिलने तक अफ़सर ख़ाली न रहें इसलिए पुलिस मुख्यालय स्तर पर दी गई ज़िम्मेदारी

Updated: Feb 06, 2021, 04:00 AM IST

Photo Courtesy: Naidunia
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भोपाल। मध्य प्रदेश में गृह विभाग और राज्य के पुलिस महानिदेशक के बीच अफसरों के तबादले को लेकर अनबन की स्थिति पैदा हो गई है। गृह विभाग राज्य के डीजीपी विवेक जौहरी द्वारा किए गए तबादलों पर नाराज़गी जताते हुए उन्हें रद्द कर दिया है। विभाग का कहना है कि डीजीपी विवेक जौहरी ने ये तबादले अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर किए हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या जब मध्य प्रदेश में हर रोज़ जघन्य अपराध की घटनाएं सुर्खियां बन रही हों, कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार तंत्र के शीर्ष स्तर पर अधिकारों की ऐसी खींचतान क्या ठीक है? 

दरअसल प्रदेश के गृह विभाग ने डीजीपी विवेक जौहरी को दो दिन पहले पत्र लिखकर कहा था कि सीनियर अफसरों की पोस्टिंग करने का अधिकार उन्हें नहीं है। इसका जवाब देते हुए डीजीपी ने कहा कि किसी पुलिस अफसर का ट्रांसफर होने के बाद उसे नई ज़िम्मेदारी दिए जाने में कई बार काफी वक्त लग जाता है। ऐसे में वरिष्ठ अधिकारी ज़्यादा समय तक खाली न रहें, इसलिए उन्हें पुलिस मुख्यालय स्तर पर ज़िम्मेदारी दी गई है। 

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा का कहना है कि डीजीपी अगर चाहें तो गृह विभाग को ट्रांसफर के लिए प्रस्ताव भेज सकते हैं। लेकिन उस पर अंतिम फैसला करने का अधिकार गृह विभाग को ही है। विभाग का कहना है कि आईपीएस अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग करना डीजीपी के अधिकार क्षेत्र में शामिल नहीं है।

दरअसल यह सारा विवाद तीन अफसरों की पोस्टिंग के बाद हुआ है। डीजीपी ने पुलिस मुख्यालय में आईजी रहे फरीद शापू का ट्रांसफर आईजी पुलिस मुख्यालय (एंटी नक्सल) कर दिया था। इसके साथ ही डीजीपी ने पुलिस मुख्यालय के AIG रहे तरुण नायक और आईपीएस विवेक शर्मा का तबादला कर दिया था। जब यह जानकारी गृह विभाग को लगी तब गृह विभाग ने इनके ट्रांसफर ऑर्डर्स को निरस्त कर दिया है।

एक प्रमुख हिंदी अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक जिन तीन अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर इतना बवाल मचा हुआ है, ये सभी कमल नाथ सरकार में प्राइम पोस्टिंग में हुआ करते थे। इनमें से एक, तरुण नायक को उपचुनाव के दौरान चुनाव आयोग के निर्देश पर अशोकनगर का एसपी पदस्थ किया गया था। लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म हुए सरकार ने तुरंत नायक को वापस पीएचक्यू में पदस्थ कर दिया।