MP में फिर सामने आया मासूम को गर्म सरिए से दागने का मामल, तीन महीने की बच्ची को 24 बार दागा

शहडोल में अंधविश्वास के चलते बच्चों को गर्म सरिये से दागने की कुप्रथा लंबे समय से चली आ रही है। पिछले तीन दिन में अंधविश्वास की ये दूसरी घटना सामने आई है।

Updated: Feb 04, 2023, 09:31 AM IST

शहडोल। मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले शहडोल में नवजात बच्चों को गर्म सरिए से दागकर इलाज करने की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। जिले के कठौतिया गांव में तीन महीने की बच्ची को 51 बार गर्म सरिए से दागने के बाद मौत का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि एक और ऐसा ही मामला सामने आया है। इस बार कठौतिया के पास ही सामतपुर गांव में तीन महीने की शुभी कोल को 24 बार गर्म सलाखों से दागा गया। बच्ची की हालत ज्यादा बिगड़ने पर परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे।

जानकारी के मुताबिक तीन महीने की शुभी कोल को सांस लेने में समस्या थी। पिता सूरज कोल और मां सोनू कोल गांव में ही झोलाछाप डॉक्टर से बच्ची का इलाज करवाते रहे, लेकिन हालत में सुधार नहीं आया। इसके बाद गांव की ही एक महिला ने गर्म सलाखों से बच्ची को दागा। इसके बाद भी बच्ची की हालत और बिगड़ गई तो परिजन उसे इलाज के लिए बुढार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। बच्ची को वहां से शहडोल मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।

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डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची के शरीर में 24 बार गर्म सलाखों से दागने के दाग हैं। बच्ची की हालत लगातार बिगड़ती गई तो परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। हालत गंभीर होने पर परिजन मेडिकल कॉलेज से निजी अस्पताल ले गए हैं। फिलहाल उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। बता दें कि शहडोल जिले में इलाज के नाम पर मासूम बच्चों को दागने की कुप्रथा अब भी जारी है। आज भी गांवों में गर्म लोहे से दागा जाता है। इसके चलते पूर्व में कुछ बच्चो की मौत भी हो चुकी है। 

अंधविश्वास पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है, लेकिन इसका असर दिखाई नहीं पड़ रहा। तीन दिन पहले ही निमोनिया से पीड़ित एक बच्ची को 51 बार गर्म सलाखों से दागने का मामला सामने आया था। बच्ची की मौत भी हो गई। परिजन यहां बच्चों की तबियत खराब होने पर चिकित्सीय जांच कराने के बजाय ओझा के पास ले जाते हैं, जहां उन्हें इस तरह के सलाह दिए जाते हैं।