कृषि मंत्री तोमर के क्षेत्र से दिल्ली रवाना हुई किसानों की पदयात्रा, सरकार से ज़िद छोड़ने की अपील

मध्य प्रदेश के मुरैना से कुल 6 प्रांतों के किसान अपना विरोध दर्ज कराने दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं, इसकी अगुवाई एकता परिषद के अध्यक्ष पीवी राजगोपाल कर रहे हैं

Updated: Dec 18, 2020, 05:48 PM IST

Photo Courtesy: Twitter
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मुरैना/भोपाल। केन्द्र के कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का एक जत्था कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के क्षेत्र मुरैना से दिल्ली के लिए निकला है। ये सभी किसान कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने और आंदोलन में  शामिल किसानों का समर्थन करने दिल्ली पहुंच रहे हैं। किसानों का यह जत्था मुरैना से दिल्ली तक पदयात्रा करेगा। इस पदयात्रा की अगुवाई गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता और एकता परिषद के अध्यक्ष पीवी राजगोपाल कर रहे हैं। 

ये आंदोलन सिर्फ पंजाब का नहीं बल्कि पूरे देश का है

3 नए कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर किसानों का कारवां गुरुवार को मुरैना से दिल्ली के लिए रवाना हुआ। एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक रणसिंह परमार ने दावा किया कि इस पदयात्रा में मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और केरल से आए किसान भी शामिल हैं। किसानों ने कहा कि दिल्ली का आंदोलन सिर्फ पंजाब का आंदोलन नहीं है, अब ये पूरे देश के किसानोें की आवाज बन गया है। केन्द्र सरकार को किसानों के हित में काला कानून वापस लेना होगा।

इसके साथ ही किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए किसान कांग्रेस ने गुरुवार को शहर में रैली निकाली। किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुर्जर व शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष दीपक शर्मा के नेतृत्व में किसानों व युवाओं ने रैली के दौरान मोदी विरोधी नारे लगाए।

अदालतों में 60 फीसदी मुकदमे किसानों पर

एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि देश की अदालतों में चल रहे मुकदमों में से 60 फीसदी मामले किसानों की जमीनों के विवाद से संबंधित हैं। कोर्ट-कचहरी कर रहे किसानों की मेहनत के रुपए व्यर्थ जा रहे हैं। केंद्र सरकार को चाहिए कि रिटायर्ड जजों की सेवाएं लेकर किसानों के मुकदमों का निराकरण जल्द कराए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करे।

3 नए कृषि कानून बनाने से पहले देश के किसानों के बीच उसके मसौदे को चर्चा के लिए नहीं भेजा गया। किसान कोविड-19 के कारण चुपचाप था उसका लाभ उठाकर केन्द्र ने किसान विरोधी कानून बना दिए। कानून में कहां लिखा है कि किसानों को एमएसपी मिलेगा ही। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने मंडी समितियों काे खत्म करने का कानून बना दिया है। इससे किसानों की फसल को व्यापारी औने-पौने दामों में खरीदेंगे। 

दिल्ली की सीमाओं पर केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का व्यापक विरोध 26 नवंबर से जारी है। किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। किसानों का कहना है कि नए कानून की वजह से शुरुआत में व्यापारी तो उनकी फसल पर अच्छे दाम देंगे लेकिन जल्द ही इन कानूनों की वजह से मंडियां खत्म हो जाएंगी। मंडियों के खत्म होते ही कॉरपोरेट घराना ड्राइविंग सीट पर बैठ जाएगा और किसानों को उनकी फसल औने पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।