सिंधिया के गढ़ को भेदने की तैयारी में कमलनाथ, आज ग्वालियर-मुरैना में शक्ति प्रदर्शन करेंगे PCC चीफ

2018 में बनी कांग्रेस की सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया के पाला बदलने के बाद गिर गई थी। अब सिंधिया के गढ़ को कमलनाथ ने भेदने की तैयारी कर ली है। कल पीसीसी चीफ ग्वालियर-मुरैना में भरेंगे हुंकार।

Updated: Feb 05, 2023, 07:59 AM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 9 महीने से भी कम समय बाकी है। चुनाव पूर्व प्रदेश कांग्रेस कमेटी पूरी तरह आक्रामक नज़र आ रही है। कांग्रेस इस बार सिंधिया के गढ़ को भेदने की खास तैयारियां कर रही है। इसी रणनीति के तहत पूर्व सीएम कल यानी 5 फरवरी को सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-मुरैना में शक्ति प्रदर्शन करेंगे।

रविदास जयंती के मौके पर कमलनाथ ग्वालियर के थाटीपुर दशहरा मैदान में विशाल आमसभा को संबोधित करने वाले हैं। कांग्रेस की कोशिश ग्वालियर अंचल में दलित वोटरों को पूरी तरह से अपने पक्ष में करने की है। दलित वोटर्स के बदौलत ही कांग्रेस ने ग्वालियर-चंबल अंचल में साल 2018 के विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड जीत हासिल की थी। हालांकि, तब जीत का श्रेय ज्योतिरादित्य सिंधिया को जाता रहा। अब कांग्रेस सिंधिया को उनके गढ़ में पटखनी देकर बगावत का बदला लेने के मूड में है।

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कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पीसीसी चीफ उन सीटों के लिए अलग से रणनीति बना रहे हैं, जहां सिंधिया समर्थक नेता चुनाव लड़ने वाले हैं। कांग्रेस यहां जनता के बीच जाकर बताएगी की कैसे रुपयों के लिए जनमत का सौदा किया जाएगा। रविदास जयंती के कार्यक्रम के जरिए कांग्रेस दलित वोटरों पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहेगी। ग्वालियर चंबल अंचल की 7 सीटें SC के लिए आरक्षित हैं। वहीं अन्य 27 सीटों पर भी दलित वोटरों की बड़ी तादाद है। 2018 में दलित वोटरों की नाराजगी के कारण अंचल में भाजपा का सफाया हो गया था। 

बता दें कि मध्यप्रदेश की राजनीति में ग्वालियर चंबल अंचल की बेहद अहमियत है। ग्वालियर चंबल अंचल में ग्वालियर और चंबल संभाग के कुल 8 जिले हैं। 8 जिलों में विधानसभा की 34 सीटें आती हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 34 सीटों में से 20 पर कब्जा जमाया था। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का दबदबा रहा और 26 सीटों पर जीत मिली। बीजेपी को 2013 के मुकाबले 13 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था और 2018 में 7 सीटों पर सिमट गई। इस बार के चुनाव में भी दलित वोटर्स बीजेपी से नाराज हैं। साथ ही सिंधिया के आने के बाद BJP कई गुटों में बंट गई है इसका सीधा फायदा भी कांग्रेस को मिलेगा और 2023 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी की राह आसान होगी।