बिहार में चुनाव से 7 महीने पहले मंत्रिमंडल विस्तार, भाजपा के सात विधायक बने नीतीश कैबिनेट में मंत्री

मंत्रिमंडल विस्तार में जातिगत संतुलन का भी विशेष ध्यान रखा गया है। इनमें 3 पिछड़े, 2 अति पिछड़े और 2 सवर्ण समुदाय से हैं। राज्य में एनडीए सरकार का 13 महीने में यह तीसरा विस्तार है।

Updated: Feb 26, 2025, 06:35 PM IST

पटना। बिहार में इस साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। चुनाव से ठीक 7 महीने पहले बुधवार को नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। इसमें 7 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। खास बात ये है कि ये सभी विधायक बीजेपी के हैं। यानी सीएम नीतीश की पार्टी JDU से कैबिनेट विस्तार में किसी को स्थान नहीं मिला।

कैबिनेट में शामिल होने वाले विधायकों में से 4 मिथिलांचल इलाके से हैं। इन्हें मिलाकर अब मिथिलांचल से 6 मंत्री हो गए हैं। मंत्रिमंडल विस्तार में जातिगत संतुलन का भी विशेष ध्यान रखा गया है। इनमें 3 पिछड़े, 2 अति पिछड़े और 2 सवर्ण समुदाय से हैं। राज्य में एनडीए सरकार का 13 महीने में यह तीसरा विस्तार है।

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दरभंगा से BJP विधायक संजय सरावगी ने सबसे पहले शपथ ली। इसके बाद सुनील कुमार (बिहार शरीफ), जीवेश मिश्रा (जाले), राजू सिंह (साहेबगंज) , मोतिलाल प्रसाद (रीगा), कृष्ण कुमार उर्फ मंटू (अमनौर), विजय मंडल (सिकटी) मंत्री बने। कैबिनेट विस्तार के बाद नीतीश सरकार में अब 36 मंत्री हो गए हैं। इनमें भाजपा के 21, जेडीयू के 13 बाकी एक हम से और एक निर्दलीय हैं।

बिहार में कुल 243 सीटें हैं। एनडीए के पास 131 सीटें हैं। इनमें से 40 सीटें मिथिलांचल से हैं। इसलिए मिथिलांचल को NDA का गढ़ कहा जाता है। मिथिलांचल के 6 जिलों (सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, वैशाली) में 60 सीटें आती हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां से एनडीए को 40 सीटें मिली थीं। आगामी चुनाव को देखते हुए यहां से 4 विधायक मंत्री बनाए गए हैं।