अस्पताल में भर्ती मां ने बच्चों से कहा था कि यहां कोई इलाज नहीं कर रहा है, मुझे ले जाओ नहीं तो मर जाऊंगी, अगले दिन हो गई मौत

इंदौर में अनीता नाम की एक महिला की अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही में जान चली गई है, महिला की बेटी ने अस्पताल की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में की थी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने डरा धमकाकर शिकायत वापस लेने के लिए कहा

Publish: Apr 10, 2021, 03:37 AM IST

Photo Courtesy: Patrika
Photo Courtesy: Patrika

इंदौर। इंदौर के एमटीएच अस्पताल की लापरवाही ने एक महिला की जान ले ली। अस्पताल में भर्ती महिला ने गुरूवार को अपने बच्चों को फोन लगाकर अस्पताल की शिकायत करते हुए यहां से ले जाने के लिए भी कहा था। महिला ने कहा था कि यहां उसका कोई इलाज नहीं कर रहा है। अगर जल्द ही उसे यहां से नहीं ले जाया गया तो उसकी मौत हो जाएगी। अगले दिन सुबह में अस्पताल प्रबंधन ने महिला के परिजनों को बताया कि मरीज़ की मौत हो चुकी है।

तीन दिन पहले अस्पताल में भर्ती हुई थीं अनीता

अनीता को सांस लेने में तकलीफ़ होने की शिकायत के बाद एमटीएच अस्पताल में भर्ती किया गया था। अनीता के बेटे दीपेश शर्मा ने बताया कि सांस के तकलीफ़ की शिकायत के बाद उन्होंने अपनी मां को सबसे पहले एक निजी डॉक्टर से दिखाया था। डॉक्टर ने उन्हें एमटीएच अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी थी। 

हालांकि दीपेश के मुताबिक अनीता को कोविड के कोई लक्षण नहीं थे। लेकिन एमटीएच अस्पताल ने उनकी मां को बिना जांच किए ही अस्पताल में भर्ती कर लिया। दीपेश के मुताबिक भर्ती करने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने अनीता को रेमडीसिविर इंजेक्शन लगाने की बात कही। इसके बदले में अस्पताल प्रबंधन ने अनीता के परिजनों को पांच हजार रूपए भुगतान करने के लिए भी कहा। 

लेकिन दीपेश ने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि यह इंजेक्शन मुफ्त में लगते हैं इसलिए वह पैसे नहीं देगा। इसके बाद दीपेश की बहन ने अस्पताल प्रबंधन की शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर कर दी। लेकिन अस्पताल के स्टाफ द्वारा धमकाए जाने के बाद उन्होंने अपनी शिकायत वापस ले ली। इसके बाद परिवार पर अस्पताल ने एक और मर्तबा इंजेक्शन मुहैया कराने का दबाव डाला। जिसके बाद परिवार ने एक बार फिर अस्पताल को इंजेक्शन दे दी। 

गुरुवार दोपहर अनीता ने अपने घर फोन लगाया था। अनीता ने कहा था कि अस्पताल में उसका कोई इलाज नहीं कर रहा है। घर वाले आकर उसे ले जाएं नहीं तो वो अस्पताल में ही दम तोड़ देगी। इसके ठीक अगली ही सुबह अस्पताल ने अनीता की मृत्यु की सूचना दे दी। 

इसके बाद जब दीपेश अपनी मां कंधव लेने पहुंचे तब अस्पताल प्रबन्धन ने अनीता का सामान उन्हें दे दिया। जिसमें पर्स और फोन शामिल था। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने अनीता के ज़ेवर उनके परिजनों को नहीं दिए थे। अस्पताल प्रबंधन ने अनीता के परिजनों को कहा कि अनीता ने कोई ज़ेवर नहीं पहना था। इस पर परिजनों ने हंगामा कर दिया कि जब तक उन्हें ज़ेवर नहीं मिलेंगे तब तक वे शव को लेकर कहीं नहीं जाएंगे। यह कहता हुए अनीता का परिवार घर पहुंच गया। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने अनीता के परिजनों को यह कहकर ज़ेवर लौटा दिए कि ये यहीं कहीं किसी कोने में पड़े हुए थे।