MP: 500 टीचर को तो मैं जनता हूं जो स्कूल नहीं जाते, शिक्षा मंत्री ने खुद खोली स्कूली शिक्षा की पोल

मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा है कई शिक्षक स्कूल नहीं जाते और अपनी जगह दूसरों को पढ़ाने के लिए किराए पर रखते हैं। वे व्यक्तिगत रूप से 500 ऐसे शिक्षकों को जानते हैं जो इस प्रकार की व्यवस्था चला रहे हैं।

Updated: Dec 26, 2024, 06:49 PM IST

रायसेन। मध्य प्रदेश में बदहाल स्कूली शिक्षा की कहानी किसी से छिपी नहीं है। राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए लगातार कागजी प्रयास हो रहे हैं, लेकिन यह सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं। नतीजतन शासकीय शालाओं में विद्यार्थियों की संख्या लगातार घटती जा रही है। अब स्कूली शिक्षा ने खुद राज्य की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। उन्होंने कहा कि वे 500 टीचर्स को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं जो स्कूल नहीं जाते।

दरअसल, रायसेन जिले के बरेली में सुशासन दिवस के अवसर पर शिक्षा महाकुंभ और अटल शिक्षा रत्न सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित हुआ। इसमें प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे।

इस अवसर पर पूरे प्रदेश से आए शिक्षकों ने अपनी समस्याओं और मांगों को मंत्री के सामने रखा। वहीं, मंत्री ने शिक्षकों को सम्मानित करने के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। इस बीच शिक्षा मंत्री ने खुद ही स्कूल शिक्षा की पोल खोलते हुए बड़ी बात कह दी।

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स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप ने शिक्षकों की समस्याओं पर बात करते हुए कहा, हमें आपकी समस्याएं पता है, लेकिन आपको भी अपनी चीजे सुधारने की जरूरत है। आये दिन स्कूल की खबरें पेपर में आती रहती है। उन्होंने कहा कि वो ऐसे 500 शिक्षकों को जानते हैं, जो अपनी जगह किराए के लोगों को रखकर नौकरी करवा रहे हैं और उन्हें वो व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। इनमें से 100 लोग तो मेरे ही जिले के हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की गैर-जिम्मेदारी से सरकारी स्कूलों की छवि और बच्चों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है। 

मंत्री ने शिक्षकों को आगाह करते हुए कहा कि ऐसी अनियमितताओं को खत्म करना होगा। शिक्षा मंत्री ने एक और उदाहरण देते हुए शिक्षकों की कार्यक्षमता पर सवाल किए। मंत्री ने सरकारी शिक्षकों की सैलरी और काम की तुलना करते हुए कहा कि मेरे सुरक्षा गार्ड को 32-34 हजार रुपए वेतन मिलता है और वह 24 घंटे ड्यूटी करता है। वहीं, शिक्षक 80 हजार रुपए वेतन लेने के बावजूद अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह नहीं निभा रहे।