राघौगढ़ में भाड़े की भीड़ को संबोधित करेंगे सिंधिया-शिवराज, भीड़ जुटाने सरकार ने खर्च किए 65 लाख रुपए
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गढ़ में सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री सिंधिया का कार्यक्रम, भीड़ बुलाने के लिए 370 बसें बुक, 65 लाख रुपए खर्च करेगी सरकार

राघौगढ़। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गढ़ राघौगढ़ में आज शिवराज और महाराज की जोड़ी सभा करने जा रही है। कार्यक्रम में भीड़ बढ़ाने के लिए भाजपा और जिला प्रशासन ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। राघौगढ़ के आसपास के विधानसभा क्षेत्रों से लोग बसों में भरकर लाए गए हैं। इसके लिए सरकार ने 65 लाख रुपए खर्च किए हैं। इसे लेकर कांग्रेस ने सीएम चौहान पर निशाना साधते हुए कहा कि 18 वर्ष सरकार में रहने के बाद भी भाजपा भाड़े की भीड़ पर निर्भर है, इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है।
दरअसल, राघौगढ़ के आईटीआई परिसर में लाडली बहना सम्मेलन का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शमिल होंगे। कार्यक्रम में भीड़ बुलाने की जिम्मेदारी गुना कलेक्टर को दी गई है। इसके लिए गुना, बमौरी, चचौंडा, राघौगढ़, अरोन, कुंभराज और मकसूदनगढ़ से बसों में भरकर लोग लाए गए हैं। कुल 370 बसें बुक की गई है, जिसका व्यय 65 लाख रुपए से भी ज्यादा है। बसें खाली न रहे इसके लिए पंचायत सचिव, शिक्षकों और पटवारियों को ड्यूटी पर लगाया गया है।
कांग्रेस ने इस कार्यक्रम को लेकर सीएम चौहान को निशाने पर लिया है। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट ने कहा, "इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि 18 वर्ष सरकार में रहने के बाद भी भाजपा भाड़े की भीड़ पर निर्भर है। राघौगढ़ में भीड़ बढ़ाने के लिए 65 लाख रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं। स्पष्ट है कि शिवराज और महाराज दोनों को पता है कि उनकी लफ्फाजी सुनने कोई नहीं आएगा। इसीलिए 370 बसें बुक की गई है। यह वही राघौगढ़ है जहां 20 वर्ष पूर्व 2003 में शिवराज जी को मुंह की खानी पड़ी थी। इसबार शिवराज अपने साथ महाराज को भी ले गए हैं। लेकिन इसबार राघौगढ़ की जनता जयवर्धन सिंह जी को पहले से भी रिकॉर्ड मतों से जीत दिलाएगी।"
आनंद जाट ने आगे कहा, "मैं शिवराज जी को कहना चाहता हूं कि राघौगढ़ तो भूल ही जाओ इस बार बुधनी भी नहीं बचा पाओगे। जनता आपको समझ चुकी है और चार महीने बाद प्रदेश में कमलनाथ जी के नेतृत्व में कांग्रेस प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने जा रही है।" दरअसल, अब तक भाजपा दिग्विजय सिंह के गढ़ को भेद नहीं सकी है। हाल ही में हुए नगर पालिका चुनाव में भी सत्ताधारी दल की तमाम कोशिशें नाकामयाब साबित हुई। राघौगढ़ के सियासी इतिहास की बात की जाए तो दिग्विजय सिंह के इस अभेद्य किले को भेदने में बीजेपी अब तक नाकाम रही है। मुख्यमंत्री रहते हुए दिग्विजय सिंह ने 2003 में यहीं से शिवराज सिंह चौहान को पराजित किया था। राघौगढ़ जितने के लिए हर बार अपनी पूरी ताकत झोंकने का बाद भी भाजपा नाकामयाब साबित होती रही है।