आज देश इंदिरा गांधी को याद कर रहा है, अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा सीजफायर के ऐलान पर सचिन पायलट ने उठाए सवाल
1971 में जब युद्ध छिड़ा था, तब अमेरिका ने कहा था कि हम बंगाल की खाड़ी में अपना सातवां बेड़ा भेज रहे हैं। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी आगे बढ़ीं और वो किया जो देशहित में जरूरी था। आज हम उन्हें याद कर रहे हैं: सचिन पायलट

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक युद्धविराम की घोषणा ने देशवासियों को हैरान कर दिया है। भारत की ओर से पाकिस्तानी आतंकियों और सेना को माकूल जवाब न दिए जाने को लेकर भी देशवासियों में रोष है। इस मामले पर कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। साथ ही कांग्रेस ने ट्रंप द्वारा युद्धविराम की घोषणा पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज देश इंदिरा गांधी को याद कर रहा है।
कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने रविवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, '1971 में जब युद्ध छिड़ा था, तब अमेरिका ने कहा था कि हम बंगाल की खाड़ी में अपना सातवां बेड़ा भेज रहे हैं। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी आगे बढ़ीं और वो किया जो देशहित में जरूरी था। आज हम उन्हें याद कर रहे हैं। जब संसद पर हमला हुआ था, तब अटल जी प्रधानमंत्री थे और सोनिया गांधी जी नेता प्रतिपक्ष थीं। उन्होंने सदन के पटल पर खड़े होकर कहा था कि पूरा देश और पूरा विपक्ष सरकार के साथ है। उन्हीं परंपराओं को कायम रखते हुए प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी और तमाम दलों ने फिर से सरकार को पूरा समर्थन दिया था।'
पायलट ने आगे कहा, 'इसके अलावा, कश्मीर मुद्दे पर भी अमेरिका की तरफ से जो बयान आए हैं, उसपर भी सरकार को अपना पक्ष रखना चाहिए, क्योंकि यह द्विपक्षीय मुद्दा है। इसलिए संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए और 1994 के प्रस्ताव को दोबारा दोहराना चाहिए। देश के सामने स्पष्ट तरीके से कहा जाए कि: किसी भी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह द्विपक्षीय मुद्दा है, अमेरिका चाहे कोई और देश इसपर हस्तक्षेप नहीं करेगा। पिछले कई दशकों से हमारी विदेश नीति बड़ी स्पष्ट थी। उसमें मध्यस्थता, समझौते और तीसरे पक्ष के शामिल होने की बात नहीं होती थी। ऐसे में हमारी अपील है कि सरकार को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए।'
पायलट ने आगे कहा, 'हमारे सैनिकों ने पिछले दिनों जिस ताकत, शौर्य और कार्यकुशलता से पाकिस्तान को मजा चखाने का काम किया है, उस पर हम सभी को नाज और फ़क्र है। अमेरिका का दो दिन पहले कहना, it is none of our business… उसके बाद Secretary of State, उप-राष्ट्रपति और राष्ट्रपति सबसे पहले घोषणा करते हैं कि सीजफायर हो रहा है, उसके बाद पाकिस्तान और भारत भी सीजफायर का ऐलान करते हैं। यह जो मध्यस्थता हुई है, क्या इसे भारत सरकार ने Accept किया है? अमेरिका ने किन शर्तों पर इस प्रकार की घोषणा की है, यह बहुत बड़ा सवाल है। इसमें कश्मीर का जिक्र भी किया गया है। डिप्लोमेसी का अपना एक रोल है, लेकिन अगर इस प्रकार वॉशिंगटन से सीजफायर की घोषणा होती है, तो कई सवाल खड़े होते हैं।'
पायलट ने आगे कहा कि इस मुद्दे पर भारतीय थल सेना के पूर्व जनरल ने भी जो बातें बोली हैं, हमें उस पर ध्यान देना चाहिए। मैं मानता हूं कि सीजफायर की घोषणा के बाद जो बॉर्डर पर उल्लंघन हुए, यह इसकी विश्वसनीयता को खत्म करता है। भारत सरकार को एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए और जो पिछली दो मीटिंग में नहीं हुआ। उस पर बात करनी चाहिए। प्रधानमंत्री जी को इस सर्वदलीय बैठक में आना चाहिए और पूरे देश और दलों को विश्वास में लेना चाहिए, क्योंकि सभी दलों ने अपनी विचारधारा को परे रखते हुए भारत सरकार को संपूर्ण समर्थन दिया था। पिछली जो सर्वदलीय बैठकें हुईं, उसमें प्रधानमंत्री जी नहीं आ पाए थे, ऐसे में एक और सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए, ताकि देश और विपक्ष को एक विश्वास मिले।
पायलट ने इस दौरान कहा कि 1994 में कांग्रेस सरकार ने सर्वसम्मति से PoK को वापस लेने का प्रस्ताव पारित कराया था। अब समय आ गया है कि हमें 1994 के प्रस्ताव को दोहराना चाहिए। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पूरे देश और विपक्ष समेत हर राजनीतिक दल से भारत सरकार को पूरा समर्थन मिला। हमने पहले दिन से ही साफ कहा था कि यह हमारी आत्मा पर हमला है और इसका मुंहतोड़ जवाब देना जरूरी है। सेना ने जो कदम उठाए, हमें उस पर गर्व है। सरकार को हमारी मांग सुननी चाहिए और एक विशेष संसद सत्र बुलाकर चर्चा करनी चाहिए ताकि पूरी दुनिया में संदेश जाए कि आतंकवाद और पाकिस्तान के दुस्साहस के खिलाफ पूरा देश एकजुट है।