MP में स्वास्थ्य विभाग की एक और बड़ी लापरवाही, बच्चों को खिला दी गई अमानक टैबलेट
अशोकनगर में कृमि मुक्ति अभियान में बच्चों को दी गई एल्बेंडाजोल 400 एमजी की टैबलेट का बैच B251362 अमानक निकला। जो कि 23-26 सितंबर लाखों बच्चों को दवा दी गई थी। स्वास्थ्य विभाग की ये लापरवाही उनपर बड़े सवाल खड़े कर रहे हैं।

अशोकनगर। मध्य प्रदेश में बच्चों की सेहत से जुड़ी एक और बड़ी लापरवाही सामने आई है। बीते दिनों कफ सिरप से हुए 23 बच्चों की मौत का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अब स्वास्थ्य विभाग की एक और गंभीर गलती उजागर हुई है। इस बार मामला कृमि मुक्ति अभियान के दौरान बच्चों को दी गई एल्बेंडाजोल टैबलेट से जुड़ा है। जांच में पता चला है कि जो दवा बच्चों को दी गई थी, उसका एक पूरा बैच अमानक निकला।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और अन्य संस्थाओं में 23 और 26 सितंबर को लाखों बच्चों को एल्बेंडाजोल 400 एमजी की टैबलेट दी गई थी। बाद में रिपोर्ट आई कि बैच नंबर B251362 की टैबलेट अमानक यानी खराब पाई गई है। जैसे ही यह जानकारी सामने आई वैसे ही अशोकनगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएचओ) ने 6 अक्टूबर को आदेश जारी कर दवा के वितरण पर रोक लगा दी। लेकिन तब तक हजारों बच्चों को यह टैबलेट दी जा चुकी थी।
जब मीडिया ने इस मामले पर अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो किसी ने भी खुलकर जवाब नहीं दिया। अशोकनगर के सिविल सर्जन ने मीडिया के कैमरे पर बोलने से मना कर दिया। जब स्थानीय मीडियाकर्मी जिला भंडार गृह पहुंचे तो वहां मौजूद कर्मचारियों ने अंदर से गेट बंद कर ताला लगा दिया ताकि किसी सवाल का जवाब न देना पड़े।
इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और दवा नियंत्रण व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को दी जाने वाली दवा की जांच पहले क्यों नहीं कराई गई? जब दवा फेल निकली, तब रोक लगाने का आदेश जारी करना सिर्फ औपचारिकता भर लग रहा है। राहत की बात यह है कि अभी तक इस टैबलेट को खाने के बाद किसी बच्चे में कोई साइड इफेक्ट सामने नहीं आया है। हालांकि, यह अब तक साफ नहीं हो पाया है कि इस अमानक बैच की कितनी दवा जिले में आई और कितने बच्चों को दी गई।
अब यहां पर सवाल खड़ा होता है कि बच्चों को दी जाने वाली दवा की गुणवत्ता जांच पहले क्यों नहीं की गई। पूरे प्रदेश में इस बैच की कितनी टैबलेटे बांटी गईं, इसकी जानकारी क्यों नहीं दी जा रही? जिन बच्चों को यह दवा दी गई, क्या उनके स्वास्थ्य की जांच की जाएगी या नहीं? और सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस लापरवाही के जिम्मेदार लोगों पर कोई कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी बाकी मामलों की तरह दबा दिया जाएगा?