40 हजार से ज्यादा निर्दोष छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा है, दिग्विजय सिंह ने उठाया नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े का मुद्दा

दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल मंगू भाई पटेल को पत्र लिखकर कहा कि नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े की जांच EOW अथवा लोकायुक्त से कराई जाए।

Updated: Sep 12, 2023, 07:15 PM IST

भोपाल। विधानसभा चुनाव से पूर्व मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े का मुद्दा तूल पकड़ने लगा है। पिछले तीन साल से परिक्षाएं नहीं होने के कारण प्रदेशभर में नर्सिंग स्टूडेंट्स लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े का मुद्दा उठाते हुए ईओडब्ल्यू अथवा लोकायुक्त से उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की। 

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल मंगू भाई पटेल को नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े के संबंध में पत्र लिखकर कहा कि इस घोटाले में करोड़ों रूपये के लेनदेन के आरोप लगाये जा रहे है। माननीय उच्च न्यायालय ने भी इस घोटाले पर सख्त टिप्पणी की है। हजारों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त या ई.ओ.डब्ल्यू. जैसी संस्था से निष्पक्ष जांच करानी चाहिये।

राज्यपाल को संबोधित पत्र में सिंह ने लिखा है कि, 'मध्य प्रदेश में नर्सिंग मान्यता नियम 2018 लागू है। जिसे 2020 में भी संशोधित किया गया था। इन नियमों की मनमानी व्याख्या कर चिकित्सा शिक्षा के शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक के अधिकारियों ने जमकर गड़बड़ियाँ की और नियमों को दरकिनार कर बड़ी संख्या में प्रदेश के कोने-कोने में नर्सिंग कॉलेज खुलवा दिये गये। कोरोना काल में ‘‘आपदा में अवसर’’ की बात प्रधानमंत्री जी अक्सर कहा करते थे। पूरे देश में जब लाखों लोगों की कोरोना वायरस से जान जा रही थी। उस दौर में मध्य प्रदेश का चिकित्सा शिक्षा विभाग अपने भ्रष्ट आकाओं के संरक्षण में बिना किसी मापदंड का पालन किये नर्सिंग कॉलेजों को खोलने की अनुमति दे रहा था।'

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सिंह ने आगे लिखा, 'मार्च 2020 से लेकर 2021 तक पूरी दुनिया के साथ-साथ देश और मध्य प्रदेश भी कोरोना की त्रासदी झेल रहा था। मौत के सन्नाटे के बीच लोग सांसे ले रहे थे। इसी अवधि में प्रदेश में लाखों रूपयों का भ्रष्टाचार कर गली-गली में नर्सिंग कॉलेज खोले जाने का धंधा सरकारी नौकरशाह सत्ताधारी दल के राजनेताओं के संरक्षण में कर रहे थे। जब ग्वालियर संभाग में हुई धांधली को एडवोकेट स्व. उमेश बोहरे ने ग्वालियर हाईकोर्ट में उठाया तो सरकार ने आनन-फानन में 70 कॉलेजों की मान्यता समाप्त कर दी। पिछले तीन वर्षों में करोड़ो रूपयों का भ्रष्टाचार कर खोले गये नर्सिंग कॉलेजों के पास न तो वांछित जगह थी, न ही भवन थे, न ही उनके पास अस्पताल थे, न ही उनके पास योग्य डॉक्टर, प्रोफेसर और अन्य स्टाफ था। किसी भी नर्सिंग कॉलेज को बीएससी. नर्सिंग की मान्यता के पूर्व 23500 स्वायर फीट का भवन एवं 100 बिस्तर का अस्पताल एवं एमएससी नर्सिंग के पूर्व 50 बिस्तर के सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल होना अनिवार्य है। साथ ही इन कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल में जीवित पंजीयन होना अनिवार्य है।'

सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि, 'नेताओं के सरकारी संरक्षण में फल-फूल रहे करोड़ो रूपयों के नर्सिंग घोटाले को मध्य प्रदेश के प्राइवेट नर्सिंग इंस्टीट्यूट एसोसिएशन ऑल इंडिया के अध्यक्ष मिलन सिंह ने भी शासन स्तर से लेकर सर्वोच्च न्यायालय कोर्ट तक उठाया है। उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय ने भी कई बार इस फर्जीवाडे़ को लेकर मध्य प्रदेश सरकार पर तीखी टिप्पणी की है। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा संचालक ने 01 सितंबर 2023 को प्रशासक म.प्र. नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल को पत्र भेजकर वर्ष 2021-22 में डुप्लीकेट फैकल्टी से खोले गये 227 नर्सिंग कॉलेज और वर्ष 2022-23 में खोले गये 284 नर्सिंग कॉलेजों पर कार्यवाही करने पत्र लिखा है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक ने नर्सिंग काउंसिल को 24 जुलाई 2023, 4 अगस्त 2023 तथा 8 अगस्त 2023 को भी पत्र लिखकर माईग्रेट फेकल्टी के नाम पर खोले गये नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता निरस्त करने के निर्देश दिये है।'

सिंह ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी दल के शीर्ष नेताओं का राजनैतिक संरक्षण पाकर म.प्र. मेडिकल यूनिवर्सिटी से लेकर नर्सिंग काउंसिल में बैठे उच्च अधिकारी इस घोटाले की जांच करने एवं दोषी कॉलेजों को कार्यवाही से बचा रहे हैं। उन्होंने पत्र में लिखा, 'भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के सरकारी कुचक्र मध्य प्रदेश के गरीब परिवार के 40 हजार से ज्यादा निर्दोष छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। विगत दो वर्षो से उनकी परीक्षा नहीं हो पा रही है परंतु कई नियम विरूद्ध फर्जी तरीके से संचालित कॉलेजों एवं उनमें अन्य राज्यों के नॉन अटेंडिंग छात्रों के प्रवेश के लेने की वजह से मध्य प्रदेश के निर्दोष छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है।'

सिंह ने आगे लिखा, 'यह मध्यप्रदेश में हुए व्यापम घोटाले की तरह एक और संस्था है जिसमें खुला भ्रष्टाचार किया गया है। सरकार ने अपने स्तर से जो शासकीय नर्सिंग कॉलेज खोलकर राजनैतिक लाभ लेने की जो कोशिश की है, वहां भी कॉलेजों में शिक्षक नहीं है। अस्पतालों से स्टॉफ नर्सों को अटैच कर दो-दो कमरों में सरकारी नर्सिंग कॉलेज चल रहे है। जिसकी शिकायत प्राइवेट नर्सिंग इंस्टीट्यूट एसोसियेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलन सिंह के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय ग्वालियर में जनहित याचिका के माध्यम से की गई। जिसमें सरकारी कॉलेजों के नियम विरूद्ध संचालित होने पर उनकी प्रवेश प्रक्रिया पर आदेश दिनांक 12.07.2023 को रोक लगा दी गई है। महामहीम के द्वारा नियुक्त कुलपति मध्य प्रदेश आर्युविज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर के द्वारा भी बडे़ पैमाने पर नियम विरूद्ध जाकर प्रदेश में 200 से ज्यादा गलत कॉलेजों को संबद्धता दी गई है। आनन-फानन में सरकार ने कागजों में चल रहे सरकारी कॉलेजों के लिये शिक्षकों के 305 पद अगस्त 2023 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्वीकृत किए गए।'

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल से मांग करते हुए कहा कि निजी नर्सिंग कॉलेजों में पढ़ने वाले मध्यप्रदेश के 40 हजार से अधिक बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए ‘‘माननीय लोकायुक्त’’ या ‘‘आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो’’ से मध्य प्रदेश में चल रहे ‘‘नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े’’ की राजभवन की निगरानी में जांच कराई जाए। साथ ही बिना मापदंड का पालन किए नर्सिंग कॉलेज खोलने की अनुमति देने वाले अफसरों पर मुकदमा दर्ज कर उनके द्वारा अर्जित नामी-बेनामी सम्पत्ति की जांच कराई जाये।