BJP के घोषित उम्मीदवारों के खर्चे को चुनाव खर्च में जोड़ा जाए, कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से की मांग
बीजेपी अपने 39 उम्मीदवारों की घाेषणा कर चुकी है। ऐसे में कांग्रेस चाहती है कि उनके होने वाले खर्चों को चुनाव खर्च में जोड़कर उनके खर्चों की निगरानी चुनाव आयोग द्वारा कराई जाए।
भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्ताधारी दल बीजेपी ने अपने 39 उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। उम्मीदवार घोषित होने के बाद इन क्षेत्रों में हो रहे राजनैतिक आयोजन, रैली, प्रचार-प्रसार और सभाओं को लेकर कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से शिकायत की है। मध्य प्रदेश कांग्रेस विचार विभाग के अध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने मप्र के मुख्य चुनाव पदाधिकारी अनुपम राजन से मांग की है कि भाजपा के घोषित उम्मीदवारों द्वारा किए जा रहे खर्चे को चुनाव खर्च में शामिल किया जाए।
कांग्रेस विचार विभाग के अध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने 15 सितंबर 1998 में जारी हुए चुनाव आयोग के पत्र क्रमांक 437/6/98-PLN-II का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा मप्र की सत्ताधारी पार्टी है और भाजपा के संविधान के मुताबिक वे पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति द्वारा घोषित उम्मीदवार हैं। उनकी सभी गतिविधियां चुनाव के मुताबिक चल रहीं हैं। उनके क्षेत्र में की जा रही घोषणाओं और तमाम आयोजन इस चुनाव में उनके उम्मीदवार को बल देने के लिये सरकारी पैसे से किए जा रहे हैं। जबकि आचार संहिता के बाद उम्मीदवार घोषित होने पर यह संभव नहीं होता।
भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा कि संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून प्रत्येक दल के प्रत्येक उम्मीदवार को समान अवसर, समान प्लेयिंग फील्ड उपलब्ध कराने की गारंटी देता है, भाजपा के इस फैसले से इसकी अवहेलना हो रही है। गुप्ता ने आयोग को बताया कि सरकार घोषित उम्मीदवारों के क्षेत्र में नई-नई घोषणाएं कर मॉडल कोड आफ कंडक्ट के प्रावधानों के प्रतिबंधों से बचा रही है। जिसकी कीमत पब्लिक टैक्सपेयर से चुकाई जाएगी।
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गुप्ता ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून के चैप्टर 5 की धारा 77 के अनुपालन में आयोग इन उम्मीदवारों के कार्यक्रमों के खर्च चुनाव खर्च में जोडने के लिए निर्देशित करे। गुप्ता ने कहा कि भाजपा का यह फैसला मॉडल कोड आफ कंडक्ट की आंख में धूल झोंककर चुनाव प्रभावित करने का प्रयास है। जिससे धनबल के दुरुपयोग का लाभ सत्ताधारी दल भाजपा उठाना चाहती है और आचार संहिता के उल्लंघन के अपराध से बचना चाहती है।
गुप्ता ने आयोग से मांग की कि भाजपा के पंजीकृत संविधान के अनुसार उसकी केंद्रीय चुनाव समिति से घोषित उम्मीदवार ही उनका अधिकृत प्रत्याशी (नामिनेटेड)होता है। इसलिए उनके सभी चुनावी गतिविधियों पर होने वाले खर्चे चुनाव खर्च के दायरे में आते हैं।