अमीरों से सिर्फ़ 4 और गरीबों से 64 प्रतिशत जीएसटी वसूल रही है सरकार: टीएस सिंहदेव

जीएसटी वर्तमान में जिन प्रावधानों से लागू है उसमें अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और मिडिल क्लास एवं निम्न आय वर्ग और अधिक जीएसटी चुका रहा है: टीएस सिंहदेव

Updated: Jan 09, 2025, 05:59 PM IST

भोपाल। छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टी.एस सिंहदेव ने गुरुवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। सिंहदेव ने इस दौरान GST को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों को निशाने पर लिया। सिंहदेव ने कहा कि वर्तमान जी.एस.टी. चुने हुए अमीरों की, अमीरों के द्वारा, अमीरों के लिये ;(of the rich, by the rich, for the rich) आम आदमी के जेब से पैसे निकाल रही है।

सिंहदेव ने कहा कि जीएसटी वर्तमान में जिन प्रावधानों से लागू है उसमें अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और मिडिल क्लास एवं निम्न आय वर्ग और अधिक जीएसटी चुका रहा है। उन्होंने कहा कि देश के 10 प्रतिशत अमीर 3 से 4 प्रतिशत GST दे रहे हैं जबकि देश की निचली 50 प्रतिशत आय वर्ग की आबादी 64 प्रतिशत GST का भार वहन कर रही है। 
जिससे उसके हाथ में जो पैसा वो अपने घर के लिये, परिवार के लिये वहन कर सकती है, वह GST के रूप में उनसे सरकार ले लेती है।

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सिंहदेव ने कहा कि कर देने में छोटे कारोबारियों को अत्यधिक दिक्कतें हो रही हैं और वर्तमान में 9 तरह के GST के दर प्रचलन में हैं। इनका सरलीकरण अत्यावश्यक है और अधिकतम 2 या 3 जी.एस.टी. के स्लैब दर होना चाहिये। उन्होंने कहा कि सरकारें आय के स्त्रोत बनाने के लिये वस्तुओं पर जी.एस.टी. बढ़ा रही है, उदाहरण के लिये हाल ही में पोपकॉर्न के 3 अव्यवहारिक दर 5, 12 एवं 18 फीसदी कर दिये हैं। 

सिंह ने कहा कि जहां मध्यम और निम्न आय वर्ग से अधिक जीएसटी ली जा रही है, वहीं देश के कॉरपोरेट घरानों को कॉरपोरेट टैक्स में 2 लाख करोड़ की वार्षिक छूट दी जा रही है। निम्न आय वर्ग से जीएसटी लेना पूर्णतः अव्यवहारिक है। वहीं कॉरपोरेट टैक्स में छूट क्यों दी गई आप स्वयं समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी समाप्त होना चाहिए। वहीं पेंसिल जैसी वस्तुओं पर जी.एस.टी. लगाना औचित्यहीन है और स्वास्थ सुरक्षा के लिये जो नागरिक इन्श्योरेन्स कराते हैं उन्हें 18 प्रतिशत जीएसटी देनी पड़ रही है।

सिंह ने कहा कि सरकार को जहाँ जी.एस.टी. की दरों का सरलीकरण करना चाहिये, वहीं जी.एस.टी. के दरों के बढ़ाने के बजाए कर चोरी रोक कर उपभोक्ताओं द्वारा दिये गये जी.एस.टी. से राजस्व बढ़ा कर जी.एस.टी. की दरें भी कम की जा सकती हैं साथ ही आमदनी में भी इजाफा किया जा सकता है।