पेपर लीक युवाओं के लिए अभिशाप बन गया है, हम उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे: राहुल गांधी

लापरवाह सरकार, भ्रष्ट अधिकारी, नकल माफिया और निजी प्रिंटिंग प्रेसों के आपराधिक गठजोड़ को खत्म कर हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने की ज़रूरत है: राहुल गांधी

Updated: Mar 05, 2024, 06:45 PM IST

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले देश में पेपर लीक का मुद्दा गर्मा गया है। कांग्रेस पार्टी खासकर राहुल गांधी इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं। राहुल गांधी ने यूपी में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान भाजपा पर जमकर हमला बोला था। मंगलवार को उन्होंने एक बार फिर से पेपर लीक का मुद्दा उठाते हुए कहा कि पिछले 7 वर्षों में ही 70 से अधिक पेपर लीक हुए।

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'पेपर लीक उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश भर के युवाओं के लिए अभिशाप बन गया है। पिछले 7 वर्षों में ही 70 से अधिक पेपर लीक के मामलों ने 2 करोड़ से अधिक छात्रों का सपना तोड़ा है। इससे न सिर्फ भविष्य निर्माण के कीमती वर्ष बर्बाद हो रहे हैं बल्कि उनके परिवारों पर भी आर्थिक और मानसिक बोझ पड़ रहा है।'

राहुल गांधी ने आगे लिखा, 'लापरवाह सरकार, भ्रष्ट अधिकारी, नकल माफिया और निजी प्रिंटिंग प्रेसों के आपराधिक गठजोड़ को खत्म कर हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने की ज़रूरत है। जब मैंने छात्रों से बातचीत की तो उन्होंने मुझे बताया कि पेपर लीक की तीन मुख्य वजह हैं। बिका हुआ सरकारी तंत्र, निजी प्रिंटिंग प्रेस और भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके अधीनस्थ सेवा चयन आयोग।'

राहुल गांधी ने आगे कहा कि सभी से मिले सुझावों को मिला कर कांग्रेस युवाओं की भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए एक ठोस और फूलप्रूफ प्लान तैयार कर रही है, और बहुत जल्द हम आपके सामने अपना विज़न रखेंगे। हम छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे। युवाओं का भविष्य INDIA की प्राथमिकता है।

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बता दें कि इससे पहले सोमवार को उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड के डिटेल्स सार्वजनिक किए जाने में देरी को लेकर भी केंद्र को घेरा था। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि नरेंद्र मोदी ने ‘चंदे के धंधे’ को छिपाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉण्ड का सच जानना देशवासियों का हक़ है, तब SBI क्यों चाहता है कि चुनाव से पहले यह जानकारी सार्वजनिक न हो पाए? एक क्लिक पर निकाली जा सकने वाली जानकारी के लिए 30 जून तक का समय मांगना बताता है कि दाल में कुछ काला नहीं है, पूरी दाल ही काली है। देश की हर स्वतंत्र संस्था ‘मोडानी परिवार’ बन कर उनके भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में लगी है। चुनाव से पहले मोदी के ‘असली चेहरे’ को छिपाने का यह ‘अंतिम प्रयास’ है।