संवेदनशीलता और जवाबदेही के साथ लागू हो जनसुनवाई योजना, दिग्विजय सिंह ने सीएम मोहन को लिखा पत्र

दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह योजना, जिसका उद्देश्य गरीबों, वंचितों और आम नागरिकों को न्याय दिलाना तथा प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना था, अब संवेदनहीनता के कारण मात्र एक दिखावा बनकर रह गई है।

Updated: Sep 16, 2025, 10:01 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने राज्य सरकार द्वारा संचालित जनसुनवाई योजना की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। कांग्रेस नेता ने इस संबंध में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि यह योजना, जिसका उद्देश्य गरीबों, वंचितों और आम नागरिकों को न्याय दिलाना तथा प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेह बनाना था, अब संवेदनहीनता के कारण मात्र एक दिखावा बनकर रह गई है।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि सरकार ने जनसुनवाई योजना के प्रचार-प्रसार पर जनता का धन खर्च किया, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका क्रियान्वयन अत्यंत निराशाजनक है। उन्होंने कहा कि यदि अधिकारी संवेदनशील होते और शिकायतों के त्वरित समाधान के लिये सक्रिय रहते, तो यह योजना वास्तव में सराहनीय होती।

सिंह ने सागर जिले की हाल की घटनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि 9 सितम्बर 2025 को आयोजित जनसुनवाई में लोग अपने लम्बे समय से लंबित मुद्दों पर कार्रवाई न होने के कारण विवश होकर असामान्य तरीके अपनाने लगे। खजरा गाँव के दिव्यांग अर्जुन सिंह लोधी ने दिव्यांग प्रमाणपत्र न मिलने पर सड़क पर लेटकर विरोध किया। बरोदिया कलां निवासी सुरेश कुशवाह ने प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़े अपने कार्य में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिये अधिकारियों को खुश करने हेतु फूलमाला तक लेकर आना पड़ा। सुआतला गाँव के किसान हेमराज पटेल को अपनी नष्ट हुई फसल के मुआवजे के लिए फूट-फूटकर रोना पड़ा, फिर भी प्रशासन ने कोई संज्ञान नहीं लिया।

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि आठ माह पहले एक महिला ने अपनी जमीन से अवैध कब्जा हटाने की माँग को लेकर सागर कलेक्टोरेट के सामने फांसी लगाने का प्रयास किया। इसके अलावा अगस्त 2025 में एक अन्य महिला ने सुनवाई न होने पर स्वयं पर केरोसिन छिड़ककर आत्महत्या करने की कोशिश की। वहीं, अभयराज नामक व्यक्ति ने भी कलेक्टर कार्यालय के सामने अपनी जान देने का प्रयास किया।

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा कि इन घटनाओं से स्पष्ट है कि सरकार आम जनता की समस्याओं के समाधान के प्रति गंभीर नहीं है। अधिकारी जवाबदेही से मुक्त हैं और जनता को अपनी बात कहने के लिए सड़क पर लेटना या आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ रहा है। यह स्थिति न केवल प्रशासन की विफलता को दर्शाती है बल्कि सरकार की संवेदनशीलता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है।

सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से दो टूक कहा कि या तो जनसुनवाई योजना को बंद किया जाए, या इसे सार्थक बनाने के लिये अधिकारियों को स्पष्ट और कड़े निर्देश दिये जाएँ कि वे शिकायतों पर त्वरित और संवेदनशील कार्यवाही करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि जनसुनवाई जैसी महत्वपूर्ण पहल को “मजाक” बनने से बचाना सरकार की जिम्मेदारी है। पूर्व मुख्यमंत्री ने ये उम्मीद जताई है कि मुख्यमंत्री इस मामले को गंभीरता से लेंगे और मध्यप्रदेश की जनता को विश्वास दिलाएंगे कि उनकी आवाज़ को सुना और सम्मान दिया जाएगा।