टाइगर स्टेट में थम नहीं रहा बाघों की मौत का सिलसिला, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 4 दिन में दूसरी मौत

मध्य प्रदेश में सुरक्षित नहीं हैं टाइगर्स, बांधवगढ़ रिजर्व में एक और बाघ की संदिग्ध मौत, छीन सकता है टाइगर स्टेट का दर्जा

Updated: Dec 30, 2022, 11:58 AM IST

उमरिया। टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में बाघों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है। आए दिन यहां बाघों की संदिग्ध अवस्था में मौत हो रही है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में शुक्रवार को एक और बाघ की मौत का मामला सामने आया है। पिछले चार दिनों के भीतर बांधवगढ़ यह दूसरा टाइगर डेथ का केस है।

जानकारी के मुताबिक उमरिया जिले के घुनघुटी वन परिक्षेत्र के काचोदर बीट के बसाढ़ नदी के किनारे शुक्रवार सुबह बाघ का शव मिला। घटना की सूचना मिलने के बाद वन विभाग मौके पर पहुंचा और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। 

बताया जा रहा है कि यह बाघ काफी दिनों से बीमार था, और इसकी आवाज आसपास सुनाई पड़ रही थी। बीमार बाघ की आवाज सुनने के बावजूद वन विभाग के अधिकारियों ने इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया। ना ही बाघ के उपचार की कोई व्यवस्था की गई। परिणाम स्वरूप बाघ मर गया। ग्रामीणों के मुताबिक बाघ बेहद बुजुर्ग हो गया था और चलने-फिरने में लाचार था। ठंड के कारण व बीमार भी हो गया था, जिसके कारण वह शिकार नहीं कर पा रहा था। 

ग्रामीणों का अनुमान है कि शिकार नहीं कर पाने की स्थिति में बाघ काफी दिनों से भूखा था और यह उसकी मौत का एक कारण हो सकता है। हालांकि, जो भी वजह होगी वह पोस्टमार्टम के बाद सामने आएगी, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मुख्य वजह वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही है।

बीते 26 दिसंबर को भी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली रेंज में एक 15 माह के बाघ शावक के अवशेष मिले थे। इस मामले में भी वन विभाग ने लीपापोती करते हुए बयान जारी किया कि बाघ शावक की मौत दूसरे बाघ के हमले में हुई है। वन विभाग के मुताबिक घटनास्थल पर दूसरे बाघ के पगमार्क पाए गए थे। इससे अनुमान लगाया गया कि इस घटना को किसी अन्य बाघ ने अंजाम दिया है।

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इसी महीने पन्ना टाइगर रिजर्व में एक बांध फांसी के फंदे से लटका हुआ मिला था। मानो उसने आत्महत्या कर ली हो। MP देश का पहला राज्य है बाघ की फांसी लगने से मौत होती है। मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है, लेकिन अब लगातार हो रही बाघों की मौतों से मध्य प्रदेश को मिला बाघ स्टेट का दर्जा भी खतरे में पड़ सकता है। प्रदेश में एक के बाद एक टाइगर हंटिग की सिलसिलेवार घटनाएं वन विभाग की कार्यशैली पर कई प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। 

एक्सपर्ट्स का कहना है कि राज्य सरकार पोचर्स को ठिकाने लगाने में असफल है। पेंच, कूनो, बांधवगढ़, पन्ना और कान्हा इलाके में अब भी कई खतरनाक शिकारी बेखौफ घूम रहे हैं। उनमेन, मोहर पारदी, रामपूजन पारदी, बासु पारदी, रामवीर पारदी समेत कई इनामी शिकारी जो वांटेड हैं, वह इन क्षेत्रों में आसानी से भ्रमण करते मिल जाएंगे। लेकिन वन विभाग को उसकी कोई जानकारी तक नहीं होती। अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक बाघ का खाल करीब 6 करोड़ रुपए में बेचा जाता है।