MP सरकार को हाई कोर्ट से फटकार, नोटिस का जवाब नहीं देने पर लगा 30 हजार का जुर्माना
नर्मदा आंदोलन की ओर से कोर्ट में कहा गया कि यदि सरकार जवाब नहीं दे रही है तो राज्य में संपूर्ण भूअर्जन पर रोक लगा दी जाए। जिसके बाद सरकार ने जवाब पेश करने के लिए हाई कोर्ट से अंतिम अवसर की मांग की।

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मोहन यादव सरकार को जमकर फटकार लगाया है। साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकार पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने यह जुर्माना नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से मुआवजा याचिका पर जवाब पेश न किए जाने के बाद लगाया है।
दरअसल, मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने मध्य प्रदेश सरकार को नर्मदा बचाओ आंदोलन की जनहित याचिका से संबंधित जवाब पेश करने के लिए समय दिया था। इसके बावजूद सरकार की ओर से कोर्ट में कोई जवाब पेश नहीं किया। प्रदेश सरकार को कई मौके भी दिए गए, इसके बावजूद सरकार ने नोटिस का जवाब नहीं दिया। जिसके बाद हाई कोर्ट ने सरकार पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
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चूंकि, यह मामला नर्मदा बचाओ आंदोलन की जनहित याचिका से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार पर जुर्माना लगाते हुए 15 हजार रुपये नर्मदा बचाओ आंदोलन और 15 हजार रुपये हाई कोर्ट विधिक सेवा समिति के कोष में जमा करने के निर्देश दिए हैं।
नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल ने कोर्ट को अवगत कराया कि नए भू-अर्जन कानून 2013 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में अधिग्रहित जमीन के मुआवजे में एक गुणांक जो कि एक से दो के बीच होगा से गुणा किया जाएगा। शहरी क्षेत्र से जितनी दूरी अधिक होगी, उतना ही ये गुणांक बढ़ जाएगा। जमीन की कीमत कम आंकी गई।
याचिका में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनों की कीमतें कम होने के कारण ये प्रावधान रखा गया है, लेकिन सरकार इसका उल्लंघन करते हुए सभी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ये गुणांक एक सामान निर्धारित कर दिया है, जिससे ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहित होने पर बहुत कम मुआवजा मिलता है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई, जिसमें सरकार के इस गैर कानूनी निर्णय को रद्द करने के साथ-साथ मुआवजे में उचित गुणांक से गुणा करने का आदेश दिए जाने की मांग की गई है।