मध्य प्रदेश की 10 हजार बालिकाओं ने छोड़ा स्कूल, कुव्यवस्था के कारण पढ़ाई से वंचित हो रही हैं बेटियां

सरकारी स्कूलों में टॉयलेट, लाइब्रेरी, लैब जैसी बेसिक फैसिलिटी भी नहीं, 2,762 गर्ल्स स्कूल में टॉयलेट इस्तेमाल करने लायक नहीं, पीरियड्स के दौरान लड़कियों को नहीं मिलते सैनेटरी पैड्स

Updated: Jul 27, 2022, 06:29 AM IST

Representative Image, Courtesy: Tom Pietrasik
Representative Image, Courtesy: Tom Pietrasik

भोपाल। केंद्र और राज्य सरकार 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान को प्रचारित करने का कोई मौका नहीं छोड़ती। लेकिन लोकसभा में सरकार द्वारा दी गई जानकारी ने इस अभियान की पोल खोल दी है। मॉनसून सत्र के दौरान 22 जुलाई को लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश में करीब 10 हजार 630 लड़कियों ने स्कूल छोड़ा है। प्रदेश की बेटियां सरकारी स्कूलों में कुव्यवस्था के कारण पढ़ाई से वंचित हो रही हैं।

मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 98 हजार 663 प्राइमरी और मिडिल स्कूलों की रिपोर्ट जारी की है। इसमें हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है। प्रदेश में स्कूलों की हालत ऐसी हैं कि 2 हजार 762 गर्ल्स स्कूल में टॉयलेट इस्तेमाल करने लायक नहीं हैं। विद्यालय में कुव्यवस्था के कारण लड़कियों को बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। पीरियड्स के दौरान साफ टॉयलेट न होने से बेटियां बीमारियों की शिकार भी हो रही हैं।

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इतना ही नहीं प्रदेश के 36 हजार स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं है। जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत ऑनलाइन शिक्षा और कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा देना है। सवाल ये है कि स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं होगी, तो स्मार्ट क्लासरूम कैसे चलाई जा सकती है। प्रदेश के 32 हजार 541 सरकारी स्कूलों में खेल के मैदान भी नहीं हैं। इससे छात्र अतिरिक्त गतिविधियों से वंचित हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 11 हजार से अधिक स्कूलों में टॉयलेट की बदतर स्थिति है। 2 हजार से अधिक सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां छात्राओं के लिए अलग से टॉयलेट नहीं हैं। करीब साढ़े सात हजार स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं है। 90 हजार से अधिक स्कूलों में दिव्यांग छात्र-छात्राओं के लिए टॉयलेट नहीं हैं। जबकि एक भी विद्यालय में विज्ञान प्रयोगशाला नहीं है।