संयोग या प्रयोग: चार घंटे तक जलती रही वल्लभ भवन की गोपनीय शाखा, मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान की फाइलें खाक

भाजपा सरकार ने जलाए 20 साल के भ्रष्टाचार के प्रमाण, हर चुनाव के पहले मंत्रालय में आग लगना और करोड़ों के भ्रष्टाचार के दस्तावेज ख़ाक होना संयोग नहीं प्रयोग है: जीतू पटवारी

Updated: Mar 09, 2024, 04:32 PM IST

भोपाल। चुनाव से पहले मध्य प्रदेश के शासकीय दफ्तरों में आग लगने का अजीबोगरीब ट्रेंड शुरू हो गया है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सतपुड़ा भवन में भीषण आग लगी थी और तीन फ्लोर के दस्तावेज खाक हो गए। कुछ फाइलें जो बच गईं थीं वह पिछले महीने फरवरी में जलकर खाक हो गईं। और शनिवार को वल्लभ भवन में चार घंटे तक आग लगी रही। ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि यह महज एक संयोग है या प्रयोग है?

शनिवार सुबह 9.30 बजे मंत्रालय में पांचवी मंजिल से उठी आग ने देखते ही देखते विकराल रूप धारण कर लिया। आग की लपटों ने धीरे-धीरे पूरी बिल्डिंग को अपने कब्जे में ले लिया। दमकल की 40 से अधिक गाडियां आग बुझाने में जुटी थीं लेकिन वल्लभ भवन की गोपनीय शाखा चार घंटे तक जलती रही। आग तब बुझी जब गोपनीय शाखा के सारे गोपनीय दस्तावेज खाक हो गए। जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान की सभी फाइलें खाक हो गईं। ये फाइल शिवराज सरकार के कार्यकाल की थीं।

अब सवाल ये है कि निरंतर आग लगने की ये घटनाएं क्या संयोग हैं? ये सवाल उठना लाज़िम इसलिए है क्योंकि 12 जून को सतपुड़ा भवन में आग लगने की के बाद फायर सेफ्टी ऑडिट कराए गए थे। तब सतपुड़ा भवन में लगी आग ने 13 हजार से ज्यादा अहम सरकारी फाइलों को खाक कर दिया था। इसके बावजूद जब 20 फरवरी को फिर से सतपुड़ा भवन में आग लगी तो क्या कदम उठाए गए ये कोई नहीं जानता। सतपुड़ा भवन में जब दूसरी बार आग लगी तो सारे अधजले दस्तावेज पूरी तरह जल गए।

शनिवार को जब वल्लभ भवन में भी आग लगी तो सीएम मोहन यादव ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटना न हो इसके निर्देश दिए गए हैं। जाहिर है कि सतपुड़ा भवन में आग लगने के बाद भी सरकार ने इस तरह के निर्देश दिए होंगे। बावजूद आग लगी और आग ने इस बार गोपनीय शाखा को चुना। 2018 के पहले यहां सीएम दफ्तर हुआ करता था और शिवराज सिंह चौहान यहीं बैठते थे। हालांकि, कमलनाथ जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने नई बिल्डिंग में अपना कार्यालय बनाया। शिवराज सिंह की भी यही योजना थी लेकिन बिल्डिंग बनवाकर वे चुनाव हार गए और उद्घाटन कमलनाथ सरकार के दौरान हुई।

बहरहाल, आग लगने के बाद शनिवार दोपहर विपक्षी नेता जब मौके पर पहुंचे और आग लगने के कारणों को लेकर अधिकारियों से बात की तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार धरने पर बैठ गए। इस दौरान पटवारी ने कहा कि ये आग भारतीय जनता पार्टी की करप्शन, कर्ज और क्राइम की सरकार द्वारा लगाई गई सरकारी आग है। यह भ्रष्टाचार के पाप को छुपाने की आग है। वल्लभ भवन में लगी आग करप्शन, कर्ज़ और क्राइम में व्यस्त सरकार के कारनामों को मिटाने के लिए रचा गया षड्यंत्र है। हर चुनाव के पहले मंत्रालय में आग लगना और करोड़ों के भ्रष्टाचार के दस्तावेज ख़ाक होना संयोग नहीं प्रयोग है। 

वहीं, मप्र विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि आग वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच के झगड़े का परिणाम है। भाजपा का अंदरूनी झगडा  वल्लभ भवन की आग के रूप में सामने आ रहा है। इससे जनता का ही नुकसान है। आखिर फायर सेफ्टी सिस्टम ऑडिट क्यों नही किया गया, इसका जवाब भाजपा क्यों नही देती?