मैंने व्यापार की धौंस दिखाकर युद्ध विराम कराया, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का बड़ा दावा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा करते हुए कहा कि भारत पाकिस्तान के बीच मैंने व्यापार की धौंस दिखाकर युद्ध विराम कराया। मैंने कहा कि यदि आप इसे रोकेंगे तो हम व्यापार करेंगे।

वॉशिंगटन। ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिकी मध्यस्था में युद्धविराम को लेकर केंद्र की मोदी सरकार घिरी हुई है। देश की जनता इस बात को लेकर सवाल उठा रही है कि आखिर अमेरिकी दबाव में युद्धविराम क्यों किया गया। इसी बीच अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा दावा कर दिया है। ट्रंप का कहना है कि मैंने व्यापार की धौंस दिखाकर युद्ध विराम कराया है।
ट्रंप का यह बयान पीएम नरेंद्र मोदी के देश के नाम संबोधन से ठीक पहले आया है। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा, अमेरिका ने दोनों देशों के बीच सीजफायर कराने में मदद की है। मैंने दोनों से कहा कि चलिए इसे रोकते हैं। अगर आप इसे रोकते हैं, तो हम व्यापार कर रहे हैं। अगर आप इसे नहीं रोकते हैं, तो हम आपसे कोई व्यापार नहीं करेंगे।'
उन्होंने आगे कहा, 'मुझे यकीन है कि यह सीजफायर स्थायी होगा। दोनों देशों के पास बहुत सारे परमाणु हथियार हैं, इससे एक भीषण परमाणु जंग छिड़ सकती थी। लाखों लोग मारे जा सकते थे। मैंने यह परमाणु जंग रोक दी। मैंने उन्हें कहा कि आइए, हम आप लोगों के साथ बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं। लोगों ने कभी भी बिजनेस का उस तरह से इस्तेमाल नहीं किया जैसा मैंने किया।'
ट्रंप का बयान सामने आने के बाद मोदी सरकार की और आलोचना हो रही है। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का लंबे समय से टलता आ रहा राष्ट्र के नाम संबोधन राष्ट्रपति ट्रंप के कुछ मिनट पहले किए गए खुलासों से पूरी तरह दब गया। प्रधानमंत्री ने उन पर एक शब्द भी नहीं कहा। क्या भारत ने अमेरिका की मध्यस्थता स्वीकार कर ली है? क्या भारत पाकिस्तान के साथ वार्ता के लिए किसी तटस्थ स्थल पर सहमत हो गया है? क्या अब भारत अमेरिका की इन मांगों को मान लेगा कि वह ऑटोमोबाइल, कृषि और अन्य क्षेत्रों में अपने बाज़ार खोल दे?
कांग्रेस महासचिव ने मांग करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को तत्काल सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक करनी चाहिए — ऐसा कुछ जो उन्होंने पिछले बीस दिनों में सधे ढंग से टाल रखा है।आने वाले महीने सतर्क कूटनीति और सामूहिक संकल्प की मांग करेंगे। सिर्फ़ एक-दो लाइनें बोलना इस वक्त की जरूरतों का विकल्प नहीं हो सकते। हम अपनी सशस्त्र सेनाओं को बिना किसी शर्त के सलाम करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। उन्होंने देश का मान बढ़ाया है। हम हर समय 100% उनके साथ हैं। लेकिन प्रधानमंत्री को अब भी कई सवालों के जवाब देने बाकी हैं।