भोपाल में नहीं थम रहा आवारा कुत्तों का आतंक, 3 महीने में 6 हजार 728 डॉग बाइट के मामले

भोपाल में जनवरी, फरवरी और मार्च में ही 6 हजार 728 लोगों को कुत्ते अपना शिकार बना चुके हैं। पिछले 2 साल के आंकड़ों के मुकाबले यह 50% से अधिक है।

Updated: Mar 29, 2024, 01:55 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आवारा कुत्तों का आतंक नहीं थम रहा है। राजधानी में डॉग बाइट की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि दर्ज की गई है।कुत्तों के काटने के पिछले 3 महीने के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। जनवरी, फरवरी और मार्च में ही शहर में 6 हजार 728 लोगों को कुत्ते अपना शिकार बना चुके हैं।

पिछले 2 साल के आंकड़ों के मुकाबले यह 50% से अधिक है। 2 साल में कभी इतने केस सामने नहीं आए थे। जेपी और हमीदिया हॉस्पिटल में प्रतिदिन डॉग बाइट के 70 से 80 मामले पहुंच रहे हैं। बीते 19 मार्च को बाणगंगा इलाके में 6 साल के हुमेर का जबड़ा ही कुत्तों ने नोंच दिया था। उसे 20 टांके लगे हैं पिछले 10 दिन से कमला नेहरू हॉस्पिटल में भर्ती है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2022 में कुत्ते काटने की कुल 8 हजार 124 घटनाएं हुई थी, जो वर्ष 2023 में बढ़कर 16 हजार 387 हो गई। इस साल जनवरी, फरवरी और मार्च में 6 हजार 728 घटनाओं की रिपोर्ट आ चुकी है। इधर, पेट लवर्स का कहना है कि कई बार लोग भी कुत्तों को परेशान करते हैं, इसलिए वे काटने दौड़ते हैं। हाल के दिनों में कई जगहों पर पेट लवर्स की गुंडागर्दी भी देखने को मिली है। पेट लवर्स नगर निगम से शिकायत करने पर लोगों से मारपीट करने लगते हैं यहां तक कि निगम की टीम से भी भिड़ जाते हैं। इसके अलावा नगर निगम भी नसबंदी के सही इंतजाम नहीं कर रहा है। 

स्वास्थ्य विभाग की इम्युनोग्लोबिन खपत रिपोर्ट के अनुसार बीते तीन साल में सीवियर डॉग बाइट केस की संख्या 1300 प्रतिशत बढ़ी है। साल 2020-21 में केवल 5 डॉग बाइट पीड़ितों को रैबीज के संक्रमण से बचाने इम्युनोग्लोबिन का इंजेक्शन लगाया गया था। साल 2023-24 में इम्युनोग्लोबिन का इंजेक्शन लगवाने वाले डॉग बाइट पीड़ितों की संख्या 65 हो गई है। डॉग बाइट से गंभीर रूप से घायल हुए व्यक्ति को इम्युनोग्लोबिन दिया जाता है।

पशु चिकित्सा सेवाएं के उप संचालक डॉ. अजय रामटेके का कहना है, ज्यादा ठंड और गर्मी में कुत्ते बेचैन हो जाते हैं। ठंड में ब्रीडिंग का समय रहता है। वे अपने बच्चों को बचाने के लिए राह चलते लोगों को काटने दौड़ पड़ते हैं। वहीं, गर्मी में कुत्ते अपने शरीर का टेम्प्रेचर मेंटेन नहीं कर पाते हैं। इसलिए वे सांस के जरिए अपने शरीर का टेम्प्रेचर सामान्य रखते हैं। यदि खाने-पीने में कोई कमी है तो उनकी बेचैनी और भी बढ़ जाती है। इससे वे आक्रामक व्यवहार करने लगते हैं।