9500 शासकीय स्कूलों में बिजली नहीं, MP में शिक्षा की स्थिति को लेकर पटवारी ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र
MP में 12 हजार से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जहां केवल एक शिक्षक के भरोसे पूरी कक्षा की पढ़ाई चल रही है। इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सीएम मोहन यादव पर निशाना साधा है।

भोपाल। मध्य प्रदेश में स्कूली शिक्षा की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से जारी एक रिपोर्ट ने राज्य में बदहाल शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। इसमें बताया गया है कि राज्य के 9500 स्कूलों में बिजली की सुविधा नहीं है। इतना ही नहीं 12 हजार से अधिक स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। मामले पर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने चिंता जताते हुए सीएम मोहन यादव को पत्र लिखा है और उनसे हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
सीएम यादव को संबोधित पत्र में पटवारी ने लिखा है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत संचालित यूडाइस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन) द्वारा जारी वर्ष 2023-24 की रिपोर्ट ने मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की भयावह और चिंताजनक स्थिति को सामने रखा है। रिपोर्ट के अनुसार लगभग 9500 सरकारी स्कूलों में आज भी बिजली जैसी बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं है। वहीं 12 हजार से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जहां केवल एक शिक्षक के भरोसे पूरी कक्षा की पढ़ाई चल रही है।
पत्र में पटवारी ने आगे लिखा कि शिक्षा जैसे मूलभूत विषय पर आपकी सरकार की विफलता अब आंकड़ों और तथ्यों के आईने में भी पूरी तरह उजागर हो चुकी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत संचालित यूडाइस (Unified District Information System for Education) द्वारा जारी वर्ष 2023-24 की रिपोर्ट ने मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की भयावह और चिंताजनक स्थिति को सामने रखा है। रिपोर्ट के अनुसार प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन दर (GER) मात्र 78.9% है, जबकि नेट नामांकन दर (NER) केवल 64.3% तक सिमटी हुई है। उच्च माध्यमिक स्तर पर यह और भी गंभीर रूप में दिखाई देती है, जहां GER केवल 62% और NER केवल 25.7% है।
पटवारी ने कहा कि उक्त आंकड़े यह दर्शाते हैं कि बड़ी संख्या में बच्चे या तो स्कूली शिक्षा से वंचित हैं या बीच में ही पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थिति तब है जब शिक्षा विभाग पर राज्य का एक बड़ा बजट खर्च किया जाता है, हजारों अधिकारी-कर्मचारी तैनात हैं और केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू करने के नाम पर वर्षों से योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने सीएम यादव से पूछा कि इतना भारी भरकम बजट और प्रशासनिक ढांचा होने के बावजूद बच्चों को बिजली, शिक्षक, फर्नीचर और शौचालय जैसी न्यूनतम सुविधाएं तक क्यों नहीं मिल पा रही हैं?
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ आंकड़ों का विषय नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश की एक पूरी पीढ़ी के भविष्य का सवाल है। शिक्षकों की भारी कमी, बुनियादी सुविधाओं का अभाव और स्कूलों की जीर्ण-शीर्ण स्थिति राज्य की सामाजिक और आर्थिक नींव को कमजोर कर रही है।
उन्होंने मांग करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट को विधानसभा के आगामी सत्र में प्रस्तुत कर उस पर विस्तृत चर्चा की जाए। साथ ही शिक्षा बजट के उपयोग और दुरुपयोग की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए और एक विशेष कार्यबल गठित कर हर जिले के सरकारी स्कूलों की भौतिक स्थिति का सर्वे करवाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि एक निर्धारित समय सीमा में प्रत्येक स्कूल में कम से कम दो शिक्षक, बिजली, शौचालय और सुरक्षित भवन सुनिश्चित किया जाए। पटवारी ने इसे सीएम मोहन यादव की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी बताया है।