मंदिर-मस्जिदों से बलपूर्वक उतारे गए लाउडस्पीकर, दिग्विजय सिंह ने CM मोहन यादव को पत्र लिखकर जताई आपत्ति

अनेक मंदिरों से सिर्फ आरती के समय उपयोग किये जाने वाले लाउड स्पीकरों को उतार दिया गया है तथा अनेक मस्जिदों से नमाज के पूर्व अजान के लिए उपयोग किये जाने वाले लाउड स्पीकरों को भी बलपूर्वक उतार दिया गया है: दिग्विजय सिंह

Updated: May 29, 2024, 05:04 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में इन दिनों धार्मिक स्थलों से ताबड़तोड़ लाउडस्पीकर्स हटाए जा रहे हैं। कई जगहों पर कम डेसीबल वाले ध्वनि विस्तारक यंत्रों को भी हटा दिया गया है। इसे लेकर एक ओर धर्मगुरुओं में रोष है वहीं अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी आपत्ति जताई है। सिंह ने सीएम मोहन यादव को पत्र लिखकर नियम विरुद्ध कार्रवाई रोकने की मांग की है।

सीएम यादव को संबोधित पत्र में सिंह ने लिखा है कि, 'मध्यप्रदेश में ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 की अधिसूचना में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि ध्वनि उत्पन्न करने वाले पटाखे, लाउड स्पीकर, लोक संबोधन प्रणाली, संगीत प्रणाली सहित अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों का मानव के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। भारत एक सांस्कृतिक विविधता और भिन्न-भिन्न धार्मिक आस्थाओं का देश है जहाॅ लोग अपनी-अपनी संस्कृति और परंपराओं के अनुसार धार्मिक उत्सव मनाते है और अपनी आस्थाओं के अनुसार धार्मिक और सांस्कृतिक क्रियाकलाप करते है। 

सिंह ने लिखा कि इन क्रियाकलापों और उत्सवों में लोगों को सहभागी बनाने, उनकी सहभागिता को बढ़ाने और उत्सव के आनंद को बाॅटने के लिये ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग भी किया जाता है। मंदिरों में आरती, मस्जिदों में नमाज तथा गिरिजाघरों में प्रार्थना के लिये सामान्य तौर पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग लंबे समय से किया जाता रहा है। धार्मिक पर्वों के अवसर पर इनका कई बार अनियंत्रित उपयोग किये जाने के कारण आम जन को होने वाली परेशानियों से बचाने के लिये इस संबन्ध में नियमों का पालन किया जाना अत्यंत आवश्यक भी है। 

सिंह लिखते हैं कि, 'मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा 13 दिसंबर 2023 को जारी दिशा निर्देषों में भारत सरकार के ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 का तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशो का कड़ाई से पालन करने हेतु निर्देश दिए गये है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा उक्त नियमों में निर्धारित समय और निश्चित डेसीबल की ध्वनि पर ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग करने पर जोर दिया गया है ताकि मानव स्वास्थ्य पर भी कोई विपरीत प्रभाव न पड़े तथा लोगों की धार्मिक आस्थाओं का पालन भी हो सके।'

सिंह ने पत्र में आगे लिखा है कि, 'मध्य प्रदेश सरकार द्वारा जारी उक्त निर्देशों का समानता से पालन नही हो रहा है। इन्दौर सहित राज्य के अन्य शहरों में कड़ाई से पालन करने के नाम पर पुलिस और प्रशासन द्वारा मनमाने तरीके से ध्वनि विस्तारक यंत्रों को हटाया जा रहा है। अनेक मंदिरों से सिर्फ आरती के समय उपयोग किये जाने वाले लाउड स्पीकरों को उतार दिया गया है तथा अनेक मस्जिदों से नमाज के पूर्व अजान के लिए उपयोग किये जाने वाले लाउड स्पीकरों को भी बलपूर्वक उतार दिया गया है। इसके लिये संबंधित धार्मिक स्थलों के प्रमुखों या धर्मगुरूओं से भी कोई सलाह मशवरा नही किया जा रहा है। इस प्रकार धार्मिक केन्द्रों द्वारा नियमों का पालन करते हुये उपयोग किये जा रहे लाउड स्पीकर्स को उतारना आम लोगों और धर्मगुरूओं की भावनाओं को आहत करता है।' 

पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्र के अंत में लिखा कि मध्य प्रदेश शासन द्वारा जिस भावना से उक्त दिशा-निर्देश जारी किये गये है, उस भावना की रक्षा करने हेतु धार्मिक स्थलों पर स्थापित लाउड स्पीकर्स को नियमों के अंतर्गत उपयोग करने से रोकने वाले अधिकारियों पर नियंत्रण किया जाए तथा मानव स्वास्थ्य की रक्षा के साथ-साथ लोगों की आस्थाओं और सांस्कृतिक परंपराओं की भी रक्षा की जाए। आशा है आप इस मामले को व्यक्तिगत तौर पर दिखवाएंगे तथा नियमों के विरूद्ध मनमाना आचरण करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों पर नियंत्रण करेंगे।