कानपुर में ब्लड चढ़ाने के बाद 14 बच्चों को हुआ हेपेटाइटिस और एड्स, राज्य सरकार पर बरसे कांग्रेस अध्यक्ष

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मासूम बच्चों को बीजेपी सरकार के इस अक्षम्य अपराध की सजा भुगतनी पड़ रही है। मोदी जी कल हमें 10 संकल्प लेने की बड़ी-बड़ी बातें सिखा रहे थे, क्या उन्होंने कभी अपनी भाजपा सरकारों की रत्ती भर भी जवाबदेही तय की है?

Updated: Oct 25, 2023, 01:05 PM IST

कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां लाला लाजपत राय चिकित्सालय में ब्लड चढ़ाने के बाद 14 बच्चों में हेपेटाइटिस बी, सी और एचआईवी (HIV) जैसे संक्रमण की पुष्टि हुई है। इस घटना के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया। मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र और यूपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था को भी डबल बीमार कर दिया है।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया, 'डबल इंजन सरकार ने हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था को डबल बीमार कर दिया है। यूपी के कानपुर में एक सरकारी अस्पताल में थैलीसीमिया के 14 बच्चों को संक्रमित खून चढ़ा दिया गया, जिससे इन बच्चों को HIV AIDS और हेपेटाइटिस B, C जैसी चिंताजनक बीमारियाँ हो गई हैं। ये गंभीर लापरवाही शर्मनाक है। मासूम बच्चों को भाजपा सरकार के इस अक्षम्य अपराध की सजा भुगतनी पड़ रही है। मोदी जी कल हमें 10 संकल्प लेने की बड़ी-बड़ी बातें सिखा रहे थे, क्या उन्होंने कभी अपनी भाजपा सरकारों की रत्ती भर भी जवाबदेही तय की है?'

दरअसल, कानपुर के लाला लाजपत राय अस्पताल में 14 बच्चों को संक्रमित खून चढ़ा दिया गया। जिसके बाद इनकी जांच में पता चला कि इन बच्चों में हेपेटाइटिस बी, सी और एचआईवी एड्स का संक्रमण फैल गया। डॉक्टर्स ने कहा कि ये खून रक्त दान के तहत लिया गया था। संक्रमित बच्चों में से सात में हेपेटाइटिस बी, पांच में हेपेटाइटिस सी और दो बच्चों में एचआईवी की पुष्टि हुई। ये बच्चे उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, इटावा, औरैया और कन्नौज सहित अलग-अलग जिलों से आते हैं।

बता दें कि थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों को हर 3 से 4 हफ्ते के बीच खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में कभी-कभी मरीज अपनी सुविधा के अनुसार, जो अस्पताल घर के पास हुआ वहां से खून चढ़वा लेते हैं। उस समय तो मरीज को नहीं पता चलता है, लेकिन बाद में जब संक्रमण फैल चुका होता है तब मरीज को इसकी जानकारी होती है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।